Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Tuesday, June 17
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»दिल्ली फतह और भाजपा का अचूक फार्मूला
    विशेष

    दिल्ली फतह और भाजपा का अचूक फार्मूला

    shivam kumarBy shivam kumarFebruary 10, 2025No Comments8 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    दो साल पहले से शुरू कर दी गयी थी विधानसभा चुनाव की तैयारी
    पीएम मोदी-अमित शाह ने खुद संभाल ली थी रणनीति की कमान
    सामाजिक से लेकर दूसरे समीकरणों को साधने में लगाया पूरा जोर

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए न केवल 27 साल के वनवास को खत्म करने में कामयाब हुई है, बल्कि देश की राजधानी को एक नया विश्वास, नया जोश और गुड गर्वनेंस का भरोसा दिलाने को तत्पर हो रही है। निश्चित ही चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया और दिल्ली की जनता ने मोदी पर भरोसा जताया है। एक बार फिर मोदी का जादू चला और उनके करिश्माई राजनीतिक व्यक्तित्व ने नया इतिहास रचा है। दिल्ली में भाजपा ने जीत की नयी इबारत लिखी है। लेकिन भाजपा ने यह जीत वैसे ही हासिल नहीं की है। इसमें पीएम मोदी, अमित शाह और भाजपा नेतृत्व की अपराजेय रणनीति, पार्टी नेताओं का समर्पण और कार्यकर्ताओं का संकल्प शामिल है। भाजपा ने दिल्ली जीतने की रणनीति पर दो साल पहले नगर निगम चुनाव हारने के फौरन बाद काम करना शुरू कर दिया था। स्थानीय मुद्दों की पहचान, सत्ताधारी आप की विफलताएं और लोगों के उससे मोहभंग को भाजपा ने अच्छी तरह से पहचाना और प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार अभियान तक में इस पर ध्यान दिया। भाजपा को दिल्ली में संघ का जितना सहयोग मिला, उसने भी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। यही कारण है कि दिल्ली की लगभग सभी सीटों पर मतदाताओं ने सुशासन, भ्रष्टाचार मुक्ति, विकास और मुफ्त की सुविधाओं के नाम पर वोट डाले हैं। हिंदुत्व की ताकत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की सुनियोजित चुनाव रणनीति ने भाजपा को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। भाजपा की इस जीत ने साबित किया है कि राजनीति में राजशाही सोच, अहंकार और बड़बोलापन कामयाब नहीं है। दिल्ली जीतने के लिए भाजपा ने कैसे तैयार की रणनीति और क्या थी उसकी व्यूह रचना, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    दिल्ली चुनाव के शुरूआती दौर में ही भाजपा के साथ ही पूरे देश को यह एहसास हो गया था कि इस बार राष्ट्रीय राजधानी में कमल खिलने जा रहा है। पांच फरवरी को आये एग्जिट पोल के नतीजों ने जब इस एहसास की पुष्टि कर दी और आठ फरवरी को आये चुनाव परिणाम ने इस पर मुहर लगा दी, तो यह साफ हो गया कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का चुनाव रथ एक बार फिर विजय के रास्ते पर निकल पड़ा है। लेकिन लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करना भाजपा के लिए उतना आसान नहीं था। दिल्ली में भाजपा की जीत के पीछे एक ठोस रणनीति रही।

    दरअसल भाजपा ने दिल्ली जीतने की रणनीति पर काम 2022 में दिल्ली नगर निगम चुनाव हारने के बाद ही शुरू कर दिया था। टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार की जिम्मेदारी तक सारे फैसले पीएम मोदी के निर्देशन में गृह मंत्री अमित शाह ने किये। भाजपा ने सिर्फ जाति के हिसाब से नहीं, बल्कि अलग-अलग राज्यों से आये वोटरों पर फोकस किया। वहीं 20 सीटों पर असर रखने वाले जाट और गुर्जरों को भी साधा। अमित शाह ने प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की अगुवाइ में सर्वे कराया। वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष आदेश गुप्ता चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन नेतृत्व ने उन्हें दूसरी जिम्मेदारियां सौंपीं। फिर दिसंबर में पहली बैठक हुई। इसमें दिल्ली इकाइ ने प्रत्याशियों की सूची सामने रखी। अमित शाह ने इसे खारिज कर दिया। जनवरी में एक और बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और नितिन गडकरी शामिल हुए। इसमें पार्टी के आंतरिक सर्वे को देखते हुए अमित शाह ने प्रत्याशियों के नामों पर आखिरी फैसला लिया। चुनाव में भाजपा को 2100 उम्मीदवारों ने आवेदन भेजे थे। इसलिए पार्टी में कलह कम करने के लिए प्रत्याशियों के नामों का एलान करने में वक्त लगा।

