• विस चुनाव में एक पार्टी के लिए काम करने का लगा आरोप, अब कदमा के थानेदार
    अजय शर्मा
    रांची। झारखंड पुलिस में पावरफुल दारोगा और इंस्पेक्टर सिस्टम से ऊपर हैं। इनके लिए कोई नियम नहीं है। वे जहां चाहते हैं, उसी जिला में जाते हैं। बाद में मनचाहा थाना में पदस्थापित होते हैं। पुलिस के स्थानांतरण और पदस्थापन का कोई नियम इन पर लागू नहीं होता। पूर्व की सरकार में करीब 50 ऐसे दारोगा और इंस्पेक्टर हैं, जो मनचाहे जिलों में चले गये हैं।
    सरयू राय के विरोध पर हटा दिये गये थे, अब कदमा के थानेदार
    जमशेदपुर में राजीव रंजन सिंह इंस्पेक्टर हैं। जब ये दारोगा थे, तो कम से कम सात थाना में प्रभारी रह चुके हैं। इनका तबादला वहां से दूसरे जिला में हुआ। बाद में इंस्पेक्टर में प्रोन्नत होते ही उन्हें जमशेदपुर भेजा गया। इनके साथ अंजनी कुमार सिंह अभी सीता रामडेरा, मनोज कुमार ठाकुर- सिदगोड़ा, मिथिलेश कुमार सिंह-मानगो के इंस्पेक्टर हैं। बागबेड़ा में राजेश कुमार सिंह हैं। ये भी दुबारा पहुंचे हैं। पहले बात शुरू करते हैं राजीव रंजन सिंह के बारे में। विधानसभा चुनाव में राजीव रंजन सिंह साकची के थाना प्रभारी थे। आरोप लगा कि उन्होंने भाजपा के पक्ष में काम करते हुए विधायक सरयू राय के समर्थक के यहां छापामारी कर दी। उस समय सरयू राय ने इस मामले को मुद्दा बनाया और राजीव रंजन सिंह को साकची से हटा दिया गया था। साथ ही मुख्यालय रांची में योगदान देने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने रांची में योगदान नहीं दिया। कुछ दिन बाद निलंबन भी वापस हो गया और वे अब कदमा के थानेदार हैं। चार ऐसे इंस्पेक्टर हैं, जो जमशेदपुर में दारोगा के रूप में लंबे समय से हैं। अब इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत हैं।
    रांची, धनबाद और हजारीबाग में दोबारा भेजे गये इंस्पेक्टर
    रांची, धनबाद और हजारीबाग में भी 30 से अधिक वैसे इंस्पेक्टर हैं, जो इन जिलों के बेहतर थानों में पहले रह चुके हैं। इनमें रांची में 10, धनबाद में 10 और हजारीबाग में 10 इंस्पेक्टर हैं।
    इस तरह निकाला अनोखा रास्ता
    आइपीएस अधिकारियों ने इसके लिए जो रास्ता निकाला, वह भी अनोखा है। पैसे के खेल में रास्ता तो निकल ही जाता है। अनुशंसा की गयी कि अपराध रोकने के लिए दोबारा भेजा गया है, लेकिन सच इसके उलट है। कमजोर दारोगा इंस्पेक्टर के लिए सारे नियम लागू होते हैं। दबंग के लिए नहीं।
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