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    Home»राजनीति»लोकसभा चुनाव : पलामू संसदीय सीट पर कांटे की टक्कर के आसार
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    लोकसभा चुनाव : पलामू संसदीय सीट पर कांटे की टक्कर के आसार

    adminBy adminMarch 15, 2024No Comments7 Mins Read
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    रांची। झारखंड की पलामू लोकसभा सीट का इतिहास काफी पुराना है। पलामू लोकसभा सीट का गठन दो जिलों पलामू और गढ़वा के हिस्सों को लेकर किया गया है। पलामू जिले को डाल्टनगंज के नाम से भी जाना जाता है। पलामू में कभी चेरों राजा का शासन हुआ करता था। उन्होंने यहां पलामू का किला बनवाया था।

    जंगल और पहाड़ों से घिरे इस खूबसूरत लोकसभा क्षेत्र से फिलहाल भाजपा के सांसद विष्णु दयाल राम हैं। शुरुआत में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की लेकिन 1984 के बाद से कांग्रेस यह सीट जीत नहीं पाई है। भले ही यहां से भाजपा लगातार दो बार से चुनाव जीत रही हो लेकिन इस सीट पर राजद की भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस बार भी भाजपा ने विष्णु दयाल राम पर ही विश्वास जताया है। ऐसे में 2024 चुनाव में कांटे की टक्कर हो सकती है।

    पलामू सीट पर छह बार कांग्रेस रहा है दबदबा

    पलामू सीट पर 1952 से अब तक हुए चुनावों में यहां सबसे ज्यादा छह बार कांग्रेस पार्टी ने चुनाव जीते हैं।भाजपा ने पांच बार इस सीट पर कब्जा किया है। पलामू लोकसभा सीट का गठन भारत की आजादी के बाद हुआ। पहले इस लोकसभा सीट का नाम पलामू-हजारीबाग-रांची था। 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिन्हा ने यहां से जीत हासिल की। हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जेठन सिंह खरवार भी मैदान में थे। झारखंड पार्टी की उम्मीदवार एलिस कुजूर तीसरे स्थान पर रहीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिंह को 18.4 फीसदी वोट मिले जबकि झारखंड पार्टी को 15.9 फीसदी वोट मिले।

    1952 के बाद 1957 में फिर से चुनाव हुए। इस लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गजेंद्र प्रसाद सिंह फिर से यहां से विजयी हुए। इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को कुल 40.8 प्रतिशत वोट मिले। छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी के उम्मीदवार राम अवतार शर्मा को 24.8 फीसदी वोट मिले, जबकि झारखंड पार्टी को 15.1 फीसदी वोट मिले।

    1962 में शशांक मंजरी पलामू के सांसद बने

    1962 के चुनाव में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार शशांक मंजरी पलामू के सांसद बने। उन्हें कुल 56.1 फीसदी वोट मिले जबकि पहली और दूसरी लोकसभा चुनाव में विजयी रहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद गजेंद्र प्रसाद सिंह को हार का सामना करना पड़ा, उन्हें कुल 25.6 फीसदी वोट मिले। 1967 के लोकसभा चुनाव में पलामू सीट पर फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कब्जा जमाया। हालांकि, इस बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था और कमला कुमारी को मैदान में उतारा था। कांग्रेस उम्मीदवार को कुल 41.2 फीसदी वोट मिले जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी को 22.6 फीसदी वोट मिले। 71 के लोकसभा चुनाव में यहां एक बार फिर से कांग्रेस की जीत हुई और उसकी उम्मीदवार कमला कुमारी को पूरे 50 फीसदी वोट मिले। दूसरे स्थान पर भारतीय जनसंघ रहा, जिसके उम्मीदवार रामदेव राम को 30 फीसदी वोट मिले।

    1977 में रामधनी राम ने जीत हासिल की

    1977 के लोकसभा चुनाव में पलामू में बदलाव हुआ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लगातार दो बार विजयी रहीं कमला कुमारी को इस बार हार का सामना करना पड़ा। पलामू सीट पर भारतीय लोक दल के उम्मीदवार रामधनी राम ने जीत हासिल की। उन्हें कुल 76.01 फीसदी वोट मिले जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कमला कुमारी को सिर्फ 14.7 फीसदी वोट मिले।

    1980 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर अपनी खोई हुई सीट पर कब्जा कर लिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की कमला कुमारी को 47 प्रतिशत वोट मिले जबकि रामधनी राम को 30.5 फीसदी वोट मिले। उन्होंने पार्टी बदल ली थी और जनता पार्टी से चुनाव लड़ा था। 1984 के चुनाव में कांग्रेस दोबारा जीतकर आई। कांग्रेस की कमला कुमारी को 71.2 फीसदी वोट मिले जबकि जनता पार्टी के रामसुंदर दास यहां से चुनाव मैदान में थे और उन्हें 19.5 फीसदी वोट मिले।

