रांची। झारखंड का सबसे ज्यादा राजनीतिक रूप से समृद्ध है पलामू लोकसभा क्षेत्र। कह सकते हैं कि यहां के मतदाता राजनीति की सबसे ज्यादा समझ रखते हैं। झारखंड की राजधानी रांची है, लेकिन पलामू को इस प्रदेश की राजनीतिक राजधानी कहा जाता है। 1951 में इस लोकसभा सीट का गठन हुआ था। पहले और दूसरे लोकसभा में यहां से कांग्रेस चुनाव जीती थी। इसके बाद 1962 के चुनाव में कांग्रेस हार गयी थी। अगले ही चुनाव में कांग्रेस ने यहां वापसी की। दो बार फिर यहां से चुनाव जीती। 1977 में कांग्रेस को जनता पार्टी से मुंह की खानी पड़ी थी। अंतिम बार कांग्रेस यहां 1984 में चुनाव जीती थी। इसके बाद पलामू में जीत के लिए कांग्रेस आज तक तरस रही है।
1991 में भाजपा का यहां से पहली बार खाता खुला और लगातार 2004 तक भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा। वर्ष 2004 में राजद ने इस सीट पर कब्जा किया। वर्ष 2009 के चुनाव में झामुमो को पहली बार यहां से जीत मिली थी। पिछले चुनाव में भाजपा ने 10 वर्षों के बाद पलामू को फतह किया। झारखंड की पलामू लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के विष्णु दयाल राम हैं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के मनोज कुमार को भारी मतों से मात दी थी। जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो पायेंगे कि जिले में 89.57 फीसदी ग्रामीण और 10.43 फीसदी शहरी जनता है। इसमें 25.9 अनुसूचित जाति और 11.93 अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं।
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत डालटनगंज, गढ़वा, भवनाथपुर, विश्रामपुर, छतरपुर और हुसैनाबाद विधानसभा सीट आती है। चार विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। एक पर बसपा और एक सीट नौजवान संघर्ष मोर्चा के कब्जे में है। भले ही दो सीट अन्य दलों के पास है, लेकिन इन विधायकों का भी सॉफ्ट कार्नर भाजपा के साथ ही देखा गया है। झारखंड अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2004 में भी झारखंड में कांग्रेस, झामुमो, राजद और वाम दलों का गठबंधन बना था और यह सीट राजद के कोटे में गयी थी। राजद ने भाजपा के 15 वर्षों के विजय रथ को रोका था। वर्ष 2009 के चुनाव में गठबंधन नहीं हुआ था। झामुमो का यहां से पहली बार इस चुनाव में खाता खुला था।
इस बार महागठबंधन में पलामू सीट कांग्रेस के खाते में जाता दिख रही है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस यहां से पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को मैदान में उतारने का मन बना चुकी है। वैसे पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा भी कांग्रेस में हैं और उन्होंने दावेदारी भी की है। मूलत: यूपी के रहनेवाले राजीव कुमार अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत झारखंड के सबसे चर्चित लोकसभा क्षेत्र पलामू से करेंगे। पलामू लोकसभा क्षेत्र भले ही रिजर्व है, लेकिन परिणाम पर सवर्णों का बोलबाला रहता है। कभी नक्सलियों के सबसे बड़े गढ़ के रूप में यह इलाका जाना जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस पर अंकुश लगा है।
अधिकांश क्षेत्र ग्रामीण इलाके में होने के कारण कभी जंगल से इस क्षेत्र के सांसद विधायक के चयन का फैसला होता था। यह सिलसिला झारखंड अलग राज्य बनने के बाद हुए सभी चुनावों में देखने को मिला। यही वजह है कि पिछले चुनाव में भी यहां का मतदान प्रतिशत अन्य लोकसभा क्षेत्र से कम रहा था। इस बार का सीन अलग है। जंगल कमजोर हुआ है और जनता सचेत है। भाजपा से इस बार फिर वीडी राम को टिकट मिल सकता है। इनका क्षेत्र में प्रदर्शन पार्टी आलाकमान की परीक्षा में परिलक्षित हुआ है। यदि कांग्रेस राजीव कुमार को टिकट देती है तो उनके लिए यह सीट नया होगी। जबकि वीडी राम इस क्षेत्र के हर नब्ज से वाकिफ हो गये हैं। वीडी राम की ससुराल भी पलामू ही है। ससुराल राजनीतिक परिवार में है और उस परिवार की पकड़ भी इस लोकसभा क्षेत्र में है।
कांग्रेस द्वारा बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारा जायेगा तो यह मामला भी उठेगा और कह सकते हैं कि पलामू में कांग्रेस को पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध का भी सामना करना पड़े। दूसरी तरफ राजद अभी भी इस सीट पर दावेदारी कर रहा है। राजद इस सीट को लेकर कितना संजीदा है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश राजद ने लालू संदेश यात्रा का आगाज इसी क्षेत्र से किया था। प्रदेश राजद अभी भी इस सीट को लेकर अड़ा हुआ है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि कांग्रेस को अपनों का भी विरोध यहां झेलना पड़े।