देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न भागों में फंसे छात्रों, पर्यटकों और प्रवासी मजदूरों को घर लौटने की अनुमति दिये जाने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सबसे पहले विशेष ट्रेन चलाने की मांग रेल मंत्री पीयूष गोयल से की थी। हेमंत की इस मांग का बिहार समेत कम से कम पांच राज्यों ने समर्थन किया है। गुरुवार को बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और असम ने भी केंद्र सरकार के सामने यह मांग दोहरायी। बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि राज्य के पास उतना संसाधन नहीं है कि वह बाहर फंसे अपने लोगों को वापस ला सके। इसलिए केंद्र को विशेष ट्रेन चलाने की मांग को पूरा करना चाहिए।
झारखंड में एक्शन शुरू, अधिकारियों ने की बैठक
बाहर फंसे लोगों को लाने के लिए झारखंड सरकार ने एक्शन शुरू कर दिया है। आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अमिताभ कौशल ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य में झारखंड के बाहर फंसे लोगों को वापस लाने की व्यवस्था की जा रही है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गये मापदंडों के अनुरूप ही उनके आवागमन हेतु तैयारी की जा रही है। केंद्र सरकार के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में अन्य राज्यों द्वारा भी यह कहा गया है कि जो लोग दूर के राज्यों में फंसे हैं, उनको राज्य में वापस लाने में बस की सुविधा पर्याप्त नहीं होगी। इस हेतु राज्य सरकारों ने कुछ स्पेशल ट्रेन चलाने की बात केंद्र सरकार से की है। लेकिन जो राज्य झारखंड के सटे हैं, जहां से बसों से आवागमन की सुविधा की जा सकती है। वहां के लिए राज्य सरकार तैयारियां कर रही है। इस हेतु विभाग द्वारा बसें भेजने की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। राज्य सरकारें आपस में समन्वय कर रही हैं कि उनके राज्य के वैसे लोग, जो झारखंड में फंसे हैं, झारखंड से जाने वाली बसें उन्हें लेकर जायेंगी तथा वहां से झारखंड के वैसे लोगों को वापस लायेंगी, जो उस राज्य में फंसे हैं। उन्होंने बताया कि इसके बाद वापस आने वाले लोगों की सबसे पहले स्क्रीनिंग की जायेगी और आवश्यकता अनुसार होम क्वारेंटाइन या क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जायेगा। अपना क्वारेंटाइन पूरा करने के बाद ही वे घर जा सकेंगे अथवा सामान्य रूप से रह पायेंगे।
झारखंड, बिहार और बंगाल को लेकर चिंता
नयी दिल्ली। एक कंप्यूटर मॉडल से किये गये हालिया विश्लेषण से पता चला है कि झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी आने वाले दिनों में खतरनाक जोन के रूप में उभर सकते हैं। चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज (आइएमएससी) ने चेताया है कि इन तीन राज्यों में 29 अप्रैल तक कुल संक्रमितों की संख्या 12 सौ से भी कम थी। हालांकि रीप्रोडक्शन नंबर के आधार पर देखें, तो बीते कुछ दिनों में तीनों राज्यों में कोरोना के मरीज सबसे तेजी से बढ़े हैं। रीप्रोडक्शन नंबर किसी संक्रमित के संपर्क में आने के बाद वायरस के शिकार हुए औसत मरीजों की संख्या दर्शाता है। बुधवार तक पश्चिम बंगाल में कोरोना के 696, बिहार में 383 और झारखंड में 108 पुष्ट मामले दर्ज किये गये थे। भारत में कुल संक्रमितों में तीनों राज्यों की हिस्सेदारी चार फीसदी से भी कम थी। आइएमएससी के सीताभ्र सिन्हा ने कहा कि मार्च के अंत में पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले थमते नजर आ रहे थे, लेकिन अब राज्य महाराष्ट्र की राह पर बढ़ता नजर आ रहा है। बड़े राज्यों में संक्रमितों की संख्या दोगुनी होने की सबसे तेज दर पश्चिम बंगाल में ही है। सिन्हा के मुताबिक लॉकडाउन से पहले देश में कोरोना का रीप्रोडक्शन नंबर 1.83 था। 20 से 27 अप्रैल के बीच की अवधि में यह घटकर 1.29 पर पहुंच गया। बिहार में रीप्रोडक्शन दर 2.03, झारखंड में 1.87, पश्चिम बंगाल में 1.52, महाराष्ट्र में 1.5 और गुजरात में 1.38 है।