रांची। गोड्डा जिले में अडाणी पावर लिमिटेड द्वारा स्थापित पावर प्लांट को लेकर विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इसमें भूमि अधिग्रहण, ऊर्जा नीति के उल्लंघन, कोयला आपूर्ति और स्थानीय हितों की अनदेखी से जुड़े गंभीर आरोप लगाये गये।

सरकार का जवाब
सरकार ने स्वीकार किया कि झारखंड ऊर्जा नीति-2012 के तहत राज्य को 25% बिजली मिलनी चाहिए थी। 2016 में अडाणी पावर लिमिटेड के साथ हुए समझौते में यह प्रावधान था कि कंपनी 25% बिजली (400 मेगावाट) झारखंड को अन्य स्रोतों से उपलब्ध करायेगी, लेकिन यह आपूर्ति अभी तक नहीं की गयी है। कोयले की आपूर्ति को लेकर सरकार ने बताया कि यह कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2015 के तहत तय किया जायेगा। अन्य आरोपों पर विभागीय स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। अडाणी पावर लिमिटेड द्वारा झारखंड ऊर्जा नीति और भूमि अधिग्रहण कानूनों के उल्लंघन को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। सरकार ने बिजली आपूर्ति में गड़बड़ी को स्वीकार किया, लेकिन अन्य आरोपों पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

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