    नगर निगम चुनाव से सबक, प्रकोष्ठ और मोर्चा पर फोकस
    दिल्ली नगर निगम चुनाव हारने के बाद ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा ने 250 में से 104 सीटें जीती थीं। आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। इसके बाद से ही भाजपा ने अपनी रणनीति और काम करने के तरीके में बदलाव किया। भाजपा ने चुनाव में जाति, क्षेत्र और धार्मिक समूहों को साधने के लिए 27 प्रकोष्ठ या सेल और सात मोर्चा बनाये। इनमें पूर्वांचल मोर्चा और मंदिर प्रकोष्ठ प्रमुख रहे। नगर निगम चुनाव से पहले सिर्फ 19 प्रकोष्ठ काम कर रहे थे। इन्हें जिम्मेदारी दी गयी कि वे जमीनी स्तर पर लोगों से बात करें और पार्टी की विचारधारा से जोड़ें।
    पिछले दो साल में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोगों को साथ जोड़ने के लिए प्रकोष्ठ बनाये। पहली बार बंजारा और सिंधी समुदाय के लिए अलग सेल बनाये गये। मंदिर प्रकोष्ठ ने हर विधानसभा के मंदिरों और आरडब्ल्यूए को जोड़ा। उन्होंने हर मंगलवार मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ कराया। पूरी दिल्ली में एक सौ से ज्यादा गुरवाणी, शिवरात्रि और जागरण कराये गये। इनका मकसद आम लोगों, खासकर युवाओं और महिलाओं को एक जगह जोड़ना था। इनके जरिये लोगों से मेल-जोल बढ़ाया गया।

    जातिगत वोटर पर फोकस, राज्य-क्षेत्र के हिसाब से बांटे
    भाजपा ने चुनाव से पहले न सिर्फ जातिगत वोटरों पर फोकस किया, बल्कि दिल्ली और अन्य राज्यों से आये इन वोटरों को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया। पूर्वांचली और उत्तराखंडी वोटर अलग किये। पूर्वांचल मोर्चा दिल्ली में 2013 से काम कर रहा है। दिल्ली में 25% वोटर पूर्वांचली हैं। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपना प्रत्याशी बदला, लेकिन मनोज तिवारी को बनाये रखा। इसके पीछे वजह पूर्वांचली वोटर थे। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से रैलियां करायीं। भाजपा ने बुराड़ी सीट जदयू और देवली सीट लोक जनशक्ति पार्टी को दे दी। पूर्वांचली वोटर वाले इलाकों में योगी आदित्यनाथ, मनोज तिवारी और नीतीश कुमार के पोस्टर लगाये गये। भाजपा ने साल भर लिट्टी-चोखा सम्मेलन कराये। छठ पूजा पर यमुना की सफाई का मुद्दा उठाया। पूर्वांचलियों ही नहीं, भाजपा का इस बार उत्तराखंडी वोटर पर भी ज्यादा फोकस रहा। इन्हें ध्यान में रखते हुए पार्टी ने मोहन सिंह बिष्ट और रविंद्र सिंह नेगी को दोबारा टिकट दिया। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी की रैलियां करायी गयीं।

