चैत्र मास को मनाया जाने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ का समापन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ मंगलवार को संपन्न हुआ।प्रकृति प्रदत्त सामानों के साथ मनाया जाने वाला छठ को लेकर बीते शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया और आज सुबह छठव्रतियों ने पानी में खड़ा होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर नमन किया।
चैती छठ को लेकर आस्था दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।यही कारण है कि परमान नदी सहित विभिन्न तालाबों,पोखर,नहर के साथ घरों में भी गड्ढे बनाकर उसमें जल भरकर छ्तहव्रतियों ने उसमे खड़े होकर भगवान भास्कर को अराधना की।चैती छठ को लेकर अररिया में खासा उत्साह देखा गया।विभिन्न घाटों को छठव्रतियों के द्वारा आकर्षक ढंग से सजाया गया था।घाटों पर रोशनी के लिए लाइटिंग की व्यवस्था छठव्रतियों के द्वारा की गई थी।
हिंदी पट्टी क्षेत्रों में मनाया जाने वाला लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार में खासा उत्साह देखा जाता है।नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में पवित्रता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है।नहाय खाय के बाद अगले दिन छठव्रती अगले दिन करना का पूजन करती है।जिसमे खीर रोटी और केला को प्रसाद के रूप में छठव्रती ग्रहण करने के बाद निर्जला व्रत शुरू करती है और फिर अगले दिन डूबते सूर्य को और फिर चौथे दिन अंतिम दिन साक्षात देव उगते हुए सूर्य की पूजा अर्चना करती है।यह पर्व काफी कठिन माना जाता है और इसके प्रति बिहारी समाज में विशेष आस्था देखी जाती है।