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    Home»विशेष»झारखंड में प्रभारी बदल बड़ा संदेश दिया कांग्रेस ने
    विशेष

    झारखंड में प्रभारी बदल बड़ा संदेश दिया कांग्रेस ने

    shivam kumarBy shivam kumarFebruary 16, 2025Updated:February 17, 2025No Comments6 Mins Read
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    16विशेष
    नये प्रदेश प्रभारी के.राजू के सामने कई तरह की चुनौतियां आयेंगी
    संगठन की तरफ ध्यान देकर पार्टी आलाकमान ने दिखायी संजीदगी
    विवादित बयानों-फैसलों के कारण हटाये गये गुलाम अहमद मीर

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    कांग्रेस आलाकमान ने झारखंड समेत कई राज्यों के प्रभारियों को हटा दिया है। झारखंड कांग्रेस के प्रभारी रहे गुलाम अहमद मीर के स्थान पर के राजू को नया प्रभारी बनाया गया है। झारखंड कांग्रेस के लिए यह एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है और कहा जा सकता है कि गुलाम अहमद मीर को हटा कर कांग्रेस आलाकमान ने बड़ा संदेश दिया है। हालांकि गुलाम अहमद मीर ने प्रभारी बनाये जाने के बाद झारखंड में कांग्रेस की स्थिति मजबूत बनायी और उनके कार्यकाल में लोकसभा चुनाव में पार्टी को दो सीटें और विधानसभा चुनाव में 16 सीटें मिलीं, लेकिन इन चुनावी सफलताओं से इतर मीर का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। झारखंड कांग्रेस के भीतर की राजनीति को समझनेवाले बताते हैं कि गुलाम अहमद मीर ने कई ऐसे फैसले लिये, जिनसे न तो आलाकमान सहज था और न झारखंड के पार्टी नेता-कार्यकर्ता। टिकट बंटवारे से लेकर खुद के कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ने तक गुलाम अहमद मीर ने झारखंड कांग्रेस को अपनी मर्जी से चलाया। यहां के नेताओं और कार्यकर्ताओं में ‘गणेश परिक्रमा’ की परिपाटी को बढ़ावा दिया और फिर विवादित बयान देकर खुद के लिए गड्ढा खोदते रहे। अब नये प्रभारी के सामने कांग्रेस की उस विरासत को आगे ले जाने की चुनौती है, जिसके कारण आदिवासी इलाकों में उसकी अलग पहचान बनी थी। के राजू खुद कांग्रेस के एससी-एसटी-ओबीसी-अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख हैं, तो उन्हें इस काम में बहुत परेशानी नहीं होगी। आखिर कांग्रेस ने अपने प्रभारी को क्यों बदला और कौन हैं नये प्रभारी, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने झारखंड सहित कई राज्यों में प्रभारी बदल दिये हैं। गुलाम अहमद मीर को हटा दिया गया है और उनके स्थान पर कोप्पुला राजू को झारखंड का नया प्रभारी बनाया गया है। झारखंड के प्रभारी बनाये गये के राजू वर्तमान में कांग्रेस अनुसूचित जाति-जनजाति-ओबीसी-अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय समन्वयक हैं। आलाकमान के इस फैसले को कांग्रेस के झारखंड में राजनीतिक रणनीतियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

    दिसंबर 2023 में प्रभारी बनाये गये थे गुलाम अहमद मीर
    दिसंबर 2023 में झारखंड के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय की जगह गुलाम अहमद मीर को प्रभारी बनाया गया था। उनके पास पश्चिम बंगाल के प्रभारी की भी जिम्मेवारी थी। गुलाम अहमद मीर के कार्यकाल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक रहा। लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस की सीट एक बढ़ कर दो हुई, वहीं पार्टी ने 2019 विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन 2024 विधानसभा चुनाव में किया और 16 सीट जीतने में सफल रही।

    पार्टी के कोर एजेंडे पर फोकस करेंगे के राजू
    राहुल गांधी के करीबी और कोर टीम के सदस्य के रूप में पहचाने जाने वाले के राजू का प्रशासनिक अनुभव और नीतिगत समझ झारखंड कांग्रेस के लिए एक नयी रणनीतिक दिशा तय करने में सहायक हो सकती है। के राजू आंध्र प्रदेश कैडर के 1981 बैच के आइएएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सार्वजनिक जीवन में कदम रखा। वह राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में सचिव के रूप में सोनिया गांधी के साथ काम कर चुके हैं। सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून के ड्राफ्ट तैयार करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने झारखंड में सभी मंत्रियों और विधायकों के साथ हाल ही में एक बैठक आयोजित की थी। बैठक में कांग्रेस के कोर एजेंडे पर फोकस करने और चुनावी वादों को पूरा करने के लिए निर्देश दिये गये हैं। इसके तहत के राजू को जातीय जनगणना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ-साथ झारखंड में संगठन को मजबूत करने का दायित्व सौंपा गया है।

    क्या हैं के राजू से अपेक्षाएं
    झारखंड में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ के राजू को पार्टी के चुनावी वादों पर कार्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गयी है। झारखंड में कांग्रेस के प्रदर्शन और नीतियों को सुदृढ़ करने में उनका अनुभव अहम साबित हो सकता है।

    के राजू कब आये थे पहली बार सुर्खियों में
    झारखंड कांग्रेस के नये प्रभारी के राजू पहली बार सुर्खियों में तब आये, जब उन्हें कांग्रेस पार्टी ने अनुसूचित जाति इकाई का प्रमुख नियुक्त किया था। इससे पहले भी वह संगठन के काम की वजह झारखंड आते रहे हैं। इसलिए उनको प्रदेश में संगठन की स्थिति के बारे में अच्छी जानकारी है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने आंध्र प्रदेश के नेल्लोर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उनके बारे में कहा जाता है कि वे एक दूरदर्शी नेता हैं। इसलिए आलाकमान ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है।

    क्यों हटाये गये गुलाम अहमद मीर
    यहां सवाल उठता है कि चुनावी रणनीति में सफल होने के बावजूद कांग्रेस ने गुलाम अहमद मीर को महज 14 महीने में ही क्यों हटा दिया। दरअसल मीर को जिस उद्देश्य को लेकर झारखंड भेजा गया था, वह पूरा होता नहीं दिख रहा था। पार्टी आलाकमान को झारखंड में संगठन को मजबूत करना और यहां की गुटबाजी को खत्म करना था। गुलाम अहमद मीर इसमें बुरी तरह विफल रहे। उन्होंने शुरूआत में झारखंड में समय तो दिया, लेकिन विवाद भी खूब पैदा किये। टिकट बंटवारे से लेकर चुनावी रणनीति तक में उन्होंने ‘गणेश परिक्रमा’ को बढ़ावा दिया। फिर खुद जम्मू कश्मीर विधानसभा का चुनाव लड़ने चले गये। वहां चुनाव जीत कर वह विधायक दल के नेता बना दिये गये, तो स्वाभाविक तौर पर झारखंड में कम समय देने लगे। पार्टी आलाकमान की निगाहें इस तरफ थीं। प्रभारी के तौर पर मीर ने कई विवादित बयान दिये। जैसे एक बार उन्होंने झारखंड में रोटेशनल सीएम की बात कह कर झामुमो के साथ रिश्तों में तल्खी पैदा कर दी। इसके बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कह दिया कि सत्ता में आने पर घुसपैठियों को भी सस्ती कीमत पर गैस सिलेंडर दिया जायेगा। इस तरह के विवादित बयानों से झारखंड में कांग्रेस की किरकिरी हो रही थी।

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    shivam kumar

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