    भाजपा को जाट और गुर्जर वोटरों का साथ मिला
    22 दिसंबर 2024 को दिल्ली के मंगोलपुरी में जाट-गुर्जरों की महापंचायत हुई। इसमें मूलनिवासी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया गया। दिल्ली में वोटिंग से दो दिन पहले जाट और गुर्जर नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद 360 गांव और 36 बिरादरी के लोगों ने चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का एलान किया। जाटों में आप से इस बात को लेकर नाराजगी थी कि उन्होंने कैलाश गहलोत का सम्मान नहीं किया। भाजपा ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की। चुनाव में भाजपा ने 14% टिकट जाट और 11% गुर्जर उम्मीदवारों को दिये। इसका 22 से 25 सीटों पर सीधा असर देखने को मिला।
    भाजपा बाकी राज्यों से ओबीसी नेताओं को प्रचार के लिए दिल्ली लायी, जिसका उसे फायदा हुआ। यह सब पिछले 5 महीने से चल रहा था।

    जाटव, वाल्मीकि और धोबी समाज के लिए अलग-अलग रणनीति
    भाजपा ने अपना फोकस प्रो-हिंदुत्व से जातिगत राजनीति पर शिफ्ट किया। इस चुनाव में पार्टी नेता सांप्रदायिक बयान देने से बचे। भाजपा का घोषणा पत्र भी इस बार सामाजिक योजनाओं पर केंद्रित रहा। उसने लोगों की भावनाओं से जुड़ने की कोशिश की। दलितों के बड़े नेता संदीप वाल्मीकि, राजेंद्र पाल गौतम और राज कुमार आनंद ने आप छोड़ दी। पार्टी में दलित नेतृत्व खत्म होने का फायदा भाजपा को मिला। भाजपा ने दलितों को जाटव, वाल्मीकि और धोबी अलग-अलग वर्ग में बांटा और रणनीति बनायी।

    आरएसएस की मदद से दलित वोटर साथ आये
    झुग्गियों के 15 लाख वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने झुग्गी-झोपड़ी अभियान शुरू किया। इसका दिल्ली भाजपा के उपाध्यक्ष विष्णु मित्तल ने नेतृत्व किया। इसके तहत हर मंगलवार बस्ती में हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने सालभर झुग्गी टूर्नामेंट करवाये। रक्षा बंधन, भाई दूज और अलग-अलग मौके पर ये कार्यक्रम कराये गये। झुग्गियों के वोट जोड़ने में आरएसएस ने अहम भूमिका निभायी। चुनाव में आरएसएस की एंट्री पांच जनवरी से हुई। लोगों की सभाएं की गयीं। उन्हें समझाया गया कि भाजपा सत्ता में आयी, तो उन्हें मकान बनाने के लिए पैसा दिया जायेगा। आरएसएस ने झुग्गी को साधने के लिए सेवा भारती, लघु उद्योग भारती, राष्ट्रीय सेविका समिति, भारतीय मजदूर संघ, विद्या भारती और भारत विकास परिषद को जमीन पर उतारा।
    इस तरह दो साल पहले बनायी गयी रणनीति और उस पर इमानदारी से चल कर भाजपा ने 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाया है। उसकी यह जीत लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने की हताशा को भूल कर अपने चुनावी रथ को एक बार फिर जीत के रास्ते पर दौड़ाने के लिए बेहद अहम है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleप्रधानमंत्री मोदी ने विद्यार्थियों से की परीक्षा पे चर्चा, कहा-बच्चों को जुनून तलाशने की आजादी हो
    Next Article प्रधानमंत्री का परीक्षा पे चर्चा विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणादायी पहल: राज्यपाल
    shivam kumar

      Related Posts

      एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’

      June 8, 2025

      राहुल गांधी का बड़ा ‘ब्लंडर’ साबित होगा ‘सरेंडर’ वाला बयान

      June 7, 2025

      बिहार में तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बनेंगे चिराग

      June 5, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • अमरनाथ यात्रा मार्ग एक जुलाई से नो फ्लाइंग जोन घोषित
      • प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
      • डीजीपी अनुराग गुप्ता अब न अखिल भारतीय सेवा में हैं, ना सस्पेंड हो सकते हैं : बाबूलाल मरांडी
      • भाजपा के टॉर्चर से बांग्ला बोलना सीख गया : इरफान
      • राजभवन के समक्ष 108 एंबुलेंस के कर्मी 28 को देंगे धरना
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version