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    Home»Breaking News»कभी अजीत डोभाल मनाने पहुंचे थे, अब पुलिस खोज रही है मौलाना साद को
    Breaking News

    कभी अजीत डोभाल मनाने पहुंचे थे, अब पुलिस खोज रही है मौलाना साद को

    azad sipahiBy azad sipahiApril 2, 2020No Comments7 Mins Read
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    अपने हजारों अनुयायियों को मौत के मुंह में धकेलने का लग रहा आरोप
    कोरोना से जंग लड़ रहे पूरे देश में आज एक शख्स की खूब चर्चा हो रही है और यह शख्स है तबलीगी जमात का मुखिया मौलाना साद। आज इस मौलाना को अपने हजारों अनुयायियों को कोरोना वायरस से संक्रमित करने का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि इन्होंने अपने अनुयायियों को मौत की भट्ठी में झोंक दिया है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का भी कहना है कि तबलीगी जमात के जलसे में शामिल लोगों से कोरोना वायरस को फैलने में मदद मिली है। बुधवार की प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने यहां तक कहा कि कोरोना वायरस की संख्या जमात के कारण ही बढ़ी है। कहा जा रहा है कि इन्होंने न केवल सरकारी आदेशों का उल्लंघन कर हजारों अनुयायियों को एक धार्मिक आयोजन के लिए एकत्र किया, बल्कि उनके बीमार पड़ने पर दवा तक नहीं करवायी और न ही इसकी सूचना प्रशासन तक दी। पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद से भूमिगत मौलाना साद आखिर कौन हैं, जिनकी हरकतों ने पूरे देश को संकट में डाल दिया है और जिन्हें मनाने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रात दो बजे उनके पास जाना पड़ा। आखिर लोग उनकी बात क्यों मानते हैं और क्यों उनके बताये रास्ते पर चलते हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में इस चर्चित मौलाना साद के बारे में परत-दर-परत खोलती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

