भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर कुलभूषण जाधव को कथिततौर पर जासूस बताकर पाक सैन्य कोर्ट ने फांसी की सजा सुनायी है। वहीं, इस समय भारतीय जेलों में पाकिस्तान के 30 जासूस और 235 पाकिस्तानी बंद हैं।

जाधव के खिलाफ सैन्य कोर्ट में चली कार्यवाही संदेह के घेरे में है, जबकि भारत में बंद पाक जासूसों को कानूनी मदद दी जाती है। इन 30 जासूसों सहित 265 पाकिस्तानी भारतीय जेलों में बंद हैं। इतना ही नहीं, 2015 में लश्कर ए तैयबा का आतंकी मोहम्मद नावेद गिरफ्तार किया गया था, जिसके खिलाफ जम्मू में एनआईए कोर्ट में केस चल रहा है। पाकिस्तान ने उसे अपना नागरिक मानने से ही इनकार कर दिया। हालांकि उसे भी कानूनी मदद दी जाती है।

अगस्त 2016 में पाक नागरिक नंदलाल महाराज को जैसलमेर से गिरफ्तार किया गया था। वह फेसबुक पर दो फर्जी अकाउंट बनाकर सीमावर्ती इलाके बाड़मेर और जैसलमेर जिले के लोगों से रणनीतिक सूचनाएं हासिल करता था। वहीं, यूपी एसटीएफ ने नवंबर 2015 में इस्लामाबाद के रहने वाले पाक जासूस मोहम्मद कलाम को मेरठ कैंट से पकड़ा था। वह आईएसआई एजेंट है। उसके पास से सेना के इस्तावेज, पाक आईडी प्रूफ, पश्चिम बंगाल का वोटर कार्ड, बरेली जिले के पते का आधार कार्ड मिला था।

जाधव की गिरफ्तारी संदेह के घेरे में
पाकिस्तानी सेना का दावा है कि तीन मार्च 2016 को कथित तौर पर ईरान से पाक के बलूचिस्तान प्रांत में घुसने के बाद जाधव को गिरफ्तार किया गया। लेकिन भारत ने दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर कहा था कि जाधव का पिछले साल ईरान से अपहरण किया गया था और पाकिस्तान में उनकी मौजूदगी के बारे में कभी भी विश्वसनीय जानकारी नहीं दी गई।

भारत सरकार ने अपने उच्चायोग के माध्यम से बार-बार उनसे अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप राजनयिक संपर्क स्थापित करने की अनुमति मांगी। 25 मार्च 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच ऐसे 13 औपचारिक अनुरोध किये गये लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उन्हें नहीं स्वीकार किया।

तमाम मीडिया रिपोर्टों में भी कहा गया है कि पेशे से कारोबारी जाधव को ईरान में सुन्नी जिहादी गुटों ने पकड़ा और पाकिस्तानी सुरक्षाबलों को सौंप दिया। इसके बाद पाक ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए जाधव को हथियार की तरह इस्तेमाल किया।

पाक के कैदियों की रिहाई रोकी
भारत ने जाधव के मामले में जवाबी कार्रवाई करते हुए पाक के दर्जन भर कैदियों की रिहाई न करने का फैसला किया है। इन कैदियों को बुधवार को छोड़ा जाना था। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार मानती है कि यह पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई का उचित समय नहीं है। दोनों देश सामान्य तौर पर सजा पूरी करने के बाद एक-दूसरे के कैदियों को रिहा कर देते हैं। लेकिन जाधव के खिलाफ पाक की कार्रवाई ने पूरे घटनाक्रम को बदल दिया।

गौरतलब है कि भारत ने कभी भी किसी पाक नागरिक को जासूसी के आरोप में फांसी की सजा नहीं दी है।

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