रांची : एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि राज्य में रेंजर और फोरेस्टर के कितने पद खाली हैं? इसके साथ ही अदालत ने पलामू टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ वर्षों में हुई एक हाथी और बाघिन की मौत की जानकारी छुपाये जाने पर कड़ी नाराजगी जतायी है. झारखंड हाई कोर्ट ने लातेहार में हुई हाथी व हाथी के बच्चे की मौत पर स्वत: संज्ञान लिया था. जिसे जनहित याचिका में तब्दील कर चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ सुनवाई कर रही है.

अदालत हस्तक्षेप याचिका पर भी राज्य सरकार से जवाब मांगा
मामले में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले राज्य के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय की ओर से उपस्थित अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय के मुताबिक शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत हस्तक्षेप याचिका पर भी राज्य सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पियूष चित्रेश एवं केंद्र सरकार की ओर से एएसजीआई प्रशांत पल्लव अदालत के समक्ष उपस्थित हुए. मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 मार्च की तारीख मुकर्रर की गई है.

पलामू टाइगर रिजर्व में कई तरह की अनियमितता है
बता दें कि विधायक सरयू राय ने झारखंड हाईकोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की है.जिसमें कहा गया है कि पलामू टाइगर रिजर्व में कई तरह की अनियमितता है और वहां वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण पिछले कुछ वर्षों में एक हाथी और एक शेरनी की जान जा चुकी है. हस्तक्षेप याचिका में इस बात की और भी  अदालत का ध्यान आकृष्ट कराया गया है कि पलामू टाइगर रिजर्व में केंद्र सरकार द्वारा वन संरक्षण के लिए मिले कैम्पा फंड से बाउंड्री वाल खड़ी कर दी गयी है. जिसके कारण जंगली जानवरों का प्राकृतिक रास्ता अवरुद्ध हो गया है. वहीं पीटीआर में 100 वाच टावरों बनाये गए हैं लेकिन वो कार्यरत नहीं है. हस्तक्षेप याचिका में सभी  बिन्दुओं से कोर्ट को अवगत कराते हुए कई तस्वीरें और अन्य दस्तावेज भी मुहैया कराये गए हैं और अदालत से यह आग्रह किया गया है कि कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किये गए जनहित याचिका में उन्हें इंटरवेनर के रूप में रखा जाये.

 

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