भाजपा विधायक बिरंची नारायण ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से झारखंड, वनांचल और जेपी आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की मांग उठायी। उन्होंने कहा कि अलग राज्य बनाने के लिए झारखंड और वनांचल के नाम पर बृहत आंदोलन अलग-अलग विचारधारा के लोगों ने किया था। लेकिन कई लोगों ने जिन्होंने वनांचल नाम से आंदोलन किया, उनका नाम छोड़ दिया गया। बिरंची ने बताया कि पूर्व सांसद रामदास सिंह, पूर्व विधायक छत्रुराम महतो समेत दर्जनों नाम नहीं जोड़े गए।

मंत्री आलमगीर आलम ने जवाब देते हुए कहा कि झारखंड हो या वनांचल सारे नामों से आंदोलन करने वालों को चिन्हित कर सम्मान दिया जायेगा। मंत्री ने कहा कि अलग राज्य के लिए जिस नाम से भी आंदोलन हुए, सभी को चिन्हित कर सम्मान दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन का मामला झारखंड आंदोलन से नहीं जुड़ा है।

मंत्री के जवाब पर सीपी सिंह ने आपत्ति जताई कि जेपी आंदोलन संयुक्त बिहार में हुआ था, तब झारखंड भी बिहार का हिस्सा था। वह खुद आंदोलन में छह माह जेल में रहे, लेकिन उन्हें कभी आयोग ने आंदोलनकारी के तौर पर चिन्हित नहीं किया। वहीं सरयू राय ने सूचना दी कि झारखंड में जेपी आंदोलनकारियों को पेंशन बिहार की तर्ज पर दी जाए, बिहार सरकार ने पेंशन बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को कुछ जिलों में कई माह से पेंशन नहीं मिला है।

झारखंड आंदोलनकारियों को चिन्हित किए जाने की बात को लेकर पक्ष-विपक्ष में तकरार हुई। विधायक सुदिव्य सोनू ने मंत्री के जवाब के दौरान कहा कि वनांचल आंदोलन के नाम पर भाजपा आंदोलन को तोड़ रही थी, तब बिरंची ने कहा की दिल्ली की मंडी में आंदोलन बेचने वाले यहां बात ना करें।

वहीं भाजपा विधायक ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है, तब एक सदस्य इस तरह व्यवधान डाल रहे हैं, सदस्य से वह वरिष्ठ हैं, लेकिन पहली बार चुन कर आए सदस्य सुपर मंत्री की तरह व्यवहार ना करें। इसपर अमर बाउरी ने भी कहा कि माननीय सदस्य को मंत्री बना देना चाहिए। बिरंची ने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने झारखंड राज्य दिया, उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए वनांचल का नाम झारखंड किया।

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