आज के खबर विशेष में हम चर्चा कर रहे हैं झारखंड के उस बजट की, जो मंगलवार को हेमंत सोरेन सरकार विधानसभा के पटल पर पेश करने जा रही है। इस बजट से झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता की उम्मीदें जुड़ी हैं। यह बजट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विजन का भी प्रदर्शन करेगा। खबर विशेष में हम बात करेंगे उन चुनौतियों की भी, जिनका सामना हेमंत सरकार को करना है। गठबंधन ने जो वादे जनता से किये हैं, उन्हें पूरा करने के लिए सरकार क्या-क्या कदम उठाने जा रही है, इसपर सबकी निगाहें रहेंगी। गरीब, किसान, युवा, बेरोजगार सबकी उम्मीद है कि उसपर सरकार की नजरे इनायत होगी। गठबंधन के हर दल ने अलग-अलग घोषणा पत्र पर चुनाव लड़ा था। इनके न्यूनतम साझा कार्यक्रम का रास्ता भी बजट से निकलता दिखेगा। खाली खजाने को भरना और जनता से किये वादों को पूरा करना हेमंत सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। खजाने की स्थिति पर राज्य सरकार सोमवार ने सोमवार को ही श्वेत पत्र जारी कर दिया है। माना जा रहा है कि सरकार फिजुलखर्ची रोकने पर बल दे रही है और इसके साथ ही राजस्व उगाही बढ़ाने पर काम हो रहा है। बजट से जुड़ी संभावनाओं पर पेश है हमारे राज्य समन्वय संपादक दीपेश कुमार की रिपोर्ट।
तीन मार्च को पेश होने जा रहे राज्य बजट में बहुत हद तक यह साफ हो जायेगा कि आनेवाले वर्षों में गठबंधन सरकार का रास्ता क्या होगा। वैसे उम्मीद की जा रही है कि सरकार की प्राथमिकताओं में गांव, गरीब, किसान, युवा और बेरोजगारों से जुड़े मसले सबसे ऊपर होंगे। इनके लिए कई नयी योजनाएं सामने आ सकती हैं, वहीं पूर्व की सरकार द्वारा लागू की गयी कई योजनाओं को बंद किया जा सकता है। उन योजनाओं को स्थगित किया जायेगा, जिन पर अत्यधिक धन व्यय किये जाने के बावजूद बेहतर परिणाम हासिल नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में तेजी से विकास का काम करने की वचनबद्धता दोहरायी है। विधानसभा चुनाव के वक्त जनता से किये गये वादों को पूरा करने के उपाय बजट में होंगे, यह तय माना जा रहा है। सरकार ने किसानों की ऋण माफी, बिजली, बेरोजगार पेंशन और वृद्धावस्था पेंशन जैसी आम लोगों से जुड़ी सुविधा को प्राथमिकता सूची में रखा है। किसानों की ऋण माफी का जो वादा गठबंधन के तमाम दलों ने किया है, उसे पूरा करने के लिए प्रथम चरण में दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जा सकता है।
गरीबों को 72 हजार रुपये सालाना
झारखंड मुुक्ति मोर्चा ने चुनाव पूर्व जारी किये गये अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जायेगी। कांग्रेस ने भी लोकसभा चुनाव के पूर्व अपने घोषणापत्र में न्याय योजना के तहत इसी तरह की सहायता देने की घोषणा की थी। माना जा रहा है कि इस बजट में हेमंत सोरेन की सरकार इससे संबंधित योजना की रूपरेखा पेश कर सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले भी कह चुके हैं कि उनकी सरकार गरीबों का जीवन बेहतर और उनकी दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए हरसंभव कदम उठायेगी।
दस रुपये में धोती, साड़ी, लुंगी योजना
गरीबों के जीवन स्तर में सुधार आये, इसके लिए सरकार महज दस रुपये में धोती, साड़ी, लुंगी योजना शुरू करेगी, इसके संकेत मिल चुके हैं। इसके पहले भी जब राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार की थी तब सोना-सोबरन धोती-साड़ी योजना शुरू की गयी थी। रोटी-कपड़ा-मकान की मौलिक जरूरतों को केंद्र में रखकर बजट में कई उपबंध शामिल किये जायेंगे।
शुरू किये जायेंगे दाल भात केंद्र
गरीब परिवारों के लिए 72 हजार रुपये सालाना देने की व्यवस्था के साथ सरकार सार्वजनिक स्थानों पर बिरसा दाल-भात योजना केंद्र खोलेगी, जहां लोग महज पांच रुपये में पेट भर भोजन खा सकेंगे।
बिना गारंटी 50 हजार रुपये का कर्ज
सीएम हेमंत सोरेन चाहते हैं कि झारखंड के प्रत्येक गांव में किसान और महिला बैंक की स्थापना की जाये, जहां 50 हजार रुपये तक कर्ज बिना गारंटर आधार कार्ड पर मिल सके, ताकि खेती-किसानी करने वाले लोग और अन्य ग्रामीणों को आसानी से पचास हजार रुपये तक लोन मिल सके और वह अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें। वह इसकी चर्चा पहले ही कर चुके हैं। संभव है कि बजट में इसकी घोषणा हो जाये।
बेरोजगारों को मासिक भत्ता
झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद तीनों दलों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में बेरोजगारों को मासिक भत्ता देने का वादा किया था। झामुमो के घोषणापत्र में कहा गया था रोजगार मिलने तक स्नातक पास युवाओं को पांच हजार और स्नातकोत्तर उत्तीर्ण युवाओं को सात हजार प्रतिमाह दिया जायेगा। तय है कि बजट में बेरोजगारों के लिए मासिक भत्ता की व्यवस्था की जायेगी। इसके अलावा बेरोजगारों को रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवाने के लिए विशेष योजनाएं भी लायी जा सकती हैं। 12वीं पास करने के बाद राज्य के सभी स्थानीय युवाओं को पढ़ाई में सहयोग के लिए चार लाख रुपये तक का स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने की योजना भी लायी जा सकती है
गरीबों की बेटी की शादी में मदद
गरीब परिवारों को सभी सुविधाओं के साथ आवास के लिए तीन लाख रुपये दिये जाने की योजना लायी जा सकती है। इसके अलावा गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की बेटियों की शादी के लिए स्वर्ण सिक्का, गृहस्थी का सारा सामान दिये जाने से जुड़ी योजना भी लाये जाने की चर्चा है।
चुनौतियों की भरमार
बजट को लेकर हेमंत सरकार के सामने कई चुनौतियां भी हैं। राजस्व उगाही, केंद्रीय सहायता और जनता से किये वादों को पूरा करने का स्वाभाविक दबाव है। गठबंधन में शामिल दलों के वादों को पूरा करने को लेकर उनकी जद्दोजहद से तालमेल बिठाना भी कम कठिन नहीं होगा। केंद्र से जीएसटी का शेयर नहीं मिलने के कारण वित्त विभाग की स्थिति पतली होती जा रही है। अभी केंद्र से अनुमानित राशि का एक चौथाई भाग मिला है, जिससे थोड़ी सी स्थिति सुधरी है। कई योजनाओं की राशि नहीं दी जा रही है। इसका सीधा असर लाभुकों पर पड़ रहा है।
राजस्व संग्रह को लेकर प्रयास तेज
राज्य का खाली खजाना कैसे भरा जाये, इस पर अभी हेमंत सरकार का मुख्य फोकस है। इसके लिए राजस्व वसूली के प्रयास तेज कर दिये गये हैं। खनन और उत्पाद एवं मद्य निषेद्य विभाग इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। फिजूलखर्ची रोकने के लिए पिछली सरकार की कुछ योजनाओं को बंद कर नयी योजनाएं लायी जा सकती हैं। कुछ योजनाओं का स्वरूप भी बदला जा सकता है। मद्य निषेद्य विभाग और खनन विभाग को शराब और बालू तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया गया है।
आत्म निर्भर होने की कोशिश
बजट में सरकार का विशेष जोर अपने कर राजस्व पर होगा, ताकि केंद्र सरकार पर निर्भरता कम हो सके। राज्य सरकार के अपने संसाधनों का बजट में योगदान महज 25 फीसदी के आसपास बताया जाता है। यदि इसमें गैर कर राजस्व को भी जोड़ दिया जाये, तो भी यह 37 फीसदी के दायरे में रहता हैं। सीएजी भी इस पर चिंता जता चुका है। पूरी तरह से निर्भरता केंदीय अनुदान और केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी पर ही है।
बढ़ता कर्ज बढ़ा रहा चिंता
राज्य पर बढ़ता कर्ज भी सरकार की चिंता बढ़ा रहा है। झारखंड सरकार पर इस वक्त 85 हजार 234 करोड़ का कर्ज है। 2014 में जब रघुबर दास ने सरकार संभाली थी, तब राज्य पर 37 हजार 593 करोड़ रुपये का कर्ज था। ऐसे में खाली खजाने के साथ हेमंत सरकार को सिर पर कर्ज के बोझ का ख्याल रखना होगा।
किसानों की ऋण माफी के लिए राशि जुटाना
किसानों की ऋणमाफी पर भारी भरकम राशि खर्च होगी। राज्य सरकार फिलहाल 1800 से 2000 करोड़ इस मद में खर्च कर सकती है। किसान सरकार की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर हैं और कांग्रेस तथा झामुमो के एजेंडे में ऋण माफी शामिल है। सरकार की सबसे बड़ा चुनौती भी किसानों की ऋणमाफी ही है। इसपर करीब 7000 हजार करोड़ खर्च का आकलन किया गया है। इससे राज्य के सरकारी खजाने पर बोझ पड़ेगा और इसका समावेश कैसे होगा, यह सरकार के लिए बेहद ही चुनौतीपूर्ण होगा।
महिलाएं और पारा शिक्षक
महिलाओं को सरकारी नौकरी में 50 फीसदी आरक्षण देना और पारा शिक्षकों को स्थायी करना आसान नहीं है। सरकार ने चुनाव के दौरान दोनों से वादे किये हैं कि उनकी सारी समस्याएं खत्म होंगी और स्थायी समाधान निकलेगा। इससे इस वर्ग की अपेक्षाएं भी सरकार से जुड़ गयी हैं। पारा शिक्षकों के वेतनमान को लेकर बैठक भी हो चुकी है और आगामी बजट में इसे शामिल किया जा सकता है।
बेरोजगारी दूर करने उपाय तलाशना
राज्य के हर पांच युवा में एक बेरोजगार है। बेरोजगारी के मामले में झारखंड देश में पांचवें स्थान पर है। सैंपल सर्वे आॅफिस की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड देश के उन 11 राज्यों में शामिल है, जहां बेरोजगार की दर सर्वाधिक है। इसे देखते हुए हेमंत सरकार नयी नियुक्तयों के प्रयास तेज करने का इशारा अपने कार्यों से दे चुकी है। सभी नियोजनालयों को फिर से सक्रिय किया जा रहा है। जेपीएससी और जेएसएससी को नयी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये गये हैं। बेरोजगारी भत्ता लागू कर फिलहाल युवाओं की परेशानी कुछ कम की जा सकती है।