रांची। राज्यसभा चुनाव 2010 में कथित हॉर्स ट्रेडिंग मामले में शनिवार को सीबीआइ की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान बरही विधायक उमाशंकर अकेला, तत्कालीन विधायक राजेश रंजन एवं पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने अदालत के समक्ष कहा कि सीबीआई द्वारा इस मामले से जुड़े कई दस्तावेज इन्हें नहीं दिए गए हैं. इस आधार पर उन्होंने अदालत से चार्जफ्रेम की तिथि को विस्तार देने का आग्रह किया. उक्त आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए सीबीआई को सभी आरोपियों को दस्तावेज सौंपने का निर्देश दिया है. पिछली सुनवाई को अदालत ने शनिवार को आरोप की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन चार्जफ्रेम नहीं हो सका.
हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी
बता दें कि वर्ष 2010 के राज्यसभा चुनाव में कथित हॉर्स ट्रेडिंग का मामला सामने आने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी. जांचोपरांत 2013 में अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया. एक निजी टीवी चैनल ने स्टिंग आॅपरेशन कर चुनाव में पैसे के लेन-देन का खुलासा किया था. जो वीडियो दिखाये गए थे, उसमें विभिन्न पार्टी के विधायकों ने वोट के बदले प्रत्याशी से 50 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक की मांग की थी. मामला सामने आने के बाद पहले निगरानी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. बाद में हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद सीबीआइ कोर्ट ने केस को टेकओवर कर लिया.