रांची: अखबार में छपती है कि आज पांच सौ बिना हेलमेटवालों को पकड़ा और तीन लाख रुपये वसूले। दरअसल, यह खबर नहीं है। खबर होनी चाहिए कि आज हेलमेट चेकिंग के दौरान एक भी बिना हेलमेट वाले नहीं पकड़े गये। इसका मतलब होगा कि कानून का पालन करने को लेकर लोग जागरूक हो गये हैं। उक्त बातें नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कही। सीपी सिंह शनिवार को रांची कॉलेज परिसर स्थित आर्यभट्ट सभागार में आयोजित सड़क सुरक्षा विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि कानून का पालन डर से न करा कर एक व्यक्ति को अपने से करना होगा। उन्हें जागरूक बनाने की जरुरत है। सड़क सुरक्षा लेकर केंद्र सरकार, राज्य सरकार समेत कई विभाग चिंतित हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर इतना प्रयास करने के बावजूद पिछले 2015 की तुलना में 2016 में सड़क दुघर्टनाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। कुछ सड़क दुर्घटनाएं को मान लें, कि यह प्राकृतिक आपदा हो सकता है, लेकिन मानवीय लापरवाही को तो नियंत्रण किया जा सकता है। सभी विभाग सड़क सुरक्षा को लेकर कुछ न कुछ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन प्रयास इमानदारी से नहीं हो रहा है। कानून बना है लेकिन कानून का पालन नहीं होता है। कानून के लिए सब बराबर है। डीआइजी, आइजी हो या फिर सीएम हो कानून कोई तोड़े, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। एक ट्रैफिक पुलिस बिना हेलमेट के चलता है और बिना हेलमेट वालों को पकड़ता है, तो ऐसे में नहीं चलेगा। शहर में कितने लोग कार में सीट बेल्ट लगाकर चलते हैं। यह किसी से छिपा नहीं है। इसके लिए संकल्प लेना होगा कि कानून सबके लिए हैं। इसका पालन करना हमारा कर्तव्य है। लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। कानून तोड़नेवालों की संख्या आज अधिक है। कानून का पालन करनेवालों की संख्या कम है।
झारखंड में हर साल 3000 की मौत: खंडेलवाल
परिवहन विभाग के प्रधान सचिव केके खंडेलवाल ने कहा कि सड़क सुरक्षा के प्रति आम लोगों को आगे आने की जरुरत है। विभाग इस ओर कई प्रयास कर रहा है, लेकिन सड़क दुर्घटना घटने के बजाये बढ़ने लगा है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 तक यह मानकर चल रही थी कि सड़क दुर्घटनाएं 50 फीसदी तक कम होगी, लेकिन इसमें इजाफा हो रहा है। झारखंड में प्रत्येक साल औसतन 3000 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। सड़क दुर्घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी काफी गंभीर है। कोर्ट ने सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी है, जो दुर्घटनाओं के कारणों के बारे में जानेगी और समाधान के उपाय बतायेगी। खंडेलवाल ने कहा कि परिवहन विभाग भी इस विषय पर कई बिंदुओं पर कार्य कर रहा है। ब्लैक स्पॉट चिह्नित कर वहां लगातार दुर्घटना होने के कारणों की समीक्षा होगी। ब्लैक स्पॉट वैसी सड़क का स्थान, जहां एक माह में 500 मीटर के बीच पांच बार दुर्घटना हो चुकी है, 10 व्यक्तियों की मौत हो चुकी हो। राज्य में 155 ब्लैक स्पॉट को चिह्नित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक परफॉर्मा तैयार किया है, जिसे दुर्घटना के स्थान पर भरने का निर्देश दिया गया है। मसलन वाहन का नंबर, व्यक्ति की उम्र, सड़क की स्थिति इत्यादि। जिला और स्टेट स्तर पर भी कमेटी बनायी गयी है, जो दुर्घटना की विस्तृत समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार करेगी। उन्होंने लाइसेंस निर्गत करने के दौरान वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया गया है। नशे में वाहन चलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है। इसके लिए लोगों को जागरूक बनाने की जरुरत है। एक का भी जीवन हम बचा लें, तो पुण्य होगा। कार्यशाला के दूसरे सत्र में सड़क सुरक्षा पर केंद्रीय परिवहन विभाग की प्रतिनिधि तामली गांगुली, चीफ इंजीनियर विनय कुमार लाल, डॉ सुमन गुप्ता, संयुक्त सचिव सुचित्रा सिंह ने भी इस पर चर्चा की। कार्यशाला के दौरान सड़क सुरक्षा को लेकर कानून का पालन करने के लिए लोगों ने संकल्प लिया।