नई दिल्ली: देश में पहली बार प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस के मरीज का उपचार किया जा रहा है। ये मुद्दा दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी का है, जहां एक ही परिवार के चार लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।वहीं बेटी व मां को ​अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। ये दोनों अच्छा हो गए थे। लेकिन परिवार का मेम्बर इनका बेटा अभी वेंटिलेटर पर है।

परिवार के दो मेम्बर अच्छा हुए हैं। लेकिन बेटा अभी भी जिंदगी व मृत्यु से जूझ रहा है। सभी का उपचार साकेत के मैक्स अस्पताल में चल रहा है। अब अस्पताल ने सरकार से मंजूरी ली है जिसके बाद अस्पताल में भर्ती बेटे का उपचार प्लाज्मा थेरेपी से किया जा रहा है।

बता दें कि ये देश का पहला मुद्दा है जिसमें कोरोना वायरस के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी प्रयोग हो रही है।

संक्रमण कैसे फैला इसे लेकर परिवार का आरोप था कि सिक्योरिटी गार्ड जमात जाता था, इसी के चलते पूरा परिवार कोरोना वायरस की चपेट में आया। इसकी शिकायत चड्ढा परिवार ने पुलिस में भी की थी।

अगर कोई आदमी कोरोना वायरस के संक्रमण से अच्छा हो जाए, तो उसके शरीर में इस वायरस को बेअसर करने वाले एंटीबॉडीज (Antibodies) बन जाते हैं। इन एंटीबॉडीज की मदद से वायरस से संक्रमित दूसरे मरीजों के शरीर में उपस्थित कोरोना वायरस को समाप्त किया जा सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी मरीज के अच्छा होने के 14 दिन बाद उसके शरीर से एंटीबॉडीज लिए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया में स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर से रक्त निकाला जाता है। रक्त में उपस्थित एंटीबॉडीज केवल प्लाज्मा में उपस्थित होते हैं। इसीलिए रक्त से प्लाज्मा निकालकर बाकी खून फिर से उस मरीज के शरीर में वापस डाल दिया जाता है।

प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों पर किया जा सकता है व इस थेरेपी को प्रारम्भ करने के 48 से 72 घंटे के भीतर मरीज की हालत में सुधार आ सकता है। ICMR से मंजूरी मिलने के बाद अब देश में प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) पर कार्य प्रारम्भ हो गया है।

विदेश की बात करें, तो इस समय चाइना व दक्षिण कोरिया में इसका प्रयोग हो रहा है।

बता दें कि कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए अब तक कोई टीका या दवाई तैयार करने में सफलता नहीं मिली है।

 

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