इस बार चूक हुई, तो बड़ी कीमत चुकानी होगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी को परास्त करने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही साफ हो गया है कि यह कोरोना के खिलाफ जंग का निर्णायक दौर साबित होगा और यदि इस दौरान हमने संयम और संकल्प का परिचय दिया, तो फिर इस वैश्विक संकट को हम पराजित कर देंगे। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात वे सात मंत्र हैं, जिनका पालन कर कोरोना वायरस को परास्त किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि लॉकडाउन के दौरान देश भर में कोरोना का संक्रमण फैलने पर नजर रखी जायेगी और जो इलाके इसे रोकने में कारगर होंगे, उन्हें लॉकडाउन से छूट दी जायेगी। पीएम मोदी की यह घोषणा झारखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य में अब तक पांच जिलों में ही कोरोना संक्रमित मिले हैं, बाकी 19 जिले अब तक इस महामारी से अछूते हैं। इन पांच जिलों में भी सामुदायिक संक्रमण का कोई संकेत नहीं मिला है। चाहे रांची हो या बोकारो, हजारीबाग हो या गिरिडीह या सिमडेगा, एक खास इलाके में ही संक्रमण पाया गया है। मतलब साफ है कि तीन सप्ताह का लॉकडाउन कोरोना का संक्रमण रोकने में कारगर साबित हो रहा है और यदि झारखंड के लोगों ने संयम और संकल्प का परिचय दिया, तो 20 अप्रैल के बाद उन्हें राहत मिल सकती है। लॉकडाउन-2 के संभावित असर और इसके कारणों का विश्लेषण करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
महामारी को रोकने के लिए सख्त कदम जरूरी: हेमंत
मंगलवार 14 अप्रैल को दिन के 11 बजे के करीब रांची के थड़पखना इलाके में एक गली की नुक्कड़ पर कुछ लोग लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने की चर्चा कर रहे थे। एक ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। केवल उन शहरों में ही लॉकडाउन जारी रखा जाना चाहिए था, जहां संक्रमण फैला है। बाकी देश को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है। दूसरे ने कहा कि यदि लॉकडाउन की अवधि नहीं बढ़ायी गयी होती, तो देश तबाह हो जाता। 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है, उसे नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन को बढ़ाया जाना बेहद जरूरी था और इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया जाना चाहिए। वहां मौजूद कई और लोगों ने इसका समर्थन किया, हालांकि एक व्यक्ति ने सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने पर भी जोर दिया।
इस बातचीत से एक बात को साफ हो गयी कि लोग लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने के फैसले का आम तौर पर स्वागत ही कर रहे हैं। यह कोरोना महामारी के खिलाफ जारी जंग में लोगों के जागरूक होने का संकेत है। लोग अब इस महामारी के खतरे को महसूस करने लगे हैं। वे समझने लगे हैं कि इस संक्रमण से बचने का एकमात्र रास्ता घरों में रहना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही है। यदि इसमें कोई चूक होती है, तो तबाही आ सकती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने का समर्थन किया है और इसका सख्ती से पालन करने की अपील की है।
पीएम मोदी के आज के संबोधन में एक और बात कही गयी है। वह यह कि लॉकडाउन की बड़ी कीमत देश को चुकानी पड़ रही है, लेकिन यह कीमत लोगों की जान की कीमत से कम है। यानी लोगों को बचाना सबसे अधिक जरूरी है। बाकी चीजें बाद में बचायी जा सकती हैं। इसलिए अब यह लोगों पर निर्भर करता है कि वे कोरोना के खिलाफ जंग में क्या भूमिका निभाते हैं। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का जितना अधिक पालन होगा, कोरोना संक्रमण का खतरा उतना ही दूर होगा। झारखंड के जिन इलाकों में कोरोना से संक्रमित मरीज मिल चुके हैं, वहां लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया जाना जरूरी है। रांची में हिंदपीढ़ी के लोगों को अब अत्यधिक सतर्क हो जाना चाहिेए, क्योंकि बाकी शहर को वे ही संक्रमित होने से बचा सकते हैं। इसी तरह बोकारो के दो गांवों, हजारीबाग का विष्णुगढ़ और गिरिडीह और सिमडेगा के उन इलाकों में भी सख्ती होनी चाहिए, क्योंकि एक व्यक्ति की गलती भी पूरे राज्य पर भारी पड़ सकती है। मुश्किल जरूर है, लेकिन इन मुश्किलों से बाहर निकल जाने का हौसला भी झारखंड में है। सवाल यह भी किया जा रहा है कि झारखंड में कोरोना के संक्रमण की जांच की रफ्तार बहुत धीमी है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि झारखंड सरकार और प्रशासन बेहद सीमित संसाधनों में काम कर रहा है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में तो देश स्तर पर कम संसाधन होने की बात कही है और यह सच भी है कि 130 करोड़ की आबादी वाले देश में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए पर्याप्त किट भी हमारे पास नहीं है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस जंग में बेहद साहसिक कदम उठाये हैं। इस राज्य में कम से कम कोई व्यक्ति आज भूखे पेट नहीं सो रहा है। इतना ही नहीं, जरूरतमंदों को सरकार की ओर से हरसंभव सहायता भी मुहैया करायी जा रही है।
अब अगले 19 दिन के दौरान हमारा आचरण और हमारा संयम-संकल्प तय करेगा कि हम कोरोना के खिलाफ इस जंग के प्रति कितने गंभीर हैं। यकीनन भारत के लोग संयमित और दृढ़निश्चयी होते हैं। वे एक बार जो ठान लेते हैं, उसे हर हाल में पूरा कर दिखाते हैं। यह समय उसी संकल्प को धरातल पर उतारने का है और यदि हमने ऐसा कर दिखाया, तो भारत दुनिया के लिए मिसाल बन जायेगा।
मानवता के लिए गंभीर खतरा बन चुके कोरोना महामारी से निबटने के लिए यह निर्णायक जंग समय की मांग है। झारखंड और पूरे देश के लोगों को इस संकट को परास्त करना ही है, तो फिर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने पर हाय-तौबा नहीं मचनी चाहिए। ऐसा करना जरूरी था और इसलिए ऐसा किया गया, यह सभी को समझना होगा।