रांची। तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए और विपक्षी महागठबंधन में चल रहे तीन-पांच के खेल के बीच बीजेपी की सहयोगी पार्टी आजसू फिर से तमाम शिकवा-शिकायतें भूल कर देशहित के सवाल पर उसके खेमे में आ गयी है। भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ मुलाकात की। इस मुलाकात में आजसू को गिरिडीह सीट देने पर सहमति बनी है। आजसू पार्टी तीन संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी। इनमें रांची, हजारीबाग तथा गिरिडीह शामिल हैं। पार्टी गठबंधन के तहत इन तीनों सीटों पर दावा ठोक रही थी। तीनों सीटें भाजपा की परंपरागत सीटें हैं और इनमें से दो सीटों पर भाजपा का लगातार कब्जा रहा है।
शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से सुदेश महतो की मुलाकात के दौरान गिरिडीह सीट गठबंधन के तहत 13 प्लस 1 सीट पर फैसला हुआ। 13 सीटों पर भाजपा लड़ेगी, वहीं एक सीट आजसू को देने पर सहमति बनी। बैठक के बाद सुदेश महतो के साथ बाहर निकले भाजपा के प्रदेश प्रभारी मंगल पांडेय एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि आजसू को गठबंधन के तहत एक सीट झारखंड में देने का फैसला लिया गया है। हालांकि उन्होंने विधिवत कौन सी सीट आजसू को दी जायेगी, इसका खुलासा नहीं किया। हालांकि आजसू के प्रदेश स्तरीय नेताओं ने कहा कि गिरिडीह सीट पर सहमति बनी है। वर्तमान में भाजपा के रवींद्र पांडेय गिरिडीह से भाजपा के सांसद हैं। चर्चा है कि यहां से लंबोदर महतो चुनाव लड़ सकते हैं। कुछ लोग सुदेश महतो के भी चुनाव लड़ने की बात दबी जुबान कह रहे हैं। कुछ दिनों पहले चंद्रप्रकाश चौधरी ने हजारीबाग सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी।
वहीं आजसू को इस सीट के दिये जाने से वर्तमान सांसद रवींद्र पांडेय के नाराज होने की उम्मीद है। वहीं भाजपा के बाघमारा से विधायक ढुल्लू महतो ने भी इस सीट पर अपनी ताल ठोक रखी है। अब भाजपा को अपने इन दोनों धुरंधरों को समझाना टेढ़ी खीर होगा। यहां यह जिक्र करना जरूरी है कि पिछले छह महीने से आजसू सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपनाये हुए थी। सरकार की स्थानीय नीति हो या नियोजन नीति या फिर सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन का मामला, आजसू ने खुल कर इसका विरोध किया था। स्वाभिमान यात्रा के माध्यम से आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी।
यहां तक कि आजसू काफी पहले ही कार्यसमिति की बैठक में विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। लोकसभा चुनाव को लेकर कहा गया था कि संसदीय बोर्ड की बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा। अभी इस बोर्ड की बैठक नहीं हुई है। अचानक आजसू ने भाजपा से लोकसभा चुनाव के लिए समझौता कर लिया। इसको लेकर सवाल भी उठने लगे हैं। भाजपा और आजसू ने पिछला लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था। इसके बाद 2014 में ही हुए उपचुनाव में दोनों का गठबंधन हुआ। हाल ही में सिल्ली तथा गोमिया विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने सिल्ली में तो प्रत्याशी नहीं दिया, लेकिन गोमिया में भाजपा और आजसू दोनों ने अपने-अपने प्रत्याशी दिये थे।
आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहा कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है। देश में एक मजबूत सरकार का रहना जरूरी है और पिछले पांच साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक मजबूत सरकार दी है। उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में दो फोल्डर बन रहा है। आजसू ने एनडीए को चुना है। भाजपा और आजसू के बीच राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का निर्णय हुआ है, जिसमें आजसू को गिरिडीह लोकसभा सीट मिली है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि स्वराज स्वाभिमान यात्रा आजसू ने लोकसभा चुनाव में गठबंधन नहीं करेंगे, इसके लिए नहीं निकाला था, बल्कि जनता से जुड़े विषयों के मूल्यांकन के लिए निकाला था। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल देश में एक स्थिर सरकार की जरूरत है। इसीलिए आजसू ने भाजपा के साथ रहने का फैसला किया है।
इधर भाजपा के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश ने कहा कि आजसू के साथ भाजपा का स्वाभाविक गठबंधन है। पार्टी आलाकमान के इस निर्णय से झारखंड में एनडीए और मजबूत हुआ है। आजसू को एक सीट देने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को साथ में लेकर चलने में विश्वास करती है।