इस्लामाबाद: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाने पर पड़ोसी देश में भी अलग-अलग राय सामने आने लगी है। मशहूर पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने अपने संपादकीय में लिखा है कि इससे दोनों देशों के बीच परोक्ष कार्रवाई का दौर शुरू हो सकता है। एक अन्य समाचार पत्र ने आश्चर्य जताते हुए पूछा है कि कहीं पाक सेना ने जाधव को फांसी की सजा देने में जल्दबाजी तो नहीं की है।
डॉन ने अपने संपादकीय में कहा कि भारत तथा पाकिस्तान के बीच जासूसों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप सामने आते रहते हैं। जाधव का मामला नियमित कार्रवाई से काफी अलग है और यह एक देश का दूसरे देश की सुरक्षा तथा खुफिया प्रणाली के खिलाफ पूरी तरह से अस्थिर गुप्त कार्रवाइयों का दौर शुरू कर सकता है। डॉन ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि गुप्त तौर पर बातचीत या किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से जाधव मुद्दे पर भारत एवं पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में मदद मिलेगी और जासूसी के लेकर नये नियमों का सूत्रपात होगा। बता दें कि भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर जाधव को फांसी दी गयी, तो उसे सुनियोजित हत्या मानेगा।
पत्र आगे लिखता है, भारत-पाकिस्तान के संबंध पहले से ही तनावपूर्ण हैं और जाधव को फांसी की सजा का फैसला सुनाने से अनिश्चितता और बढ़ गयी है। समाचार पत्र ने कहा, जाधव की सजा के बावजूद कई अनसुलझे सवाल हैं। गौरतलब है कि जाधव को कथित तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी तथा विध्वंसकारी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान के माशकेल इलाके में गिरफ्तार किया गया था।
‘डेली टाइम्स’ ने पूछा है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने जाधव से सभी सूचनाएं प्राप्त की हैं या नहीं या उन्हें केवल जाधव को फांसी पर लटकाने की ही जल्दबाजी है। अखबार लिखता है कि जाधव की गिरफ्तारी तथा उन्हें सजा देना यह स्मरण कराता है कि निकट भविष्य में दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच जानलेवा छद्म युद्ध जारी रह सकता है। अखबार के मुताबिक, दोनों देशों को एक दूसरे के खिलाफ पैंतरेबाजी बंद कर शांतिपूर्ण संबंधों के पहलू पर काम करने के लिए वक्त आ गया है।

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