धनबाद। सांसद पशुपतिनाथ सिंह ने अपनी उम्र को लेकर सवाल उठा रहे लोगों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि 72 वर्ष की उम्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने थे। इसी तरह 88 साल में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। यहीं, नहीं नरसिम्हा राव भी 75 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। यदि उम्र का सवाल है, तो इन लोगों को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहिए था। सांसद पीएन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके हम उम्र हैं। फिर उम्र को लेकर सवाल केवल पशुपतिनाथ सिंह से ही क्यों। कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे और राजेंद्र सिंह पैंतरा दे रहे है, उनकी उम्र क्या है। इन दोनों की उम्र पर तो कांग्रेसी सवाल नहीं उठा रहे हैं। यह सवाल ऐसे लोग उठा रहे हैं, जिनके पास कोई काम नहीं है।
सांसद ने कहा कि वैचारिक परिपक्वता के आधार पर जनता सांसद चुनती है। यह सिपाही की बहाली नहीं है कि लांग जंप और हाई जंप करा कर चुना जाये। उन्होंने कहा कि शहर में चार-पांच होर्डिंग लगा लेने, प्रेस कांफ्रेंस कर लेने से कोई सांसद नहीं बन जाता है। होर्डिंग और पैसे के बल पर बस अपना चेहरा चमका सकते हैं। जनता का दिल नहीं जीत सकते। सांसद के चुनाव में जनता बहुत कुछ देख कर मतदान करती है। कौन उनके बीच रहनेवाला है। उनकी बातों को कौन कितनी गंभीरता से सुनता है। ऐसे कई मसले है, जिसे देख और सुन कर जनता अपना जनप्रतिनिधि चुनती है।
जनप्रतिनिधि का व्यवहार जनता के लिए बहुत मायने रखता है
उन्होंने कहा कि लोकसभा का चुनाव स्थानीय मुद्दे पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दे पर लड़ा जाता है। उन्होंने पूर्व सांसद प्रो रीता वर्मा और ददई दुबे के चुनाव हारने पर सवाल उठाया। कहा कि दोनों चुनाव क्यों हार गये। प्रो रीता वर्मा पर तो कोई आरोप नहीं लगा। वह संसद में हमेशा मुद्दा भी उठाती रहीं। ददई दुबे को भी धनबाद की जनता ने ही चुना था, लेकिन दोनों चुनाव हार गये। क्यों हारे। यह समझने की जरूरत है। जनप्रतिनिधि का व्यवहार जनता के लिए बहुत मायने रखता है। जनता अपने जनप्रतिनिधि को आंख के सामने देखना चाहती है।