विधानसभा में शिक्षा मंत्री ने की घोषणा
रांची। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने स्थानीय नीति में बदलाव की बात कही है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि नयी सरकार झारखंड की स्थानीय नीति में बदलाव करेगी। इसमें 1932 के खतियान को आधार बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि विभाग क्या कहता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। स्थानीय नीति में बदलाव होगा और 1932 का खतियान लागू किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिंदल को देवघर में आवंटित जमीन वापस ली जायेगी। शिक्षा मंत्री सदन में सवालों के जवाब दे रहे थे।
बताते चलें कि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने कहा था कि हेमंत सोरेन की सरकार मौजूदा स्थानीय नीति में संशोधन करेगी। 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनायी जायेगी। उन्होंने कहा था कि मौजूदा नीति में काफी कमियां हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और दिशोम गुरु ने कहा था कि हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाने के बाद इस पर फैसला लिया जायेगा। इसके बाद से ही स्थानीय नीति पर राजनीति गरमा गयी। इस पर भाजपा ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि शिबू सोरेन के इस तरह के बयान से झारखंड में एक बार फिर अस्थिरता का माहौल पैदा हो सकता है। रघुवर दास की सरकार ने झारखंड अगल राज्य बनने से 15 साल पहले से यहां रहने वालों को स्थानीय माना और इसी आधार पर स्थानीय नीति बनायी थी और इसे लागू भी किया था। इस मुद्दे पर राजनीतिक हलकों में उबाल भी पैदा हुआ था।
प्रदेश की सियासत में पैदा होगा उबाल
हेमंत सोरेन की सरकार के मंत्री की घोषणा से प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ सकता है। यहां बताना प्रासंगिक होगा कि विधानसभा में सत्ता और विपक्ष के बीच पहले से ही नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर ठनी हुई है। बजट सत्र में अब तक कार्यवाही सामान्य नहीं हुई है।
भाजपा विधायकों ने मुंह पर पट्टी बांध किया प्रदर्शन
बजट सत्र के पांच दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। शुक्रवार को भी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग पर सदन के अंदर और बाहर प्रदर्शन किया। भाजपा विधायकों ने मुंह पर पट्टी बांधकर विधानसभा के बाहर मौन प्रदर्शन किया। इससे पहले सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। विधायकों ने अपने गले में पोस्टर टांग रखे थे। हाथ में भी तख्तियां ले रखी थी। इस पर नेता प्रतिपक्ष पर क्यों करते देरी, नहीं चलेगी हेराफेरी, अध्यक्ष जी न्याय करो…न्याय करो… और नेता प्रतिपक्ष को शीघ्र मान्यता दें समेत कई नारे लिखे थे।

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