मुसलिम समुदाय का सबसे पावन माह शुरू होने जा रहा है. 24 या 25 अप्रैल से रमजान का पावन महिना शुरू होने जा रहा है. लॉकडाउन के बीच इसकी शुरुआत होने जा रही है, जो कठिनाई भरा होने जा रहा है. लोग मसजिदों में नहीं जाने वाले है क्योंकि पाबंदी लगी है. लोग अपने घरों में ही रोजा रखेंगे और फिर मसजिद की बजाय घरों में ही पूरा महिना गुजारेंगे क्योंकि 3 मई तक पूरी तरह लॉकडाउन की पाबंदी ल गने वाली है. रोजेदारों को तमाम बंदिशों के बीच हर दिन रोजा रखते हुए अल्लाह की इबादत की जायेगी. घरों में ही नमाज और तारावीह पढ़नी है जबकि इसको हर बार मसजिदों में पढ़ी जाती थी. इन चुनौतियों के बीच तैयारी शुरू हो गयी है. मिली जानकारी के मुताबिक, पहला रोजा 14 घंटा 7 मिनट का होगा जबकि अंतिम रोजा 15 घंटे का होने जा रहा है. वैसे बदले हुए हालात को देखते हुए मसजिद और मदरसा कमेटी के लोगों ने लोगों को सेहरी और इफ्तार का सही समय व्टासएप या सोशल मीडिया के जरिये भेज रहे है. वैसे मसजिदों से हर दिन दोनों वक्त अजान देकर लोगों को जानकारी दी जायेगी, जो पहले भी दी जाती थी. मुसलिम समुदाय के जानकार और जाकिरनगर के इमाम हुसैन मसजिद के मौलाना सैयद सैफुद्दीन असदक ने बताया कि इस बार घरों में ही तारावीह पढ़ी जानी है. जिन घरों में हाफिज होंगे, वह तारावीह पढ़ा देंगे, लेकिन जहां हाफिज नहीं है, वहां सूरह-ए-तरावीह के साथ नमाज पढ़ी जाती है, जिसे सुन्नत तारावीह कहते है, जिसको पढ़ा जा सकता है. इसमें कुरान नहीं होता है. उसके सहारे ही तारावीह को रमजान में पूरा कर सकते है. दूसरी ओर, कई मुसलिम सामाजिक संगठनों के लोग सोशल मीडिया पर रमजान को लेकर जानकारियां लोगों को उपलब्ध करा रहे है. वे लोग घरों के उलेमा और मुक्ति से संपर्क कर रमजान माह में की जाने वाली इबादतों और जकात के बारे में जागरूकता फैला रहे है. इसके अलावा फेसबुक पर ब्लॉक और पेज के माध्यम से लोगों को जानकारी दे रहे है. वैसे शहर-ए-काजी मुफ्ती आबिद हुसैन ने मुसलिम समुदाय से अपील की है कि रमजान माह में जो लोग मसजिद में इफ्तारी भेजते थे, वे इस साल भी करें, लेकिन मसजिद की बजाय जरूरतमंदों के घर पहुंचायें. रमजान में इफ्तार पार्टियां करने वाले इसकी रकम से गरीबों के बीच राशन बांटे. रोजेदार तय करें कि कोई भी इनसान भूखे नहीं रह पाये. जिन लोगों पर जकात फर्ज है, वे गरीबों में जकात जरूर बांटे. इस दौरान रोजेदारों से अपील की गयी है कि जकात, कदका व वाजिब के पैसे से जरूरतमंदों की मदद करें. रिश्तेदारों और पड़ोसियों व गैर मुसलिम समुदाय के लोगों को जरूरी मदद पहुंचाये, मसलक और मशरब से ऊपर उठकर एक रहने और एक कौम बनने की कोशिश करने की अपील कीगयी है. इसके अलावा बेचने व खरीदने के संबंध में सरकारी आदेशों का अनुपालन करने को कहा गया है. बेवजह घुमने-फिरने पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी

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