नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी पांच गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज मामूली 8 बिलियन डॉलर की है लेकिन हमारा अनुमान है कि 2040 तक यह कई गुना बढ़ जाएगी। कुछ अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अनुसार 2040 तक 100 बिलियन डॉलर की क्षमता हो सकती है। जितेंद्र सिंह मंगलवार को अहमदाबाद में इन- स्पेस के तकनीकी केंद्र के शुभारंभ अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगाई गई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए खोलकर अतीत के बंधनों को तोड़ दिया है। हमारा अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम वर्ष 1969 में शुरू हुआ था। उसी वर्ष अमेरिका ने चंद्रमा पर पहला आदमी उतारा था लेकिन आज हम तेजी से अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे बढ़ने वाले देशों में शुमार हो गए हैं। पिछले साल चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग की। प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष बजट कई गुना बढ़ा दिया और अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी संस्थानों की भागीदारी के लिए खोल दिया।

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष बजट को देखें तो इसमें पिछले नौ वर्षों में 142 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग जैसे संबंधित बजट में तीन गुना या अधिक बढ़ोतरी हुई है। इनोवेटर्स, आरएंडडी और स्टार्टअप्स के लिए यह सबसे अच्छा समय है। प्रधानमंत्री मोदी ने सही पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान किया है, जो नवाचार का समर्थन करता है और उसे बढ़ाता है, उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है और एक संपन्न उद्योग को बढ़ावा देता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, 1990 के दशक से इसरो द्वारा लॉन्च किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 90 प्रतिशत से अधिक यानी 389 उपग्रह पिछले नौ वर्षों में लॉन्च किए गए। अब तक विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 174 मिलियन अमेरिकी डॉलर कमाए हैं। इन 174 मिलियन डॉलर में से 157 मिलियन डॉलर पिछले नौ वर्षों में ही कमाए गए हैं। पिछले नौ वर्षों में 223 मिलियन यूरो, लगभग 90 प्रतिशत राशि कमाई की गई है।

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