राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि झारखंड में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। हमारा राज्य प्राकृतिक दृष्टिकोण से अत्यन्त समृद्ध और भाग्यशाली है। यह राज्य के विकास एवं राजस्व में अहम भूमिका का निर्वाह कर सकता है। हमें इसे और विकसित करने की आवश्यकता है। वे शुक्रवार को होटल प्रबंधन संस्थान द्वारा प्रमोशन एंड एडवर्टिजमेंट ऑफ लीश्योर एक्टिविटीज फॉर सूस्टैनेबिलिटी ऑफ हॉस्पिटलिटी (पलाश) विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राज्य में अपेक्षित गति से पर्यटन का विकास नहीं हुआ है। इसमें हम सभी को योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की जरूरत है। पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध कराना होगा ताकि राज्य के पर्यटन स्थलों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हो और लोग यहां आने के प्रति अधिक-से-अधिक आकर्षित हो। झारखंड भारत ही नहीं, विश्व के लिए भी ऐतिहासिक है। झारखंड के पठार, पर्वत हिमालय से भी पुराना है।
उन्होंने कहा कि आज भारत विभिन्न श्रेणी के पर्यटन के लिए जाना जाता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्टता और संस्कृति है। यहां के विभिन्न क्षेत्र अपने मौसम, नदियों, वन, द्वीपों, पर्वत एवं पठारों आदि प्राकृतिक विशेषताओं से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। साथ ही यहां पाये जाने वाली विविधता और सांस्कृतिक विरासत विदेश से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण के अहम केंद्र हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा देश धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यन्त समृद्ध है। यहां बड़ी संख्या में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के साथ विभिन्न धर्मों के प्रवर्तकों की जन्मस्थली भी है, जिससे अन्य एशियाई देशों के पर्यटक काफी संख्या में आते हैं। पर्यटन की सफलता सुविधाओं के विकास पर भी निर्भर करती है। साथ ही जनता का पर्यटकों के प्रति व्यवहार भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जनता का आथित्य और शिष्टता पर्यटकों को आकर्षित करती है।





