Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Friday, May 16
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»20 साल में झारखंड में तैयार नहीं हो सका डाटा
    Breaking News

    20 साल में झारखंड में तैयार नहीं हो सका डाटा

    azad sipahiBy azad sipahiApril 27, 2020No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    कोरोना संकट ने सामने ला दी है वास्तविकता
    प्रवासी मजदूर, छात्रों की तैयार हो रही सूची
    झारखंड में डबल डिजास्टर की चर्चा की है सीएम ने
    कोरोना संकट ने झारखंड को कई चीजें सिखायी हैं, तो कई कड़वी हकीकतों से रू-ब-रू भी कराया है। इन हकीकतों के सामने आने के बाद एक बात साफ हो गयी है कि अलग राज्य बनने के बाद से झारखंड में सचमुच में कागजी घोड़े ही दौड़ाये जाते रहे। झारखंड की वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार सामने आये कोरोना महासंकट से पूरी ताकत से जूझ रही है, लेकिन कई मोर्चों पर इसे मन मसोस कर रह जाना पड़ रहा है। इस सरकार के पास न पैसा है और न ही संसाधन। महज चार महीने पहले सत्ता में आयी हेमंत सोरेन सरकार के पास राज्य के बारे में विश्वसनीय आंकड़ा भी नहीं है। राज्य के कितने प्रवासी मजदूर बाहर हैं या कितने छात्र कहां फंसे हुए हैं, यह आंकड़ा तो नहीं ही है, राज्य के किसानों की वास्तविक संख्या की भी जानकारी नहीं है। इसके लिए वर्तमान सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन साफगोई से यह स्वीकार करते हैं। इस स्थिति में वह राज्य को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए कैसे काम कर रहे हैं, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। हेमंत ने साफ शब्दों में अपनी सरकार की मजबूरियां बता दी हैं । उन्होंने जिस ‘डबल डिजास्टर’ की चर्चा की है, वह और कुछ नहीं, बल्कि राज्य में आंकड़ों का अभाव और संसाधनों की कमी है। झारखंड की इस हालत के लिए जो लोग जिम्मेवार हैं, उन पर जवाबदेही तय करने का समय आ गया है। कोरोना संकट के इस दौर में झारखंड की इस समस्या को रेखांकित करती आजाद सिपाही ब्यूरो की विशेष रिपोर्ट।

