दुनिया इस समय जहां कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ रही है। वहीं पृथ्वी की ओजोन परत पर बना सबसे बड़ा छेद अपने आप ठीक हो गया है। वैज्ञानिकों ने पुष्टि है कि आर्कटिक के ऊपर बना एक मिलियन स्कवायर किलोमीटर का बड़ा छेद अब बंद हो गया है। वैज्ञानिकों ने इस महीने की शुरुआत में इस छेद को ढूंढा था। माना जा रहा था कि ये छेद उत्तरी ध्रुव पर कम तापमान के परिणामस्वरूप बना था। ओजोन परत सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती हैं, जो त्वचा कैंसर का एक प्रमुख कारण है। यदि यह छेद दक्षिण की जनसंख्या की तरफ बढ़ता तो इससे इंसानों के लिए सीधा खतरा पैदा हो जाता।
यूरोपीय आयोग की ओर से लागू किए गए कॉपरनिकस एटमॉसफेयर मॉनिटरिंग सर्विस (सीएएमएस) और कॉपरनिकस चेंज सर्विस (सी3एस) ने अब पुष्टि की है कि उत्तरी ध्रुव पर बना यह छेद अपने आप ठीक हो गया है।एजेंसी द्वारा किए गए हालिया ट्वीट में इसके पीछे के कारण बताए गए हैं।
ध्यान दें कि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण पृथ्वी की ओजोन परत में छेद के स्वयं ठीक होने का प्रदूषण में आई कमी से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बजाए यह पोलर वोर्टेक्स की वजह से हुआ है। जो ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी हवा लाता हैं। कॉपरनिकस का कहना है कि इस साल का पोलर वर्टेक्स काफी शक्तिशाली थावर्टेक्स के परिणामस्वरूप स्ट्रैटोस्फेरिक बादलों की उत्पत्ति हुई जिसने सीएफसी गैसों के साथ प्रतिक्रिया करके ओजोन परत को नष्ट कर दिया। बता दें कि इसांनों द्वारा 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में सीएफसी गैसों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था।