– संसदीय सीट पर 23 अप्रैल को हो रहे उपचुनाव के लिए नामांकन दर्ज कराया

काठमांडू। पूर्व उप प्रधानमंत्री एवं जनता समाजवादी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव पिछले साल 20 नवंबर को हुए संसदीय चुनाव में हारने के बाद अब उपचुनाव के जरिए सांसद बनने की तैयारी में हैं। उन्होंने बारा 2 संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए सोमवार को नामांकन दर्ज कराया है।

पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव को 2007 और 2008 में हुए मधेश आंदोलन का नेता माना जाता है। उसके बाद हुए सभी चार संसदीय चुनावों में उन्होंने जीत हासिल की। पिछले साल 20 नवंबर को हुए संसदीय चुनाव में वह सप्तरी 2 सीट से जनमत पार्टी के अध्यक्ष सीके राउत से हार गए। इस बीच बारा 2 सीट से अपनी ही पार्टी जनता समाजवादी से संसदीय चुनाव जीतने वाले राम सहाय प्रसाद यादव उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हो गए। राम सहाय के उपराष्ट्रपति बनने के बाद से खाली हुई सीट के लिए 23 अप्रैल को उप चुनाव होना है।

पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने उपचुनाव के जरिए सांसद बनने की रणनीति बनाई है। आज सोमवार को उपेंद्र यादव ने बारा पहुंचकर निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में अपना नामांकन दर्ज कराया। सत्तारूढ़ गठबंधन की प्रमुख पार्टी नेपाली कांग्रेस और पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन (एमसी) ने उपेंद्र को समर्थन देने का फैसला किया है। सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल, सीके राउत के नेतृत्व वाली जनमत पार्टी और महंत ठाकुर के नेतृत्व वाली लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी ने उपेंद्र यादव के खिलाफ प्रचार किया।

आम जनता पार्टी के अध्यक्ष प्रभु साह ने उपेंद्र यादव पर मधेश विरोधी होने का आरोप लगाया है। सीके राउत की पार्टी जनमत ने माओवादी पार्टी छोड़ने वाले शिवचंद्र कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे यह भी पता चलता है कि मधेश प्रांत के बारा 2 में मधेश केंद्रित नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला होगा। मधेश के एक और प्रभावशाली नेता राजेंद्र महतो ने बारा 2 से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। हालांकि, मधेश के प्रभावशाली नेताओं सीके राउत और प्रभु शाह के उपेंद्र के खिलाफ सक्रिय होने के बाद चुनौती बढ़ गई है।

बारा 2 में रवि लामिछाने की राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से पूर्व डीआईजी रमेश खरेल उम्मीदवार बने हैं। पूर्व मंत्री पुरुषोत्तम पौडेल केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन (यूएमएल) से उम्मीदवार बने हैं। बारा 2 के संसदीय चुनाव में प्रभावशाली नेताओं के उम्मीदवार बनने के बाद नेपाल का उपचुनाव दिलचस्प हो गया है।

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