    तीन दिन पहले झारखंड के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से हमने इस बात की जानकारी चाही कि राज्य में दुधारू पशुओं की संख्या कितनी है और कितने लोग इस कारोबार से जुड़े हैं। उस अधिकारी ने यह जानकारी देने में असमर्थता जतायी। इसी तरह एक और अधिकारी से राज्य में शिक्षकों और नर्सों की संख्या के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह जानकारी देने में समय लगेगा, क्योंकि पूरे राज्य से इसे मंगाना होगा। इन दोनों अधिकारियों ने जो कुछ बताया, वह चौंकानेवाला था। उन्होंने कहा कि राज्य मुख्यालय में ऐसा कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। सब कुछ हवा में ही है और किसी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया है।
    कोरोना संकट के इस दौर में यदि राज्य सरकार के पास यह सब जानकारी नहीं है, तो फिर बीस साल से योजनाएं कैसे बन रही थीं और उन्हें लागू कैसे किया जा रहा था, यह सोचनेवाली बात है। अधिकारियों के अनुसार हकीकत यह है कि पिछले 20 साल में झारखंड में धरातल पर कोई ठोस काम हुआ ही नहीं है। अलग-अलग सरकारों के कार्यकाल में केवल हवा में ही काम हुआ। एक अधिकारी ने पिछली सरकार द्वारा शुरू की गयी मुख्यमंत्री किसान सम्मान योजना का उदाहरण दिया। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को प्रति एकड़ पांच हजार रुपये दिये जाने थे। जोर-शोर से इसकी शुरूआत हुई, लेकिन हकीकत यह है कि करीब आठ लाख किसानों को रकम नहीं मिली है, क्योंकि इनके बारे में सरकार के पास जानकारी ही नहीं है। इसी तरह राशन कार्ड उपलब्ध कराने में भी भयानक गलती हुई और 11 लाख परिवारों को अब तक राशन कार्ड नहीं मिला है।
    इसका मतलब साफ है कि 15 नवंबर, 2000 को अलग राज्य बनने के बाद से झारखंड में डाटा तैयार करने के लिए जमीन पर कोई काम नहीं हुआ है। अधिकारियों की फौज केवल कागजी घोड़े दौड़ाती रही और राजनीतिक नेतृत्व अनाप-शनाप खर्च करता रहा। ऐसे में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा खजाना खाली होने की बात सच साबित होती है। हालत यह है कि जहां भी हाथ डाला जा रहा है, केवल गड़बड़ियां ही सामने आ रही हैं। इन गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार कौन है, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। शासन चलाने में यह घोर लापरवाही उस समय सामने आयी है, जब झारखंड की सरकार और यहां के लोग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपना सब कुछ झोंक चुके हैं।
    यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सत्ता संभालने के बाद कह चुके हैं कि उनकी सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं करेगी। लेकिन कोरोना संकट ने बता दिया है कि इस राज्य में कितनी गड़बड़ियां हुई हैं। यदि इन गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदारी तय नहीं की गयी, तो फिर राज्य का भला नहीं हो सकेगा। हेमंत सोरेन ने साफ कहा है कि झारखंड के लिए कोरोना संकट ‘डबल डिजास्टर’ के समान है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। उन्हें विरासत में जो कुछ मिला है, उसकी हकीकत देख कर यही कहा जा सकता है। हेमंत सोरेन ने एक परिपक्व राजनेता की तरह अपनी बात लगातार सामने रखी है और अपनी मजबूरियों का विवरण देते समय उनकी बातें कभी अतिरंजित नहीं रहीं। उनके इस रुख ने साफ कर दिया है कि झारखंड अब नये रास्ते पर चल चुका है। अब सरकार जो भी काम कर रही है, वह धरातल पर नजर आ रहा है। चाहे बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों को सहायता के रूप में रुपये देने का काम हो या सामुदायिक किचेन से जरूरतमंदों को खाना खिलाने का या फिर राशन देने का, हर काम पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है। यह झारखंड के लिए एकदम नया है, क्योंकि आज तक किसी ने इस तरह की पारदर्शिता नहीं अपनायी थी।
    हेमंत सोरेन के लिए आगे की राह और भी कठिन होनेवाली है, क्योंकि उनके लिए पिछली सरकार ने कोई ठोस जानकारी ही नहीं छोड़ी है। योजना बनाने के लिए पहली जरूरी चीज ठोस जानकारी ही होती है। इसके अभाव में कोई भी योजना प्रभावी तरीके से लागू नहीं की जा सकती। इसलिए अब हेमंत सोरेन को शून्य से शुरू करना होगा। उन्होंने यह काम शुरू भी कर दिया है, लेकिन कोरोना के संकट के कारण इसमें रुकावट पैदा हो गयी है।
    सबसे बड़ी बात यह है कि सत्तारूढ़ झामुमो इस मुद्दे को उठाना नहीं चाह रहा है, क्योंकि वह संकट के इस दौर में राजनीति नहीं चाहता। पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि अभी पुरानी बातों को याद करने का समय नहीं है। यह सही है कि सरकार के पास ठोस आंकड़े नहीं हैं, लेकिन अभी सभी का ध्यान इस संकट से लड़ने पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पूरी ताकत से इस काम में लगी हुई है। इसलिए फिलहाल इस मुद्दे पर वह अधिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
    उम्मीद की जानी चाहिए कि संकट का दौर खत्म होने के बाद सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठायेगी। तब जो विकास होगा, वह धरातल पर दिखेगा और समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति को भी इसका लाभ मिलेगा। तब तक हेमंत सोरेन सरकार कोरोना संकट से जूझ रही है और सहयोग की आकांक्षा के साथ झारखंड को संक्रमण से बचाने में लगी है। झारखंड का वह सुनहरा दौर कब शुरू होगा, यह फिलहाल समय के गर्भ में है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleपालघर: साधुओं से पहले डॉक्टर पर टूट पड़ी थी भीड़, चोर-डाकू की अफवाह
    Next Article मुख्यमंत्री दीदी किचेन द्वारा 24 घंटे में 5.17 लाख गरीबों को मुफ्त भोजन मिला
    azad sipahi

      Related Posts

      निर्वाचन आयोग के ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होगा झारखंड का 402 सदस्यीय दल

      May 15, 2025

      महान स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं जनचेतना के अग्रदूत भी थे चानकु महतो- राज्यपाल

      May 15, 2025

      ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर नागरिक मंच ने निकाली तिरंगा यात्रा

      May 15, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • पाकिस्तान ने घबराकर हमें फोन किया… भारत ने ट्रंप के कश्मीर मध्यस्थता के बयान को किया खारिज
      • भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता वाले बयान से पलटे ट्रम्प, कहा- मैंने जंग नहीं रुकवाई
      • पाकिस्तान के एटम बमों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी अपनी निगरानी में ले : राजनाथ
      • पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ने यूपीएससी के अध्यक्ष का पदभार संभाला
      • नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों से मिलने एम्स पहुंचे अमित शाह, ट्रॉमा सेंटर में घायलों से मुलाकात कर जाना हालचाल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version