रांची। जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि पूर्व सीएम ने इडी अफसरों को धमकाने की कोशिश की थी। वहीं इडी ने एनजीटी में एक हलफनामा दाखिल किया है जिसमें यह बताया गया है कि हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा ने एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का अवैध खनन किया है।
एनजीटी में हलफनामा दाखिल
राजमहल पहाड़ी के संरक्षण व संवर्धन के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अरशद नसर ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पूर्वी जोन कोलकाता में याचिका (संख्या-23/2017) दायर की थी। इसमें आखिरकार लंबे इंतजार के बाद प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के रांची जोन के सहायक निदेशक देवव्रत झा ने एनजीटी में हलफनामा दायर कर दिया है।
इडी ने क्या बताया?
इडी ने एनजीटी को ये जानकारी दी है कि बीते दो वर्षों में बड़ी संख्या में रेलवे रेक से स्टोन चिप्स बिना माइनिंग चालान के परिवहन किया गया है। अवैध खनन गतिविधियों से प्राप्त आय को पंकज मिश्रा ने अपने सहयोगियों के खातों के माध्यम से सफेद कर बेदाग संपत्ति के रूप में पेश किया गया है। इडी ने धन संशोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत आगे जांच जारी रहने की जानकारी एनजीटी को दी है।
1000 करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका खनन
इडी ने कहा है कि आठ जुलाई 2022 को पंकज मिश्रा और उनके सहयोगियों के परिसरों की तलाशी ली गई थी। 25 जुलाई से लेकर 29 जुलाई 2022 तक इडी ने कई संबंधित राज्य के अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम द्वारा खदानों का संयुक्त सत्यापन और सर्वे कराया। निरीक्षण में अवैध खनन और उनके अवैध परिवहन की पुष्टि हुई। आज तक 1000 करोड़ रुपए से अधिक का अवैध खनन हो चुका है।
साहिबगंज में पंकज करवाता था अवैध खनन
इडी ने हलफनामे में बताया है कि साहिबगंज जिले के बरहरवा थाना में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और एक नेता के खिलाफ दर्ज कांड को ईसीआईआर में परिवर्तित करते हुए इडी ने जांच शुरू की तो जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन और परिवहन का मामला पकड़ा गया। इसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पंकज मिश्रा संचालित करता था। मामले की अगली सुनवाई एनजीटी में 13 मई को होगी।
इडी अफसरों को धमकाने की हुई कोशिश
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर स्टेट मिशनरी के दुरुपयोग व इडी की जांच में शामिल पदाधिकारियों को धमकाने की कोशिश करने का आरोप एजेंसी ने लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत पांच आरोपियों पर दायर चार्जशीट में इडी ने बताया है कि दिल्ली में सीएम आवास में पीएमएलए के सर्च को लेकर इडी के अधिकारियों पर 31 जनवरी को एफआईआर की गई। इस एफआईआर को दर्ज कर इडी की जांच में शामिल पदाधिकारियों को सरकारी मिशनरी के दुरुपयोग कर धमकाने का आरोप लगाया गया है। इडी ने चार्जशीट में बताया है कि 31 जनवरी को इडी के अधिकारी सीएम हाउस में जब सीएम हेमंत सोरेन का बयान दर्ज कर रहे थे, उसी दौरान इडी के अधिकारियों की संभावित गिरफ्तारी की सूचनाएं मीडिया में फ्लैश कराई गई। ताकि इडी के अधिकारियों को भयग्रस्त किया जा सके।
हेमंत सोरेन पर एक और आरोप
इडी ने चार्जशीट में बताया है कि एसटी-एससी थाने में दिए आवेदन में तत्कालीन सीएम ने बताया कि उन्हें बीएमडब्लू या अवैध पैसों के बरामदगी की कोई जानकारी नहीं है। इन सूचनाओं से उनकी छवि खराब करने की कोशिश की गई। लेकिन उसी दिन सीएम का बयान इडी के अधिकारियों ने लिया तो हेमंत सोरेन ने स्वीकार किया कि वह अपनी ब्लू बीएमडब्लू कार से ही 28 जनवरी की रात निकले थे। इडी ने बताया है कि इस तरह यह स्पष्ट है कि इडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
सीआरपीएफ अफसरों पर दर्ज केस को भी बताया फर्जी
गोंदा थाने में तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन से पहली बार हुई पूछताछ के दिन को लेकर दर्ज सीआरपीएफ अधिकारियों पर केस को भी इडी ने फर्जी बताया है। इडी ने बताया है कि 20 जनवरी को जब आरोपी से पूछताछ के लिए इडी गई थी, तब भारी संख्या में भीड़ सीएम आवास के बाहर मौजूद थी। ऐसे में सीआरपीएफ की टीम एजेंसी की सुरक्षा में पहुंची थी। इडी ने बताया है कि राज्य पुलिस इस तरह के केस दर्ज कर केंद्रीय एजेंसियों से बदलापूर्ण कार्रवाई कर रही थी।