- झारखंड में भी बज गयी खतरे की घंटी
- तेजी से फैल रहा है कोरोना का संक्रमण
- लॉकडाउन का सख्ती से पालन समय की मांग
वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश में एक हजार से अधिक संक्रमित लोगों का पता चला, जबकि 40 लोग कोरोना के शिकार बन गये। झारखंड में तीन नये संक्रमितों का पता चला। रांची का हिंदपीढ़ी इलाका,जो कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुका है, वहां से एक, वहीं गिरिडीह का एक व्यक्ति इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ गया है। हजारीबाग के विष्णुगढ़ से दूसरा संक्रमित सामने आया है। इन तीन मरीजों के मिलने के साथ ही झारखंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या 17 हो गयी है, जिसमें से एक की मौत हो चुकी है। यह झारखंड के लिए खतरे की घंटी है। हालांकि संतोष की बात इतनी ही है कि रांची, हजारीबाग और बोकारो में नये इलाकों से संक्रमित अब तक नहीं मिले हैं। लेकिन हकीकत यह है कि झारखंड में सैंपल जांच की गति बेहद धीमी है। इसलिए संक्रमितों की संख्या का पता ही नहीं चल रहा है। इसलिए अब जरूरत सैंपल जांच की गति बढ़ाने और लॉकडाउन के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करने की है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो झारखंड को इस महामारी से कोई नहीं बचा सकेगा। झारखंड के दरवाजे पर दस्तक दे चुके इस खतरे पर आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
सैंपल जांच की संख्या बढ़ाने पर भी हो ध्यान
शनिवार 11 अप्रैल को सुबह करीब 10 बजे रांची के नागाबाबा खटाल सब्जी बाजार में लोगों की आवाजाही जारी थी। एक जगह जमा चार युवक आपस में इस बात की चर्चा कर रहे थे कि झारखंड में तीन नये कोरोना संक्रमित मिल गये हैं और यह खतरे की बात है। इन युवकों के बीच इस बात की भी चर्चा हो रही थी कि अभी तक रांची में हिंदपीढ़ी के अलावा किसी दूसरे इलाके से किसी के संक्रमित होने की खबर नहीं आयी है। लेकिन इन युवकों की चर्चा से अनजान सब्जी बाजार में न लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे और न ही उनमें लॉकडाउन का पालन करने के प्रति गंभीरता दिख रही थी।
ऐसे लोगों को अब यह समझना होगा कि कोरोना का संक्रमण झारखंड में तेजी से फैलने लगा है। एक साथ तीन संक्रमितों के सामने आने के बाद यह संख्या 17 तक जा पहुंची है। विशेषज्ञों की आशंका है कि झारखंड में संक्रमितों की वास्तविक संख्या बहुत अधिक हो सकती है, लेकिन चूंकि यहां सैंपल जांच की गति बेहद धीमी है, इसलिए इसका पता नहीं चल रहा है। विशेषज्ञ कहते हैं कि राज्य में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और सीमित संसाधनों में जितना संभव है, किया जा रहा है।
यह स्थिति वाकई बेहद खतरनाक है। इस आसन्न संकट से बचने का अब एकमात्र उपाय लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन ही हो सकता है। झारखंड को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सरकारी स्तर पर जितने उपाय किये जा सकते थे, हो रहे हैं। सामुदायिक संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की बार-बार अपील की जा रही है। यहां तक कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हाथ जोड़ कर लोगों से अपील कर चुके हैं, लेकिन आम लोग इसे मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं। लोगों को यह याद रखना चाहिए कि यदि झारखंड जैसे सीमित संसाधनों वाले प्रदेश में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण शुरू हुआ, तो फिर इसे वुहान या इटली बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
अब प्रशासन के लिए भी सख्त रुख अपनाने का समय आ गया है। समाज के जागरूक लोगों को भी आगे आना होगा। प्रशासन के लिए सैंपल जांच की गति को तेज करने की चुनौती है, तो जागरूक लोगों को आगे आकर वैसे लोगों को जांच के दायरे में लाना चाहिए, जो बाहर से आये हैं या जिनकी तबीयत खराब है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई ऐसे लोग अब भी पुलिस-प्रशासन की नजरों से छिपे हुए हैं, जो बाहर से आये हैं। उन्हें अपनी जांच कराने में भी डर लग रहा है। प्रशासन के लिए इस डर को दूर करना जरूरी हो गया है। इसके साथ ही लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करने की जिम्मेदारी भी प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं की है। चूंकि इस बीमारी का कोई इलाज अब तक नहीं खोजा जा सका है, लोगों को यह समझाना जरूरी हो गया है कि संयम और संकल्प ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। घरों में रहने, अनावश्यक बाहर नहीं निकलने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है, इस बात से लोगों को अवगत कराना होगा।
झारखंड के लिए कोरोना का संक्रमण फैलना बड़ी चुनौती है। राज्य सरकार और प्रशासन के निर्देशों का पालन कर ही स्थिति का सामना किया जा सकता है। शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में जिस तरह सभी राजनीतिक दलों ने कोरोना संकट से लड़ने के लिए एकजुटता प्रदर्शित की और सरकार को हरसंभव सहयोग करने का भरोसा दिया, उस पर अमल का वक्त आ गया है। झारखंड को कोरोना से बचाने के लिए राजनीतिक दलों को अहम भूमिका निभानी है। उन्हें अपना सब कुछ झोंकना होगा, ताकि यहां की सवा तीन करोड़ आबादी सुरक्षित रह सके। इसके साथ ही केंद्र सरकार को भी झारखंड को पर्याप्त टेस्टिंग किट उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि सैंपलों की जांच तेजी से हो और संक्रमितों की संख्या का पता चल सके। इसमें अब कोई भी देरी जानलेवा साबित हो सकती है। अब जबकि तीन सप्ताह के लॉकडाउन की अवधि अंतिम चरण में है और इसके बढ़ाये जाने के संकेत मिलने लगे हैं, लोगों को इस पर सख्ती से अमल करने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो झारखंड को कोरोना के खतरनाक संक्रमण से बचाने के लिए अब तक की गयी सारी कोशिशें बेकार साबित हो जायेंगी और हम असहाय होकर अपने भाई-बहनों को काल के गाल में समाते देखने के लिए मजबूर हो जायेंगे। और इस बेबसी के लिए हमें आनेवाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेंगी। इसलिए यह समय डरने या घबड़ाने का नहीं, बल्कि चुनौतियों का डट कर सामना करने का है, ताकि कोरोना के खिलाफ जंग में हम जीत हासिल कर सकें।