-आमजनों को घंटों लाइन में खड़ा कर डेढ़ सौ से पांच सौ रुपये लेकर पहले दर्शन करवा देते हैं बिना लाइनवालों को
-भक्तों को गेट पर रोक कर गर्भगृह में मनचाहा समय तक पूजा करवा रहे हैं पैसे देनेवालों को
-भीड़ में बिलखते रहते हैं दुधमुहे बच्चे, फिर भी लालच इतनी कि कानों में रुई डाले हुए हैं पंडा
-बुजुर्गों की आंखों से बस आंसू नहीं टपकते, जब उनके ही सामने से लाइन तुड़वाते हैं पंडा
-विरोध करने पर गुंडों की जुबान में कहते हैं- बड़े-बड़े आये और चले गये
आजाद सिपाही संवाददाता
तमाड़। तमाड़ स्थित देउड़ी मंदिर आस्था और विश्वास का एक ऐसा संगम है, जो झारखंड ही नहीं, विदेशों तक विख्यात है। लेकिन यहां पर मां देउड़ी की तथाकथित रूप से सेवा करनेवाले पंडा, भक्तों की श्रद्धा के साथ खुल कर खिलवाड़ कर रहे हैं। मां देउड़ी के इस मंदिर में किसी-किसी दिन भीड़ बहुत होती है। श्रद्धालु अपने परिवार के साथ मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। छोटे-छोटे दुधमुंहे बच्चे भी मां का आशीर्वाद प्राप्त करने अपने माता-पिता की गोद में जाते हैं। लेकिन भीड़ में अपने माता-पिता के कंधों से चिपके ये बच्चे घंटों रोते-बिलखते नजर आते हैं। इसका प्रमुख कारण है मां का दर्शन देर से प्राप्त होना। लेकिन इसमें देरी करवाते हैं, वहां पर मौजूद पंडे, जिन्हे लाइसेंस प्राप्त है कि किसे पैसा लेकर या दबंग व्यक्ति को पहले दर्शन करवाया जाये। उनका मुख्य उद्देश्य है चंद पैसों के लिए भीड़ में लगे श्रद्धालु से पहले लाइन तोड़ कर पैसे देनेवालों या दबंगई करनेवालों को तुरंत मां के दर्शन करवाना। यही नहीं, ज्यादा पैसे देनेवालों को वे मां के गर्भ गृह में प्रवेश करवा कर बाहर गेट पर खड़ा हो जाते हैं और दस से पंद्रह मिनट तक उनसे पूजा करवाते हैं, आरती करवाते हैं। आप 10 मिनट तक मंदिर के दरवाजे की ओर ताकते रहिये कि कब पैसे देनेवाले महानुभाव निकलेंगे और लाइन आगे खिसकेगी। लेकिन लाइन खिसकती ही नहीं है, क्योंकि पैसे लेकर पंडा फिर किसी को अंदर प्रवेश करवा देते हैं। लाइन लगा कर दर्शन करनेवालों की संख्या कम होने का नाम ही नहीं लेती। जो दर्शन मात्र एक घंटे में लाइन में खड़े होकर भक्त कर सकते हैं, उन्हें तीन से चार घंटे लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। नतीजा होता है रोते-बिलखते मासूमों को मां का दूध नहीं मिलने से गला सूख जाता है। गर्मी में बच्चे पसीने से लथपथ हो जाते हैं। लेकिन मासूमों के रोने की आवाजें उन लालची पंडों के कानों में जाती कहां है। उन्हें तो सिर्फ पैसा दिख रहा है। बुजुर्गों को जो कष्ट होता है, वह अलग। कभी लाइन में खड़े बुजुर्गों का चेहरा देखियेगा, तो मन मसोस जायेगा, वे बस रोते नहीं हैं। यह नौबत तब आती है, जब उन्हीं के सामने से कोई दबंग या पैसा देकर उनके सामने से यह कहते हुए निकल जाता है कि मां की कृपा हो गयी, उन्होंने तुरंत बुला लिया। यही नहीं, वे तब तक गर्भ गृह