रांची। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा आलाकमान ने झारखंड में 13 में से 10 सीटों पर प्रत्याशी का एलान कर दिया है। तीन सीटों पर प्रत्याशी बदले जायेंगे। इसमें रांची, कोडरमा और चतरा शामिल है। इन तीन सीटों के सांसदों के टिकट काटे जाने के कई कारण हैं। इसमें दो बातें स्पष्ट तौर पर सामने आ रही हैं। इसमें से पहली है इन सांसदों का अहंकार और दूसरी सरकार की नीतियों की आलोचना। मोटे तौर पर चतरा और कोडरमा में टिकट कटने को लेकर सामने आ रहे हैं उनमें संगठन और आरएसएस की पसंद-नापसंद भी शामिल है। राज्य सरकार से बेहतर संबंध नहीं होना और रघुवर सरकार की नीतियों की आलोचना अथवा सार्वजनिक तौर पर अवहेलना करना भी रवींद्र राय और सुनील सिंह पर भारी पड़ा।
रांची सीट से सांसद रामटहल चौधरी के पत्ता साफ होने के पीछे बड़ा कारण उम्रदराज होना ही है। भाजपा आलाकमान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि 75 पार के उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा। इस लिहाज से रांची और खूंटी सांसद का टिकट काट कर पार्टी यह मान रही है कि संगठन मजबूत होगा तो कोई भी जीत जायेगा। जहां तक रामटहल चौधरी का सवाल है, उम्र के साथ-साथ कई अवसरों पर राज्य सरकार की आलोचना भी बड़ा कारण रहा है।
ऐसे भी रामटहल चौधरी भाजपा के नहीं, अपने समर्थकों के सांसद बन कर रहे गये थे। पार्टी के कार्यक्रमों में भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते थे। भाजपा की सबसे मजबूत लॉबी इनके खिलाफ थी। स्कूलों का मर्जर करने के केंद्र के आदेश के खिलाफ पत्र सार्वजनिक करनेवाले और पारा शिक्षक मामले में राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा कर कोडरमा सांसद सांसद रवींद्र राय प्रदेश संगठन और पार्टी आलाकमान के निशाने पर थे। इनके द्वारा पब्लिक डोमेन पर राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना को केंद्रीय संगठन ने गंभीरता से लिया। इसके अलावा चतरा सांसद सुनील सिंह को दिल्ली की राजनीति करने की सजा मिल रही है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो सांसद को संगठन से दूरी बरतने की सजा मिल रही है। यही नहीं, सुनील सिंह दो नाव पर सवार हो गये थे। सूत्रों का कहना है कि वह झारखंड की दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ना चाह रहे थे, जिसे भाजपा आलाकमान ने गंभीरता से लिया और इसी का नकारात्मक असर उनकी लोकसभा की उम्मीदवारी पर पड़ा।