नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने गुरुवार को कहा कि 2050 तक भारत की अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन डॉलर होनी चाहिए और इसके लिए भारत-अफ्रीका संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। कुलपति सिंह वाइसरीगल लॉज स्थित कन्वेंशन हॉल में डीयू के अफ्रीकी अध्ययन विभाग द्वारा “महात्मा गांधी और गांधीवाद: अफ्रीका के साथ भारत के संबंधों को सक्रिय करना” विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि अफ्रीका युवा आबादी के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्तमान में दुनिया के 3 में से एक व्यक्ति का जन्म अफ्रीका में हो रहा है। दुनिया की 10 में से 3 तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं अफ्रीका में हैं। उन्होंने विभिन्न संसाधनों के विस्तार से आंकड़े देते हुए बताया कि अफ्रीका के पास दुनिया के 30 प्रतिशत खनिज संसाधन हैं। यदि हमें भारत के लिए कुछ सार्थक करना है तो वह भारत- अफ्रीका के बीच मजबूत संबंधों के साथ सफलता से किया जा सकता है, जोकि दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने कहा कि भारत के साथ अफ्रीका का आयात और निर्यात बहुत ही अच्छा है। वर्तमान में भारत का 21 प्रतिशत से अधिक निर्यात अफ्रीका के साथ है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका के पास दुनिया का 25 प्रतिशत जमीनी संसाधन है जोकि पूरी दुनिया को भोजन उपलब्ध करवा सकता है, इसलिए कृषि क्षेत्र में भारत की विकसित तकनीक और ज्ञान का इस्तेमाल अफ्रीकी देशों की कृषि के विकास के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही शिक्षा, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में अफ्रीका के साथ बहुत काम किया जा सकता है।

कुलपति ने महात्मा गांधी के दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ संबंधों का विस्तार से जिक्र करते हुए बताया कि डीयू की ऐतिहासिक इमारत, वाइसरीगल लॉज से गांधी का गहरा संबंध रहा है। उन्होंने बताया कि गांधी कई बार इस इमारत में आए और गांधी-इरविन समझौते पर इसी इमारत में हस्ताक्षर हुए। इसी समझौते की बदौलत करीब 80,000 कैदियों की रिहाई हुई थी। कुलपति ने वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत सरकार गांधी के सपनों का भारत बनाने में सक्रियता से काम कर रही है।

कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए मॉरीशस के उच्चायुक्त की राजनयिक रीमा बी. रोबी ने विस्तृत आंकड़ों सहित भारत-अफ्रीका आर्थिक और राजनयिक संबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान अफ्रीकी देशों को करीब 37.59 मिलियन डोज़ वेक्सीन उपलब्ध करवाई। उन्होंने गांधी के सत्याग्रह को आजादी का मूल मंत्र बताते हुए कहा कि गांधी का मानना था कि अफ्रीका की आजादी के बिना भारत की आजादी अधूरी है। उनसे नेल्सन मंडेला जैसे अनेकों अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने प्रेरणा प्राप्त की है। उन्होंने अफ्रीकी देशों, विशेषकर मॉरीशस, के लिए भारत के योगदान और उनके विद्यार्थियों को भारत द्वारा शिक्षा में सहयोग और स्कॉलरशिप देने के लिए भी आभार व्यक्त किया। उनके साथ ही अन्य मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित आईसीएसएसआर, नई दिल्ली की उप निदेशक डॉ. ऋचा शर्मा ने गांधी पर अलग तरीके से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि गांधी को लोगों ने कई तरह से समझा और जाना है। डॉ. ऋचा शर्मा ने कहा कि वह गांधी को एक सफल वकील के रूप में देखती हैं। डॉ. शर्मा ने गांधी की वकालत से जुड़ी अनेकों घटनाओं के साथ विस्तार से बताया कि कानूनी पेशे के लिए गांधी ने बहुत कुछ किया। व्यावसायिक रूप से गांधी एक सफल वकील थे, जिन्होंने भारत व अफ्रीका में लंबे समय तक वकालत की।

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