नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना ने 5 स्वदेशी क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल वेपन सिस्टम (क्यूआरएसएएम) खरीदने का ऑर्डर दे दिया है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) 2024 तक भारतीय सेना को सभी पांचों हथियार प्रणालियों की आपूर्ति कर देगी। एक क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली में एक रेजिमेंट कमांड पोस्ट व्हीकल (आरसीपीवी) शामिल गया है, जो सिस्टम के दिमाग के रूप में कार्य करेगा।
बीईएल के मुताबिक एक आरसीपीवी तीन बैटरी इकाइयों से जुड़ा है। एक बैटरी यूनिट में एक बैटरी कमांड पोस्ट व्हीकल और एक बैटरी सर्विलांस रडार व्हीकल होता है। इसके अलावा एक बैटरी इकाई चार लड़ाकू समूहों (सीजी) से जुड़ी है। एक सीजी में एक मल्टीफंक्शनल रडार यूनिट होती है, जो 10 लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। एक मल्टी लॉन्च रॉकेट व्हीकल छह क्यूआरएसएएम रॉकेट से लैस होता है। एक क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली में 72 क्यूआरएसएएम रॉकेट होते हैं। सिस्टम में रॉकेट ले जाने के लिए एक लॉजिस्टिक व्हीकल भी होता है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने क्यूआरएसएएम रॉकेट के पहले चरण का उपयोगकर्ता परीक्षण सितंबर, 2022 में किया था। सेना और वायु सेना को मिलने वाली इस मिसाइल प्रणाली से मध्यम ऊंचाई पर पायलट रहित विमान को मार गिराकर आखिरी यूजर ट्रायल इस साल की शुरुआत में 09 जनवरी को किया गया था। डीआरडीओ और भारतीय सेना ने सभी मौसम में रोटेटेबल ट्रक-आधारित लॉन्च प्लेटफॉर्म पर लगे कनस्तर से स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणाली के छह राउंड उड़ान परीक्षण किये हैं। डीआरडीओ ने 3 से 7 जनवरी तक नागपुर में 108 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भी इस प्रणाली का एक मॉडल प्रदर्शित किया था। यह दुनिया में सबसे उन्नत क्यूआरएसएएम हथियार प्रणालियों में से एक है।
सेना और वायुसेना ने यूजर ट्रायल के दौरान इस हथियार प्रणाली का दिन और रात में भी परीक्षण करके मूल्यांकन किया है। इस दौरान मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया गया, अत्याधुनिक मार्गदर्शन और नियंत्रण एल्गोरिदम के साथ हथियार प्रणाली की पिन-पॉइंट सटीकता स्थापित की गई, जिसमें वारहेड शृंखला भी शामिल है। मिसाइल प्रणाली में पूरी तरह से स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली, सक्रिय सरणी बैटरी निगरानी राडार, सक्रिय सरणी बैटरी मल्टी-फंक्शन रडार और लॉन्चर शामिल हैं। दोनों राडार में 360-डिग्री कवरेज के साथ सर्च-ऑन-मूव और ट्रैक-ऑन-मूव क्षमता है। इसे सभी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसकी 30 किलोमीटर की रेंज है।
इस मिसाइल को विकसित करने के लिए डीआरडीओ की परियोजना को जुलाई, 2014 में 476.43 करोड़ रुपये के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी। मिसाइल प्रणाली को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है। डीआरडीओ के अनुसार रक्षा से संबंधित सार्वजनिक उपक्रम बीईएल, बीडीएल और निजी उद्योग एलएंडटी के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के तत्वों की आपूर्ति हुई है। संपूर्ण हथियार प्रणाली अत्यधिक मोबाइल प्लेटफार्मों पर कॉन्फिगर की गई है, जो वायु रक्षा प्रदान करने में सक्षम है।

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