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    Home»रोचक पोस्ट»इतिहास के पन्नों मेंः 18 मार्च
    रोचक पोस्ट

    इतिहास के पन्नों मेंः 18 मार्च

    sonu kumarBy sonu kumarMarch 18, 2021No Comments3 Mins Read
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    इतिहास के पन्नों में दर्ज कई दूसरी तारीखें जिस तरह अपने समय की कुछ खास कहानियों को बयां करती हैं, 18 मार्च का इतिहास भी इस लिहाज से कुछ अलग है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मोड़ अहम हो या फिर भारत में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन, 18 मार्च इन घटनाक्रमों का साक्षी रहा है।
    रॉलेट एक्टः 18 मार्च 1919 को रॉलेट एक्ट पारित किया गया। इसने 1915 में पारित डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट की जगह ली। इस नये कानून के जरिये भारतीय नागरिकों के अधिकारों को कुचलने का सुनियोजित पड्यंत्र किया गया। ब्रिटिश हुकूमत ने 1917 में न्यायाधीश सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जिसे कथित आतंकवाद को कुचलने के लिए प्रभावी योजना का निर्माण करना था। दरअसल, ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारतीय जनता में तीव्र असंतोष पनप रहा था और देशभर में इसके खिलाफ हथियारबंद विद्रोह हो रहा था। इसी असंतोष को कुचलने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया था जिसके जरिये ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार हासिल हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में मुकदमा चलाए बिना उसे जेल में बंद कर सकती है। इस कानून के तहत आरोपी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले का नाम भी जानने का अधिकार नहीं था।
    आगे चलकर इस कानून का पूरे देश में जमकर विरोध हुआ। महात्मा गांधी ने इसके खिलाफ अपना पहला राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन शुरू किया। मोहम्मद अली जिन्ना और पंडित मदन मोहन मालवीय ने इस कानून के विरोध में केंद्रीय व्यवस्थापिका की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। इस कानून के विरोध की आग राष्ट्रीय स्तर पर फैलती हुई पंजाब पहुंची। अमृतसर के दो बड़े सामाजिक नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू गिरफ्तार किये गए। जिसे लेकर पूरे पंजाब में नाराजगी फैल गयी। 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी वाले दिन जलियांवाला बाग में विरोध सभा का आयोजन हुआ। जहां जनरल डायर की बर्बर और खूनी कार्रवाई ने सैकड़ों निर्दोष लोगों की लाशें बिछा दीं।
    विश्व पुस्तक मेलाः भारतीय पाठकों को दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में लिखी जा रही किताबें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1972 में पहली बार 18 मार्च से 4 अप्रैल तक राजधानी के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। इस पुस्तक मेले में 200 से अधिक प्रकाशकों ने हिस्सा लिया। तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरी ने पुस्तक मेले का उद्घाटन किया था। इस आयोजन का सिलसिला अब अधिक भव्यता के साथ चलता रहा है। भारतीय लेखकों व पाठकों में पुस्तक मेले को लेकर खासी दिलचस्पी देखी जाती है। ख़ासतौर पर डिजिटल माध्यमों से मिल रही कड़ी चुनौतियों और पुस्तकों में घटती रुचि के बीच विश्व पुस्तक मेले की सफलता एक नया संदेश देती है।
    अन्य अहम घटनाएंः
    1801ः भारत में हथियार बनाने का पहला कारखाना स्थापित किया गया।
    1858ः डीजल इंजन के खोजकर्ता रुडोल्फ डीजल का जन्म।
    1814ः  आजाद हिंद फौज के अधिकारी गुरबख्श सिंह ढिल्लों का जन्म।
    1922ः  महात्मा गांधी को कारावास की सजा सुनाई गई।
    1938ः  हिन्दी सिनेमा के मशहूर अभिनेता और पद्मभूषण व दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित शशि कपूर का कलकत्ता में जन्म।
    1944ः नेताजी सुभाषचंद्र बोस की अगुवाई में आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पार कर भारत में प्रवेश किया।
    1965ः रूसी अंतरिक्ष यात्री एलेक्सी लियोनव अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले पहले व्यक्ति बने।
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    sonu kumar

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