- आइपीएस तबादले को लेकर नाराज हैं मंत्री
- आलमगीर आलम बोले-विशेषाधिकार सीएम को
- कांग्रेस के मंत्रियों से प्रभारी आरपीएन सिंह ने की बात
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। मंगलवार को हुए 35 आइपीएस अधिकारियों के तबादले को लेकर कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता नाराज हैं। सरकार के विरोध में बयान देकर वह अलग-थलग पड़ गये हैं। गुरुवार को कांग्रेस के चारो मंत्री रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, आलमगीर आलम और बादल पत्रलेख नेपाल हाउस में बैठे। बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। उनका कहना था कि गठबंधन धर्म कहता है कि बड़े फैसले पर सबकी सहमति जरूरी है। इस तबादले में सहयोगी दल ने कांग्रेस से कोई रायशुमारी नहीं की। बैठक के बाद पत्रकारों को उन्होंने बताया कि राज्यहित में सरकार कैसे काम करे, इस मामले में चर्चा हुई। इसमें सचिव स्तर के अधिकारियों को पांच करोड़ रुपये खर्च करने का अधिकार दिया गया है। इस पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया जायेगा। उनका इशारा था कि यह अधिकार जन प्रतिनिधियों को मिले। 20 सूत्री कमेटी कैसे गठित होगी। पूर्व सीएस राजबाला वर्मा द्वारा सभी इंजीनियरिंग सेल को मर्ज कर दिया गया है। इसे रिवोक करना है। साथ ही बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए सरकार कैसे मैकेनिज्म तैयार करे इन सब पर बात हुई। ये सभी मामले सीएम के समक्ष रखे जायेंगे। चारो मंत्री इसके पहले भी अन्य मामलों को लेकर मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं। उसमें क्या हुआ, इस पर भी चर्चा की जानी है। चारो मंत्री मुख्यमंत्री से मिलने भी पहुंचे। बाहर निकल कर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि तबादला का विशेष अधिकार सीएम को है। गृह विभाग उन्ही के पास है। प्रोजेक्ट भवन में बन्ना गुप्ता से पूछे जाने पर उनका कहना था कि वे अपने बयान पर कायम हैं। हालांकि कांग्रेस के अन्य किसी मंत्री ने उनके बयान का समर्थन नहीं किया है। उधर, झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह ने साफ किया है कि सरकार में कहीं कोई विवाद नहीं है। कांग्रेस के मंत्रियों से उनकी बात हुई है।
सीएम ने कहा-नाराजगी की जानकारी मुझे नहीं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कांग्रेस के मंत्रियों की नाराजगी की जानकारी मुझे नहीं है। मेरी जब उनसे बात होगी, तब ही कुछ कह सकूंगा। ऐसे मंत्रियों के नाराज होने का सवाल ही नहीं है।