    1989 में जनता दल के जोरावर राम ने कब्ज़ा जमाया

    1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जनता दल के खाते में चली गयी। जनता दल के जोरावर राम ने सीट पर कब्ज़ा जमाया, जिन्हें कुल 36.5 फीसदी वोट मिले। भाजपा के रामदेव राम को 27.9 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस की कमला कुमारी को 22.8 फीसदी वोट मिले। 1991 के दशक में पलामू सीट पर एक बार फिर परिवर्तन हुआ और 1991 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में गयी। भाजपा के रामदेव राम को कुल 37.3 फीसदी वोट मिले। दूसरे स्थान पर जनता दल के जोरावर राम रहे, जिन्हें कुल 31.6 फीसदी वोट मिले। जबकि इंडियन नेशनल कांग्रेस की कमला कुमारी को 13.4 फीसदी वोट मिले।

    1996 में भाजपा ने जीत दर्ज की

    1996 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 42.4 फीसदी वोट पाकर इस सीट पर फिर कब्जा कर लिया। हालांकि, भाजपा ने यहां से अपना उम्मीदवार बदल दिया था। 1991 में भाजपा के सांसद रामदेव राम की जगह बृजमोहन राम को टिकट दिया गया। दूसरे स्थान पर जनता दल से उदय नारायण चौधरी चुनाव लड़े थे और उन्हें कुल 31.20 वोट मिले थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राधा कृष्ण किशोर को केवल 10.5 प्रतिशत वोट ही मिल सके।

    1998 के चुनाव में भाजपा ने पलामू सीट पर जीत हासिल की। भाजपा के बृजमोहन राम को कुल 52.6 फीसदी वोट मिले जबकि राजद के उदय नारायण चौधरी को कुल 39.20 वोट मिले थे। 1999 के चुनाव में पलामू सीट भाजपा के कब्जे में ही रही। यहां से भाजपा के बृजमोहन राम को 52.6 फीसदी वोट मिले। वहीं, इस बार राजद ने अपना उम्मीदवार बदल कर जवाहर राम को टिकट दिया था, जवाहर राम को यहां कुल 36.01 फीसदी वोट मिले।

    झारखंड विभाजन से पहले भाजपा लगातार चार बार विजयी रही

    झारखंड विभाजन से पहले भाजपा पलामू सीट पर लगातार चार लोकसभा चुनावों में विजयी रही थी। 1991, 1996, 1998 और 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में पलामू सीट भाजपा के पास रही। बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में पलामू सीट राजद के खाते में चली गयी। 2004 के लोकसभा चुनाव में राजद के मनोज कुमार भुइयां ने 32.2 फीसदी वोट पाकर पलामू सीट से जीत हासिल की थी। भाजपा के चार बार के विजयी उम्मीदवार बृजमोहन राम को 23.6 फीसदी वोट मिले। जनता दल यूनाइटेड के राधा कृष्ण किशोर को 16.6 फीसदी वोट मिले।

    2009 के लोकसभा चुनाव में राजद पलामू से हार गई। यहां राजद ने अपना उम्मीदवार बदल दिया था। राजद ने घूरन राम को अपना उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में पलामू लोकसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कामेश्वर बैठा ने जीत हासिल की, जिन्हें कुल 25.8 फीसदी वोट मिले जबकि राजद को 22.02 फीसदी, झारखंड विकास मोर्चा को 13.99 फीसदी और जनता दल यूनाइटेड को 10 फीसदी वोट मिले।

    2014-2019 में भाजपा फिर कब्जा जमाया

    भारतीय राजनीति में 2014-2019 मोदी लहर का चुनाव माना जाता है। इसका असर पलामू में भी देखा गया। पलामू से भाजपा के विष्णु दयाल राम, जो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी भी थे, उन्होंने पलामू सीट से जीत हासिल की। उन्हें कुल 48.8 फीसदी वोट मिले। राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार को 21.8 फीसदी और झारखंड विकास मोर्चा के घूरन राम को 16 फीसदी वोट मिले। 2019 के चुनाव में भी पलामू सीट भाजपा के खाते में गई थी। 2014 चुनाव के विजयी उम्मीदवार विष्णु दयाल राम को भाजपा ने फिर अपना उम्मीदवार बनाया और भाजपा को कुल 62.5 वोट प्राप्त हुआ। दूसरे स्थान पर राजद के घूरन राम रहे, जिन्हें 23 फीसदी वोट मिले।

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