में पूजा करते हैं, जब तक वे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाते। बाहर निकलते समय वे कहते हैं- मजा आ गया, आज बहुत देर तक पूजा की। मां का आशीर्वाद लिया। बहुत से भक्त ऐसे होते हैं, जो विरोध भी नहीं कर पाते। अगर कोई व्यक्ति पंडो का विरोध करता है और कहता है कि हम आप लोगों की शिकायत करेंगे, तब वहां मौजूद पंडों का लहजा सुन आप दंग रह जायेंगे। ऐसा लगेगा कोई गली का गुंडा आपसे बात कर रहा है। पंडा कहते हैं, जो करना है, कर लो, बड़े-बड़े आये और चले गये। आप बस उस पंडे का मुख देखते रह जायेंगे। दंग रह जायेंगे कि जिसे मां की सेवा का कार्य मिला है, मां के भक्तों को मां के दर्शन करवाने की जिम्मेवारी मिली है, उनका लहजा ऐसा। और तो और बेशर्म मुंह से कहते हुए भी नजर आयेंगे कि दक्षिणा दीजिए। अरे, इतना ही दे रहे हैं, और दीजिए। जिस व्यक्ति का आपने दर्शन करने से पहले उसकी भक्ति पर आघात कर दिया हो, उससे धमकी भरे लहजे में बात की हो और उससे जबरदस्ती पैसे मांगना तो बेशर्मी की पराकाष्टा की सारी हदें लांघ जाता है। मां को भी यह सब देख बहुत पीड़ा अवश्य होती होगी। जिस सनातन धर्म की रक्षा के लिए कई पंडितों, संतों ने अपनी जान गंवा दी, वहां पर ऐसे पंडे हैं, जो सनातन धर्म को बदनाम करने में लगे हैं। आप देउड़ी मंदिर में स्थित किसी भी दुकानदार, फोटोग्राफर और यहां तक कि लोकल लोगों से पूछ लेंगे, तो वे भी यही कहानी बयान करेंगे। बोल देंगे कि पैसा लेकर दर्शन करवाता है और लाइन में लगे लोगों को घंटों खड़ा करवा देता है। एक बात और यहां बताना चाहूंगा कि अगर आप किसी दबंग का विरोध करते हैं ओर उसके साथ उसका सिक्योरिटी गार्ड आया है तो उसकी धमकी के लिए भी आप तैयार रहिये। वे मंदिर के गेट के बाहर से भी आपको ऐसी चेतवानी देंगे कि निकलते आपको और आपके परिवार को धो डालेंगे। दबंग भी आप पर उंगली दिखा कर तानेगा। आपको मां बहन की गालियां देगा। उसके साथ अगर कोई महिला आयी है, वह भी आपको अंग्रेजी में गाली देगी। बस वह गाली आपको समझ में आनी चाहिए। डिक्शनरी खोलियेगा तो पता लगता है कि उसने तो गाली दे दी।
देउड़ी मंदिर में भक्त मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। कई तो दूसरे राज्यों से भी आते हैं, लेकिन यहां आकर पंडों का आचरण देख अपने साथ एक कड़वी यादों को भी साथ ले जाते हैं। मां तो अपने भक्तों को बहुत अच्छे से दर्शन देती हैं, उनकी मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं, लेकिन मां को यह भी पता होता है कि उसके सेवक उनके भक्तों को जलील ही नहीं कर रहे, उन्हें कष्ट भी पहुंचा रहे। उनकी भक्ति पर आघात कर रहे हैं। झारखंड के इस पवित्र मंदिर की ख्याति पर भी आघात कर रहे हैं। वर्तमान में देउड़ी मंदिर में पंडों की जो अराजकता है, अगर प्रशासन ने उस पर रोक नहीं लगायी, तो किसी दिन वहां बड़ी घटना हो सकती है।

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