    आप गूगल पर मौलाना साद सर्च करें, तो आधे सेकेंड से भी कम समय में आपको 16 लाख 80 हजार परिणाम मिलेंगे। ट्विटर पर मौलाना साद के बारे में दिन में 12 बजे तक एक लाख 20 हजार ट्वीट हो चुके थे और तबलीगी जमात के बारे में एक लाख 60 हजार लोग बात कर रहे थे। आखिर ये मौलाना साद हैं कौन, जिनका नाम पूरे देश में कोरोना से जंग के विलेन के रूप में चर्चित हो गया है। मौलाना साद को देश में जानलेवा महामारी कोरोना का संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है, क्योंकि उन्होंने सरकारी आदेशों का उल्लंघन कर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में एक बड़े जलसे का आयोजन किया, जिसमें शामिल होनेवालों लोगों में कोरोना फैलने का अंदेशा व्याप्त गया है।
    कौन हैं मौलाना साद
    सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि आखिर यह मौलाना साद कौन हैं। मौलाना साद का असली नाम मोहम्मद साद कंधलावी है। उनका जन्म 10 मई 1965 को दिल्ली में हुआ। उनके पिता का नाम मोहम्मद हारून है। साद ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली। वह तबलीगी जमात के संस्थापक मोहम्मद इलियास कंधलावी के परपोते हैं। तबलीगी जमात भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन है और मौलाना साद ने खुद को तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर घोषित किया हुआ है।
    स्वघोषित अमीर
    मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता रहा है। जब उन्होंने खुद को तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर (संगठन का सर्वोच्च नेता) घोषित कर दिया, तो जमात के वरिष्ठ धर्म गुरुओं ने उनका जबर्दस्त विरोध किया। हालांकि मौलाना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और सारे बुजुर्ग धर्म गुरुओं ने अपना रास्ता अलग कर लिया। बाद में मौलाना साद का एक आॅडियो क्लिप भी शामिल हुआ, जिसमें वह कहते सुने गये, ‘मैं ही अमीर हूं… सबका अमीर… अगर आप नहीं मानते तो जहन्नुम में जाइए।’
    दरअसल मौलाना साद द्वारा खुद को अमीर घोषित किये जाने का विरोध इसलिए हुआ, क्योंकि तबलीगी जमात के पूर्व अमीर मौलाना जुबैर उल हसन ने संगठन का नेतृत्व करने के लिए सुरू कमिटी का गठन किया था। लेकिन जब मौलाना जुबैर का इंतकाल हो गया, तो मौलाना साद ने किसी को साथ नहीं लिया और अकेले अपने आपको ही तबलीगी जमात का सर्वेसर्वा घोषित कर दिया।
    मौलाना साद के खिलाफ फतवा
    वर्ष 2017 के फरवरी में दारुल उलूम देवबंद ने तबलीगी जमात से जुड़े मुसलमानों को फतवा जारी कर कहा कि मौलाना साद कुरान और सुन्ना की गलत व्याख्या करते हैं। देवबंद का यह फतवा मौलाना साद के भोपाल सम्मेलन में दिये गये बयान के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा कि (निजामुद्दीन) मरकज मक्का और मदीना के बाद दुनिया का सबसे पवित्र स्थल है। दारुल उलूम देवबंद ने मौलाना साद के इस बयान को पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बताया।
    प्रतिद्वंद्वी गुट के साथ मारपीट के बाद विभाजन
    2016 के जून महीने में तो मौलाना साद और मौलाना मोहम्मद जुहैरुल हसन की लीडरशिप वाले तबलीगी जमात के दूसरे ग्रुप के बीच हिंसक झड़प हो गयी थी। दोनों ग्रुप ने एक-दूसरे पर घातक हथियारों से हमले किये थे। इस झड़प में करीब 15 लोग घायल हो गये थे। तब पुलिस-प्रशासन की दखल से शांति कायम हुई थी। मौलाना साद के ग्रुप के हिंसक व्यवहार से घबराकर तबलीगी जमात के कई वरिष्ठ सदस्य निजामुद्दीन छोड़कर भोपाल चले गये। इस तरह देश में तबलीगी जमात का दो धड़ा बन गया। एक धड़े का केंद्र निजामुद्दीन में है, जबकि दूसरे का भोपाल।
    मौलाना साद के बयान पर विवाद
    तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद के विचार पर विवाद गहराने लगा है। उनका एक आॅडियो सामने आया है। इसमें वह कोरोना वायरस से बिना डरे मस्जिद आने को कह रहे हैं। वह कहते हैं कि मरने के लिए मस्जिद से अच्छी जगह नहीं है। वह कहते हैं कि ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी। मैं कहता हूं कि अगर तुम्हें यह दिखे भी कि मस्जिद में आने से आदमी मर जायेगा, तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती। वह यह भी कह रहे हैं कि कुरान पढ़ें, क्योंकि अखबार पढ़नेवाले ही इस बीमारी से डरते हैं। इस आॅडियो में मौलाना साद और भी कई बातें कह रहे हैं। इस दौरान वहां कुछ लोग पीछे से खांस भी रहे हैं। ऐसे में लगता है कि वहां कोरोना पहले ही पहुंच चुका था, लेकिन उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। मौलाना साद आगे कहते हंै कि अल्लाह पर भरोसा करो, कुरान नहीं पढ़ते अखबार पढ़ते हैं और डर जाते हैं, भागने लगते हैं। मौलाना साद आगे कहते हैं कि अल्लाह कोई मुसीबत इसलिए ही लाता है कि देख सके कि इसमें मेरा बंदा क्या करता है। मौलाना साद आगे कहते हैं कि कोई कहे कि मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए, ताले लगा देना चाहिए, क्योंकि इससे बीमारी बढ़ेगी, तो आप ख्याल को दिल से निकाल दो।
    रात दो बजे डोभाल मनाने पहुंचे थे मौलाना साद को
    मौलाना साद ने कभी सरकारी आदेशों पर कोई ध्यान नहीं दिया। 28 मार्च को जब निजामुद्दीन मरकज में लोग बीमार पड़े और कोरोना संक्रमित पाये गये, तब वहां करीब दो हजार लोग मौजूद थे। इस इमारत को भीड़ से खाली कराना काफी मुश्किल था। सरकार के निर्देश और पुलिस की चेतावनी के बाद भी मौलाना साद जिद पर अड़े हुए थे। वह दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के आग्रह को ठुकरा चुके थे। तब गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मोर्चे पर लगाया। गृह मंत्री के आग्रह पर डोभाल 28-29 मार्च की दरम्यानी रात दो बजे मरकज पहुंचे। उन्होंने मौलाना साद को समझाया और वहां मौजूद लोगों का कोविड-19 टेस्ट कराने को कहा। डोभाल के समझाने के बाद मरकज 27, 28 और 29 मार्च को 167 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने पर समहत हुआ। डोभाल के हस्तक्षेप के बाद ही जमात नेता मस्जिद की भी सफाई को राजी हुए। डोभाल ने मुसलमानों के साथ अपने पुराने संपर्कों का इस्तेमाल कर इस काम को अंजाम दिया। देश की सुरक्षा के लिए रणनीति बनाने के लिए मुस्लिम उलेमा उनके साथ मीटिंग कर चुके थे।
    गहरी साजिश की बू
    अब इस बात की जांच चल रही है कि तमाम प्रतिबंधों के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जमा रखने के पीछे कोई साजिश तो नहीं। जमात के लोग उत्तर से लेकर दक्षिण भारत में कोरोना से संक्रमित पाये जा रहे हैं। ऐसे में यह संदेह स्वाभाविक है कि कहीं साजिश के तहत ही तो जलसे का आयोजन नहीं किया गया था। मौलाना साद पर कानून की खिल्ली उड़ाने और अन्य तरह के आरोप लग रहे हैं। एक आरोप यह भी लग रहा है कि पर्यटक के नाम पर विदेशियों को बुला कर धार्मिक प्रवचन करवाया गया। उनसे धर्म का प्रचार करवाया जा रहा है। मौलाना साद समेत मरकज के सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। दिल्ली पुलिस मौलाना साद को खोज रही है और इधर पूरे देश में उनके अनुयायियों की शिनाख्त कर उन्हें क्वारेंटाइन में भेजा जा रहा है।

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