नयी दिल्‍ली।  24 फरवरी, 2019, दिन रविवार भारत की पूर्वोत्तर सीमा के अंतिम गांव किबिथू (अरुणाचल प्रदेश) का निवासी रुक्मा नरथामा सुबह जल्दी तैयार हो गया था। पेशे से किसान नरथामा और गांव के करीब आधा दर्जन किसानों के लिए आज का दिन खास था। सभी गांव की चौपाल में एकत्र हुए। उनके हाथों में मोबाइल फोन था। जैसे ही सुबह के 10 बजे, सभी के मोबाइल की घंटी एक साथ बज उठी। इसके साथ ही उनके चेहरे भी खिल उठे।

सभी के मोबाइल में उनके बैंक से मैसेज आया था कि उनके खाते में दो-दो हजार रुपये आ गये हैं। लगभग यही माहौल झारखंड के गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड में भी था। इधर रांची के बाहरी इलाके में अवस्थित ओरमांझी में इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए राज्य के मुखिया रघुवर दास पूरे प्रशासनिक अमले के साथ मौजूद थे। देश भर के लगभग हरेक प्रखंड और जिला मुख्यालयों में समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें वे किसान और उनके परिजन, जन प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे, जो इस ऐतिहासिक क्षण को नजदीक से देखना-महसूस करना चाहते थे। समारोहों में शामिल किसानों के मोबाइल की घंटियां एक साथ बजीं और अगले की पल सभी की आंखें मोबाइल स्क्रीन पर टिक गयीं, जिसमें आया मैसेज बता रहा था कि उनके बैंक खाते में दो हजार रुपये जमा हो गये हैं।

यह कमाल था, उस तकनीक का, जिसका आज से ढाई साल पहले मजाक उड़ाया जा रहा था। यह कमाल था, उस शख्सियत का, जो खुद को देश का प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक कहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ कर साबित कर दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में तकनीक का क्या महत्व है और तकनीक की मदद से बड़े से बड़ा काम भी संभव हो सकता है। प्रधानमंत्री के एक क्लिक ने देश भर के बैंकों के कंप्यूटर सर्वरों में एक साथ हलचल पैदा की और एक करोड़ एक लाख छोटे किसानों के बैंक खातों में दो-दो हजार रुपये की रकम ट्रांसफर हो गयी। आजाद भारत के इतिहास की सबसे बड़ी सार्वजनिक आर्थिक गतिविधि को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद प्रधानमंत्री ने इन किसानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात भी की। यह भी तकनीक का ही कमाल था और इस कमाल को मुमकिन बनाया प्रधानमंत्री के दृढ़संकल्प और किसी काम को अंजाम तक पहुंचाने की उनकी जुनूनी जिद ने।

चार साल पहले, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन-धन योजना की घोषणा की थी, तब इसकी भी आलोचना हुई थी।कहा गया कि जीरो बैलेंस पर खाता खोलना बैंकों के लिए भारी नुकसानदेह होगा। लेकिन उस योजना का लाभ आज नजर आया। एक वह समय था, जब अनुदान या मुआवजा पाने के लिए किसानों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती थीं, लेकिन आज बिना किसी हील-हुज्जत या सरकारी बाबुओं की चिरौरी के, बिना कोई कमीशन दिये उनके खातों में दो-दो हजार रुपये आ गये।

हमारे देश के छोटे किसानों की सच्चाई यही है कि उन्हें कुछ सौ रुपयों के लिए साहूकारों या सूदखोरों पर निर्भर रहना पड़ता है। अब यह परिपाटी खत्म हो गयी है। अब देश के हर किसान के पास कम से कम दो हजार रुपये तो हैं ही, जिनसे वह अपनी न्यूनतम जरूरतों को पूरा कर सकता है। बैंक खाते का एक और लाभ हुआ है, जिसका शायद किसी को ध्यान नहीं है। यह लाभ है गांवों में रहनेवालों को सूदखोरों से बचाने का। पहले होता यह था कि किसी ग्रामीण को यदि तत्काल कुछेक सौ रुपयों की जरूरत होती थी, तो वह अपने गांव के साहूकारों-सूदखोरों के पास जाता था, जबकि दूसरी जगहों पर रहनेवाले उसके परिजन उसकी मदद कर सकते थे। लेकिन उनकी मदद में दो-तीन दिन की देरी हो जाती थी। अब बैंकों के माध्यम से रकम तत्काल जरूरतमंद तक पहुंच जाती है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का राजनीतिक असर आगामी चुनाव में देखने को मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को सफलतापूर्वक शुरू कर साबित कर दिया है कि उनके पास राजनीतिक हथियारों की कमी नहीं है। नोटबंदी और जीएसटी पर चाहे कितनी भी आलोचनाएं उन्हें सहनी पड़ीं, लेकिन इन दो ऐतिहासिक कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नया स्वरूप प्रदान किया। आलोचनाओं से बिना घबड़ाये प्रधानमंत्री ने अपनी योजनाओं को अमली जामा पहनाया है। आज भारत में गरीबों के पास पक्का मकान है, जबकि आज से पांच साल पहले तक वे सपने में भी इसकी कल्पना नहीं कर सकते थे। यह प्रधानमंत्री आवास योजना से संभव हो सका है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, आयुष्मान भारत योजना और कौशल विकास योजनाओं की सफलता ने साबित कर दिया है कि बीते पांच साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत काम किया है।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की करीब 10 फीसदी आबादी को अपना मुरीद बना लिया है। ये लोग अब वोट देने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे और याद करेंगे कि उनके खाते में सरकार से पैसा आता है, जो उनकी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करता है। प्रधानमंत्री ने इन
किसानों को भोजन दे दिया है, लेकिन आलोचना करनेवाले कहने

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