नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संविधान संशोधन की समीक्षा या अपील का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। यह संसद की संप्रभुता, सर्वोच्चता और प्रासंगिकता से जुड़ा हुआ है। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही धनखड़ ने न्यायपालिका से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सदन के नेताओं के साथ बैठक का आह्वान किया। उन्होंने इस मुद्दे पर शाम साढ़े 04 बजे बैठक बुलाई है।

सभापति धनखड़ ने कहा कि इस सदन ने गरिमा को ध्यान में रखते हुए 2015 में सर्वसम्मति से एक कानूनी प्रणाली बनाई, जिसे राज्य विधानसभाओं ने समर्थन दिया। इसे राष्ट्रपति ने अनुच्छेद-111 के तहत अपने हस्ताक्षर करके मान्यता दी। अब हम सभी के लिए इसे दोहराने का उपयुक्त अवसर है। संविधान में संशोधन की समीक्षा या अपील का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। अगर संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा कोई कानून बनाया जाता है तो न्यायिक समीक्षा हो सकती है फिर चाहे वह संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप हो या नहीं।

उन्होंने कहा कि पहली बार अभूतपूर्व तरीके से भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सब कुछ सार्वजनिक करने की पहल की, लेकिन फिर विपक्ष के नेता की ओर से एक सुझाव आया और सदन के नेता ने इस पर सहमति जताई कि इस मुद्दे पर सदन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर आज विपक्ष के नेता के सुझाव और सदन के नेता की सहमति के अनुसार आज शाम 4.30 बजे सुविधानुसार बैठक निर्धारित की गयी है।

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