नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच शिवसेना मामले पर कल यानी 16 मार्च को भी सुनवाई जारी रखेगी। आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात पर सवाल उठाया कि अगर शिंदे गुट के विधायकों को उद्धव के कांग्रेस-एनसीपी से गठबंधन पर एतराज था, तो वह तीन साल तक सरकार के साथ क्यों रहे।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिवसेना विवाद मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल पर भी सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले में राज्यपाल की भूमिका को लेकर चिंतित है। कोर्ट ने कहा राज्यपाल को इस तरह विश्वास मत नहीं बुलाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि नया राजनीतिक नेता चुनने के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि किसी पार्टी में नीति संबंधी मतभेद है, तो क्या राज्यपाल विश्वास के वोट को साबित करने को कहा सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि उनको खुद यह पूछना चाहिए था कि तीन साल की सुखद शादी के बाद क्या हुआ। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने कैसे अंदाजा लगाया कि आगे क्या होने वाला है।
आज निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर उद्धव ठाकरे की ओर से रखी गई दलीलों का विरोध किया। निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसका फैसला प्रशासनिक नहीं बल्कि अर्ध-न्यायिक था। निर्वाचन आयोग ने कहा कि फैसला लेने वाली संस्था को पक्षकार बनाकर जवाब नहीं मांगा जा सकता है।