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अडाणी प्रकरण पर कांग्रेस के स्टैंड की निकल गयी हवा

देश में सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड अब तक कायम रखनेवाले ‘मराठा स्ट्रांगमैन’ शरद पवार ने 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी एकता की कोशिशों को करारा झटका दिया है। तमाम विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की ओर उम्मीदों से देखते आये हैं। इसके पीछे का कारण पवार द्वारा महाराष्ट्र में कुछ साल पहले एक-दूसरे से विपरीत विचारधारा वाले दलों को साथ में लाना है। लेकिन एक टीवी चैनल को दिये गये इंटरव्यू के बाद से कहा जाने लगा है कि पवार के स्टैंड ने विपक्षी एकता की गाड़ी को पटरी से उतार दिया है। पवार ने कहा है कि अडाणी मामले की संयुक्त संसदीय समिति की जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति यथोचित जांच कर रही है। उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडाणी समूह को निशाना बनाया गया। किसी ने बयान दिया और देश में हंगामा खड़ा कर दिया। बकौल पवार, पहले भी ऐसे बयान दिये गये, जिससे बवाल मचा। हालांकि इस बार मुद्दे को जो महत्व दिया गया, वह जरूरत से कहीं ज्यादा था। शरद पवार यहीं नहीं रूके। उन्होंने कहा कि देश के विकास में टाटा और बिड़ला का नाम आदर के साथ लिया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज देश के मौजूदा विकास में अडाणी और अंबानी का बहुत योगदान है। इन्हें इस नजरिये से भी देखा जाना चाहिए। शरद पवार के इस बयान पर हालांकि कांग्रेस ने इतना भर कहा है कि यह उनकी निजी राय हो सकती है, लेकिन राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि 2024 के मुकाबले का यह बड़ा टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। इससे कुछ दिन पहले ही पवार के भतीजे अजीत पवार ने पीएम मोदी की डिग्री के मामले पर विपक्ष के स्टैंड का विरोध कर संकेत दिया था कि राकांपा के विकल्प अब भी खुले हुए हैं। पहले जूनियर पवार और अब सीनियर पवार के स्टैंड ने बहुत कुछ साफ कर दिया है, लेकिन अभी अंतिम तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। शरद पवार के स्टैंड के राजनीतिक मायनों का विश्लेषण कर रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष एकजुट होने की कोशिश में लगा हुआ है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल बजट सत्र के दौरान कारोबारी गौतम अडाणी को लेकर सामने आयी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर सत्ताधारी भाजपा पर हमलावर हैं। लंबे समय से बिखरा-बिखरा दिखाई दे रहा विपक्ष अडाणी प्रकरण और फिर राहुल गांधी की सांसदी जाने के मुद्दे पर एक साथ नजर आया। सभी ने एक-दूसरे के साथ एक सुर मिलाये, जिससे पूरे बजट सत्र के दौरान संसद लगातार स्थगित होती रही। विरोध प्रदर्शन होने के बाद भी सरकार ने विपक्ष की जेपीसी की मांग नहीं मानी, लेकिन इस बीच विपक्ष को अडाणी मामले में बड़ा झटका जरूर लग गया। दरअसल, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की जेसीपी की मांग से खुद को अलग कर लिया है। पवार का यह कदम विपक्षी एकजुटता के लिए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अहम झटका माना जा रहा है।

पूरा विपक्ष एक तरफ, पवार दूसरी तरफ
यह सच है कि तमाम विपक्षी दल राकांपा प्रमुख शरद पवार की ओर उम्मीदों से देखते आये हैं। इसके पीछे का कारण पवार द्वारा महाराष्ट्र में कुछ साल पहले एक-दूसरे से विपरीत विचारधारा वाले दलों को साथ में लाना है। राकांपा प्रमुख की वजह से ही महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा साथ आ पायी और महाविकास अघाड़ी बना कर सरकार बनायी। इसी वजह से लोकसभा चुनाव को लेकर भी विपक्षी दल उम्मीद कर रहे थे कि शरद पवार अपने अनुभव से जरूर विपक्ष को एकजुट रख सकेंगे और भाजपा के खिलाफ कोई बड़ा विकल्प जनता को दे सकेंगे, लेकिन ऐसा होने से पहले ही विपक्ष का पूरा खेल बिगड़ गया। एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में शरद पवार ने विस्तार से अडाणी मामले पर बात की। उन्होंने साफ किया कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की कमेटी से ही करवायी जानी चाहिए, ना कि जेपीसी से। उल्लेखनीय है कि पूरे बजट सत्र के दौरान विपक्ष जेपीसी पर ही अड़ा रहा था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाये जाने के बाद भी विपक्ष जेपीसी की मांग करता रहा। पवार ने इंटरव्यू में कहा कि विपक्ष ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को जरूरत से ज्यादा अहमियत दी। इस कंपनी के बारे में ज्यादा किसी को भी मालूम नहीं है। यहां तक कि इसका नाम भी हमने नहीं सुना। पवार ने आशंका जतायी कि इस मामले में एक औद्योगिक समूह को बेवजह निशाना बनाया गया है। पवार द्वारा अडाणी समूह का समर्थन किये जाने से विपक्ष सकते में आ गया है।

