काठमांडू। नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह के राजशाही के वापसी के लिए किए जा रहे प्रयासों के समर्थन में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने एक माह के देशव्यापी आंदोलन के अपने कार्यक्रम की घोषणा की है। पार्टी इस अवधि में मौजूदा सरकार के खिलाफ विरोध सभा, धरना और प्रदर्शन करेगी। पार्टी 28 मार्च को काठमांडू में पूर्व राजा के समर्थन में होने वाले शक्ति (जन) प्रदर्शन में जोर-शोर से हिस्सा लेगी
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की दो दिनों तक चली आंदोलन समिति की बैठक के बाद आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई है। आंदोलन परिचालन समिति के संयोजक बनाए गए सासंद धवल शमशेर राणा ने आज सुबह संवाददाता सम्मेलन में रूपरेखा को सार्वजनिक किया है। राणा के मुताबिक सबसे पहले 28 मार्च को काठमांडू में होने वाले जन प्रदर्शन में शाह के समर्थन में सड़कों पर उतरा जाएगा।
पूर्व राजा ने नवराज सुवेदी के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है जिसके भीतर सभी राजसंस्था समर्थक राजनीतिक दल, संघ संगठन, समूह को शामिल किया गया है। 28 मार्च को नेपाल के विपक्षी दलों का मोर्चा भी राजसंस्था के विरोध में प्रदर्शन करने की तैयारी है।
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने 8 अप्रैल को काठमांडू में आमसभा करने की घोषणा की है। इस आमसभा में काठमांडू और आसपास के 10 जिलों से लोगों को बुलाकर प्रदर्शन करने की जानकारी दी गई है। राप्रपा के अध्यक्ष राजेन्द्र लिंगदेन ने कहा कि इस सभा के लिए पार्टी आज से जनसंपर्क अभियान शुरू कर आम लोगों से इस आंदोलन से जुड़ने की अपील करने वाली है।
उन्होंने बताया कि 10 अप्रैल से 20 अप्रैल तक देश के सभी प्रमुख शहरों में आमसभा, जुलूस प्रदर्शन और जिला प्रशासन मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करने का कार्यक्रम है। इसके बाद 20 अप्रैल से काठमांडू केंद्रित आंदोलन को आगे बढ़ाने की राप्रपा की योजना है। धवल शमशेर राणा ने कहा कि 20 अप्रैल से काठमांडू हर दिन कोई न कोई आंदोलन का कार्यक्रम रखा गया है।
आंदोलन के आखिरी चरण में राजदरबार के भीतर जाकर वहां प्रदर्शन करने की बात कही गई है। राणा ने बताया कि 24 अप्रैल को नारायणहिटी राजदरबार के आगे लाखों नेपाली जनता को उतारकर दरबार के भीतर राज को स्थापित करने की योजना है। 24 अप्रैल को ही तत्कालीन राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने निरंकुश राजशाही के अंत की घोषणा करते हुए लोकतंत्र की पुनर्बहाली की घोषणा इसी दरबार से की थी। बाद में सरकार ने राजा ज्ञानेन्द्र और उनके पूरे परिवार को राजदरबार खाली करने का आदेश दिया। इसके बाद ज्ञानेन्द्र शाह ने अपने परिवार सहित नारायणहिटी दरबार खाली कर दिया था।