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    Home»Breaking News»दो नहीं, चार सीटों के लिए महागठबंधन में हो रही मारामारी
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    दो नहीं, चार सीटों के लिए महागठबंधन में हो रही मारामारी

    azad sipahiBy azad sipahiMarch 14, 2019No Comments4 Mins Read
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    रांची। झारखंड में महागठबंधन का पेंच अभी उलझा ही हुआ है। यहां दो नहीं, चार सीटों को महागठबंधन के धड़ों में मारामारी हो रही है। ये सीटें हैं गोड्डा, चाईबासा, चतरा और जमशेदपुर। चारों ही सीटों को लेकर संबंधित राजनीतिक दलों के अपने-अपने ठोस दावे हैं। पहले तो सिर्फ दो सीटों को लेकर ही मगजमारी दिख रही थी, पर चाईबासा और चतरा का पेंच भी यहां उलझा हुआ है।

    दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा किसी भी कीमत पर चाईबासा सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। उधर कांग्रेस के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है। गीता कोड़ा इसी शर्त पर कांग्रेस में शामिल हुई हैं कि उन्हें चाईबासा से लड़ाया जायेगा। वहीं झामुमो समर्थकों को किसी भी सूरत में गीता कोड़ा का चेहरा बर्दाश्त नहीं है। चाईबासा सीट को लेकर झामुमो के दो विधायकों ने बीते बुधवार को ही अपनी मंशा साफ कर दी थी। अब यह जानकारी सामने आ रही है कि हेमंत सोरेन इस सीट को लेकर काफी गंभीर हैं। इसी सीट को लेकर वह लगातार दिल्ली का दरवाजा खटखटा रहे हैं। तीन दिन पहले बाबूलाल मरांडी से भी इसी सिलसिले में हेमंत सोरेन ने उनके आवास पर पहुंच कर मुलाकात की थी। दोनों नेताओं की मुलाकात में गोड्डा और चाईबासा सीट ही चर्चा के केंद्र में थी। सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के नेताओं को स्पष्ट कह दिया है कि बार-बार झामुमो ही कुर्बानी क्यों दे!

    कांग्रेस भी फंसी असमंजस में
    उधर, कांग्रेस की परेशानी यह है कि विधायक गीता कोड़ा को चाईबासा सीट पर लड़ाने का आश्वासन देकर ही पार्टी में सदस्यता दिलायी गयी है। कहा जाता है कि कांग्रेस आलाकमान की भी इसमें भूमिका रही है। ऊपर से मिले निर्देश पर ही गीता कोड़ा को कांग्रेस में शामिल कराया गया है। इससे कांग्रेस के सामने असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी है। वहीं, गोड्डा सीट को लेकर भी कांग्रेस दबाव में है। वह चाहती है कि चतरा सीट बाबूलाल ले लें और गोड्डा छोड़ दें, जबकि बाबूलाल मरांडी गोड्डा को छोड़कर पीछे हटने को तैयार ही नहीं हैं। वहीं चतरा सीट पर पहले से लालू ने अपने प्रिय उम्मीदवार सुभाष यादव की दावेदारी कर दी है। वह सुभाष यादव को वचन दे चुके हैं। ऐसे में लालू का पीछा हटना संभव नहीं दिखता।

    कांग्रेस के अंदरखाने भी सब कुछ ठीकठाक नहीं
    इन सबके बीच कांग्रेस के अंदरखाने भी सब कुछ ठीकठाक नहीं है। सूत्रों की मानें तो विभिन्न दलों के दावों के बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार भारी दबाव में हैं। वह जमशेदपुर सीट से चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं। हालांकि उनके कार्यकर्ता यह चाहते हैं कि डॉ अजय कुमार चुनाव लड़ें। इधर, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह की पार्टी के अंदर बढ़ती सक्रियता से एक अलग ही लॉबी बनती दिख रही है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उनकी अति सक्रियता से नाराज हैं। झाविमो के निरंजन सिन्हा को कांग्रेस में शामिल कराने को लेकर भी उनकी आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि एक तरफ झाविमो के साथ गठबंधन हो रहा है, दूसरी तरफ उसी दल के लोगों को तोड़ कर पार्टी में शामिल कराना कहां तक जायज है। सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि निरंजन सिन्हा को विधानसभा में बाकायदा टिकट दिये जाने का आश्वासन भी दे दिया गया है। इससे कांग्रेस के एक घटक में काफी नाराजगी देखी जा रही है। अब डॉ अजय फंसे हैं कि सीट शेयरिंग का मामला सुलझायें या पार्टी संभालें।

    दो कदम आगे, फिर चार कदम पीछे
    जबसे कांग्रेस ने झारखंड विकास मोर्चा को गोड्डा के बदले चतरा सीट की पेशकश की है, तबसे ही राजद ने भी दबाव बढ़ा दिया है। इस सीट के लिए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव अड़े बैठे हैं। अब स्थिति यह है कि कांग्रेस को न कुछ उगलते बन रहा है और न कुछ निगलते। बाबूलाल को चतरा सीट आॅफर करते हैं, तो राजद नाराज हो जाता है। यदि चतरा राजद को देते हैं, तो गोड्डा से हाथ धोना पड़ेगा। गोड्डा गयी, तो पार्टी के अंदर ही विरोध के स्वर उभरेंगे। सीटों के भंवरजाल में उलझा महागठबंधन कभी दो कदम आगे जाता दिखता है, तो फिर चार कदम पीछे आ जाता है।

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