क्या कहा शरद पवार ने
मेरी पार्टी ने अडाणी मुद्दे पर जेपीसी का समर्थन किया है, लेकिन मुझे लगता है कि जेपीसी पर सत्तासीन पार्टी का कब्जा रहेगा, इसलिए इससे सच्चाई सामने नहीं आ पायेगी। इसमें सत्ता पक्ष के 15 सदस्य रहेंगे। विपक्ष के सिर्फ पांच। मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाला पैनल ज्यादा बेहतर तरीके से सच्चाई सामने ला सकता है। पवार ने आगे कहा, आज कल अंबानी-अडाणी का नाम सरकार की आलोचना के लिए इस्तेमाल होने लगा है, लेकिन हमें देश के लिए उनके योगदान के बारे में भी सोचना चाहिए। पहले जब भी देश के विकास की बात सामने आती थी, तो टाटा-बिड़ला का नाम बहुत आदर के साथ लिया जाता था। इसमें कोई दो राय नहीं कि अभी के विकास में अंबानी-अडाणी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। मुझे लगता है कि हमारे लिए बेरोजगारी, महंगाई और किसानों का मुद्दा ज्यादा अहम है।

अडाणी मुद्दे को क्यों किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहता विपक्ष
जनवरी के आखिरी में अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही विपक्ष इस मामले में भाजपा और मोदी सरकार पर तीखा हमला बोलता रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, टीएमसी की महुआ मोइत्रा समेत कई विपक्षी नेता हमलावर दिखे। यही नहीं, राहुल गांधी काफी पहले से अडाणी के जरिये केंद्र सरकार को घेरते आये हैं। इसी वजह से जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट आयी, तो साफ हो गया कि मुद्दों की कमी और एकजुटता से जूझ रहा विपक्ष शायद ही इस मुद्दे को हाथ से जाने दे। राजनीतिक विशेषज्ञ भी मानने लगे कि लोकसभा चुनाव से पहले हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने की वजह से विपक्ष को बैठे-बिठाये सरकार पर निशाना साधने का बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है। विपक्ष लंबे समय से किसी ऐसे मुद्दे की तलाश में था, जिसके जरिये वह गरीबों और मध्यवर्ग तक पहुंच सके। इसी वजह से राहुल गांधी, संजय सिंह समेत अन्य नेताओं ने भारतीय जीवन बीमा निगम, भारतीय स्टेट बैंक, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन आदि का जिक्र किया और कहा कि इसका पैसा अडाणी की कंपनियों में निवेश किया जा रहा है। विपक्ष एकजुट होकर इस मुद्दे के जरिये घर-घर तक पैठ बनाने की कोशिश में लगा हुआ है, लेकिन अब पवार के अलग रुख की वजह से उसकी एकजुटता पर जरूर सवाल खड़े होने लगे हैं।
पवार की अलग राय पर कांग्रेस समेत विपक्षी दल क्या कह रहे
शरद पवार का इंटरव्यू सामने आने के बाद विपक्षी दलों में हलचल मच गयी। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट करते हुए मीडिया पर भी हमला बोला। उन्होंने लिखा कि अडाणी के स्वामित्व वाले चैनल ने अडाणी के दोस्तों का इंटरव्यू लिया और बताया कि कैसे उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। भारतीय मीडिया जिÞंदाबाद, आप वास्तव में एक दुर्लभ प्रजाति हैं। टीएमसी नेता ने अपने ट्वीट के साथ शरद पवार के इंटरव्यू का स्क्रीनशॉट भी लगाया। वहीं कांग्रेस ने पवार के बयान को उनका निजी विचार बताया। कांग्रेस ने कहा कि उसकी सहयोगी राकांपा का अपना विचार हो सकता है, लेकिन 19 समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों का मानना है कि अडाणी समूह के खिलाफ आरोप वास्तविक और बहुत गंभीर हैं। कांग्रेस ने यह भी कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित सभी 20 समान विचारधारा वाले विपक्षी दल एकजुट हैं और भाजपा के हमलों से संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए एक साथ रहेंगे। कांग्रेस के बयान से साफ है कि पार्टी उम्मीद कर रही है कि भले ही पवार अडाणी मामले में विपक्षी दलों के साथ नहीं हों, लेकिन वह भाजपा के खिलाफ जरूर विपक्ष का साथ देते रहेंगे।
पवार के इस नये स्टैंड के बाद विपक्षी खेमे में छायी मायूसी का असली असर एक सप्ताह बाद सामने आयेगा, लेकिन फिलहाल तो भाजपा के मिशन 2024 के रास्ते में आयी बड़ी बाधा दूर होती दिखायी दे रही है।

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