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    Home»Breaking News»काशी गौरी पूजन में लीन, घरों में चंडीपाठ और माता रानी का जयकारा
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    काशी गौरी पूजन में लीन, घरों में चंडीपाठ और माता रानी का जयकारा

    azad sipahiBy azad sipahiMarch 22, 2023No Comments3 Mins Read
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    -मुख निर्मालिका गौरी और मां शैलपुत्री के दरबार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, दर्शन-पूजन के लिए लंबी कतार

    वाराणसी। काशी पुराधिपति की नगरी वासंतिक चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बुधवार को आदि शक्ति के गौरी और जगदम्बा स्वरूप के पूजन अर्चन में लीन है। परम्परानुसार आदि शक्ति के गौरी स्वरूप मुख निर्मालिका गौरी और शक्ति स्वरूपा जगत जननी शैलपुत्री के दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालु मौसम की तमाम दुश्वारियों बारिश और ओलावृष्टि के बावजूद आधीरात के बाद से ही दरबार पहुंचते रहे।

    भोर में माता रानी के मंगला आरती के बाद दरबार में लोगों ने हाजिरी लगाई। दोनों देवी मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए बैरिकेडिंग में कतारबद्ध श्रद्धालु नारियल, अढ़हुल की माला और चुनरी हाथ में लेकर मां का गगनभेदी जयकारा लगाते रहे। नवरात्र के पहले दिन अलसुबह से ही घरों सहित छोटे— बड़े देवी मंदिरो में देवी गीतों, दुर्गा सप्तशदी, चंडीपाठ के स्वर गूंजने लगे। हवन पूजन में इस्तेमाल धूप, कपूर, अगरबत्ती, दसांघ समिधा, सांकला का धुआ माहौल को आध्यात्मिक बनाता रहा । जिन घरों और मंदिरों में पूरे नवरात्रि भर पाठ बैठाना था, वहां घट स्थापना मुर्हूत में हुई।

    चैत्र नवरात्रि में पहले दिन (प्रथमा) को गायघाट स्थित मुख निर्मालिका गौरी के दरबार में मत्था टेकने के लिए आधीरात के बाद से ही कतार लगी रही। अलईपुर स्थित मां शैलपुत्री का आंगन और उनके दरबार की ओर जाने वाला मार्ग श्रद्धालुओं की भीड़ से पटा रहा। मंदिर में नियमित दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालु विकास मिश्र,आनंद शंकर चौबे,प्रदीप गुप्ता ने बताया कि माता का मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। आदि शक्ति के मां शैलपुत्री रूप के दर्शन करने से मानव जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवती दुर्गा का प्रथम स्वरूप भगवती शैलपुत्री के रूप में है। हिमालय राज के घर जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्री कहा जाता है। भगवती का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। इन्हें पार्वती स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप ने ही शिव की कठोर तपस्या की थी और इनके दर्शन मात्र से सभी वैवाहिक कष्ट दूर हो जाते हैं।

    उधर,चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ज्यादातर लोग आदि शक्ति के प्रति श्रद्धा जताने के लिए चढ़ती उतरती के क्रम में पहले दिन व्रत पर हैं। उधर, लाखों महिलाओं और श्रद्धालुओं ने पूरे नौ दिन व्रत रखने का संकल्प लिया और पहले दिन से पूरे आस्था के साथ इसकी शुरूआत कर दिया। इस बार चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन नौका पर हुआ। नौका पर मां दुर्गा का आगमन शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। नवरात्रि के नौ दिन भक्त मां दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त उपवास भी करते हैं। शिवाराधना समिति के डॉ. मृदुल मिश्र बताते है कि इस साल 110 साल बाद शुभ योग बन रहा है। इस बार नव गौरी पूरे नौ दिन की रहेंगी। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा के दिन पांच राजयोग (नीचभंग, बुधादित्य, गजकेसरी, हंस और शश) बन रहे हैं। महानवमी के दिन चार शुभ योग बन रहे हैं। दुर्गा नवमी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग है। गुरु पुष्य योग रात 10ः 59 से सुबह 6ः13 तक है। अमृत सिद्धि योग भी रात 10ः59 से सुबह 6ः13 बजे तक है।

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