-2016 के पहले वाली नीति के आधार पर नियुक्ति के पक्ष में 73 प्रतिशत युवा
-1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति का प्रस्ताव राज्यपाल ने किया था वापस
-वर्तमान सरकार ने स्थानीय भाषाओं एवं लोक-संस्कृति की जानकारी को नियोजन नीति से जोड़ने का किया था प्रयास
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। हेमंत सरकार ने युवा से नियोजन नीति को लेकर राय ली थी। राज्य के युवा चाहते हैं कि नियोजन की प्रक्रिया जल्द शुरू हो। सरकार द्वारा ली गयी राय में 73 फीसदी युवाओं ने 2016 के पहले वाली नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया चाहते हैं। सरकार अब इस दिशा में कदम बढ़ायेगी। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में खतियान आधारित नियोजन नीति पर पर विधेयक पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया था। राज्य सरकार का इस संदर्भ में स्पष्ट मानना था कि 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति एवं पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के विषय को संविधान की 9वीं अनुसूची का संरक्षण मिल जाने के बाद ही बहाल किया जाए। इन परिस्थितियों में जब राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार का प्रस्ताव वापस कर दिया गया। ऐसे में एक तात्कालिक कदम की जरुरत को महसूस करते हुए राज्य के युवाओं से इस संबंध में राय जानने का प्रयास किया गया।
सात लाख से अधिक युवाओं से ली गयी राय:
प्राप्त जानकारी के अनुसार क्योंकि पूर्व की सरकार के समय लायी गयी नियोजन नीति को भी न्यायालय द्वारा रद्द करने का आदेश पारित किया जा चुका था। ऐसे युवाओं का राय जानना था कि क्या तत्कालिक तौर पर पूर्व की नियोजन नीति 2016 के पहले वाली के आधार पर नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ करनी चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार की ‘मिनी रत्न’ कंपनी को राय लेने का जिम्मा सौंपा। कंपनी ने राज्य के 7,33,921 युवाओं से इस मुद्दे पर राय ली। इसमें 73 प्रतिशत युवाओं ने 2016 से पहले वाली नियोजन नीति के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति जतायी।
स्थानीय भाषाओं एवं लोक-संस्कृति को जोड़ने का हुआ था प्रयास:
मालूम हो कि विधानसभा के शीत कालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि सरकार की मंशा थी कि राज्य के थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नियुक्ति में राज्य के आदिवासी और मूलवासियों की शत प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित हो। लेकिन नौजवान जो चाहेंगे, उसी मंशा के साथ सरकार जायेगी और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान किया जाएगा। ज्ञात हो कि वर्तमान सरकार ने स्थानीय भाषाओं एवं लोक-संस्कृति की जानकारी को नियोजन नीति से जोड़ने का प्रयास किया था। साथ ही, राज्य में स्थित संस्थान से 10वीं /12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण होने की शर्त भी जोड़ी थी, जिसे कुछ लोगों एवं दूसरे राज्य के अभ्यर्थियों के द्वारा न्यायालय में चुनौती दी गयी थी।
युवाओं के मत को जानने की हुई आवश्यकता:
मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य अलग होने में लंबा समय लगा। राज्य के लोगों के लिए हितकारी नियोजन नीति लाने के उद्देश्य ने सरकार ने कदम बढ़ाया था, जिसे वापस कर दिया गया। स्थानीय युवाओं, भाषाओं एवं लोक-संस्कृति की शर्त देश के विभिन्न राज्यों में लागू हैं। भाषा के सम्बन्ध में कई राज्यों में स्पष्ट नीति है जो नियुक्ति प्रक्रिया का मुख्य आधार भी है। देश के लगभग सभी राज्यों ने अपने युवाओं को अपने यहां नौकरी में अवसर देने के लिए उपयुक्त नियोजन नीति बनायी है। परन्तु, यह भी सच था कि नयी नीति लाकर नियोजन प्रक्रिया पूरा करने के क्रम में बहुत सारे अभ्यर्थियों की उम्र चली जाती। शिक्षक/पुलिस/कर्मचारी के बहुत सारे पद खाली हैं, ऐसे में राज्य में राज्य के युवाओं के मत को जानने की आवश्यकता महसूस की गयी जिससे ससमय नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जा सके।
2016 के पहले वाली नीति के आधार पर नियुक्ति हो इस पर युवाओं की राय:
कुल संपर्क किया गया: 7,33,921
हां में दिया जवाब: 73 फीसदी
नहीं में दिया जवाब: 16 फीसदी
नहीं कह सकते/नहीं जानते: 11 फीसदी