आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा है कि सरकार के समक्ष असली चुनौती लॉकडाउन खत्म होने के बाद आयेगी। लाखों की संख्या में दूसरे राज्यों में काम करनेवाले मजदूर झारखंड आयेंगे। इनमें से कुछ आ भी चुके हैं। इनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न होगी। इनके लिए भोजन उपलब्ध कराना सरकार का काम है। सबकुछ पटरी पर आने में कम से कम तीन माह लगेंगे। केंद्र सरकार को चाहिए कि इसके लिए राज्य को विशेष पैकेज दे। पांच हजार करोड़ से ज्यादा शेष राशि जारी करे। साथ ही राज्य को मिलनेवाले जीएसटी का हिस्सा भी तुरंत दे। उन्होंने कहा कि अभी सरकार की आमदनी बंद हो गयी है। राज्य सरकार को पेट्रोल और शराब की बिक्री तथा ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से राजस्व की प्राप्ति होती है। यह सब कुछ बंद हो गया है। इस वजह से सरकार की आमदनी नहीं के बराबर है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आरबीआइ से पैसा ले लेगी। लेकिन इसमें राज्य सरकारों को भी हिस्सा मिलना चाहिए।
झारखंड अभी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कई कदम उठा रहा है। इस बीच केंद्र ने सरकार को 284 करोड़ रुपये दिये हैं जो काफी नहीं हैं। इस राशि से ही केंद्र की ओर से उपलब्ध कराये जा रहे मास्क और किट समेत अन्य उपस्करों के लिए भुगतान किया जाना है। श्री उरांव ने कहा कि जो मजदूर जहां काम करते थे वहां के मालिक को चाहिए कि उन्हें पैसा दे। राज्य सरकार भी इनको पैकेज देने पर विचार कर रही है। झारखंड सरकार ने राज्य खाद्यान्न सुरक्षा कानून को लागू किया है। यहां के किसी भी व्यक्ति को भूखा नहीं रहने दिया जायेगा। चौदह अप्रैल के बाद हो सकता है कि सामानों के दाम भी बढ़े। आपूर्ति कम होने के कारण यह स्थिति बन सकती है। इसपर भी सरकार नजर रखेगी।उन्होंने कहा कि केंद्र को यह आकलन करना चाहिए कि कि राज्य को कितनी मदद की जरूरत है। उसके हिसाब से पैसा दिया जाना चाहिए।

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