रांची। झारखंड सरकार बजट का आकार कुछ छोटा करने का प्रयास कर रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 का मूल बजट काफी अलग होगा। मौजूदा वित्तीय वर्ष की राशि से लगभग 400 करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। सरकार अपने आय और व्यय के बीच एक संतुलन बनाना चाहती है, ताकि फिसकल डिफिसिट ज्यादा नहीं बढ़े। इसीलिए ये प्रयास किये जा रहे हैं। फिजूलखर्ची रोकने के लिए सरकार कई पुरानी योजनाओं में बदलाव लाने का मन बना चुकी है। जानकारी के अनुसार आगामी बजट में रोजगार, किसान, स्वास्थ्य और बिजली पर सबसे ज्यादा फोकस होने की संभावना है। विभागीय समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी विभागों से खाली पड़े पदों को लेकर फीडबैक लिया। उनमें नियुक्ति और इस पर आनेवाले खर्च की जानकारी ली। इतना ही नहीं, जिन योजनाओं की वजह से बजटीय उपबंध बढ़ाना पड़ा और उसका लाभ लोगों तक नहीं पहुंचा, वैसी योजनाओं को बंद करने या उनमें बदलाव लाने पर विचार हुआ। मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना और महिलाओं के नाम से 50 लाख रुपये तक की संपत्ति एक रुपये में रजिस्ट्री योजना को खास तौर पर खर्चीला बताया गया।
वित्तीय बोझ बढ़ा रही हैं योजनाएं
पिछली सरकार में शुरू हुई मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना का सार यह निकला कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ। इससे सिर्फ वित्तीय बोझ बढ़ा। वहीं भूमि और राजस्व विभाग को भी एक रुपये में महिलाओं के नाम पर 50 लाख तक की जमीन की रजिस्ट्री योजना की वजह से 300 करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। चूंकि दोनों योजनाएं डायरेक्ट ‘बेनिफिट’ वाली हैं, इसलिए राज्य सरकार इनमें चेक एंड बैलेंस का फार्मूला अपना सकती है। इसलिए सरकार मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना को बंद कर किसानों की ऋण माफी का लाभ पहुंचाना चाहती है। वहीं, एक रुपये जमीन रजिस्ट्री योजना का स्लैब 50 लाख रुपये से घटा कर काफी कम किया जा सकता है, ताकि सरकार को राजस्व की हानि ना हो। साथ ही सरकार दिल्ली की तर्ज पर मुफ्त बिजली देने की तैयारी भी कर रही है। 300 यूनिट तक बिजली खपत करनेवाले परिवार को 100 यूनिट मुफ्त देने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। सड़क निर्माण विभाग का बजट घट सकता है, वहीं समाज कल्याण का बजट पहले जैसा ही रहने की संभावना है। कृषि विभाग के बजट का आकार बढ़ने की उम्मीद है।
2019-20 में 7155.63 करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा
दरअसल वित्त वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा 7155.63 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया जा रहा है। वर्ष 2019 में प्रस्तावित कृषि बजट 7231.40 करोड़ रुपये का है, जो इस वित्त वर्ष में और बढ़ सकता है। उसी तरह अनुसूचित जनजाति क्षेत्र और अनुसूचित जाति विकास बजट का आकार लगभग समान रहने की संभावना है।
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