-आज से असली जंग शुरू: गीता कोड़ा
-झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता घड़ियाली आंसू बहा रहे
-जेएमएम गुंडई और दबंगई की राजनीति करना चाहती है
चाइबासा। पश्चिमी सिंहभूम लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा ने सोमवार को नामांकन दाखिल किया। निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त कुलदीप चौधरी के समक्ष उन्होंने नामांकन दाखिल किया। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी मौजूद रहे। साथ ही जेबी तुबिद, गीता बलमुचू और संजय पांडेय भी मौजूद थे। नामांकन से पहले चाइबासा में समर्थकों भी भीड़ उमड़ पड़ी। गावों गावों ने समर्थक गाड़ी भर-भर कर नेता के सपोर्ट में आ रहे थे। चाइबासा शहर जाम हो गया था। खुद मधुकोड़ा जाम को हटाने का काम कर रहे थे।

गीता कोड़ा ने नामांकन के बाद कहा कि आज से असली और विधिवत रूप से जंग शुरू हो गयी है। हम लोग पूरी तरीके से तैयार हैं। बाबूलाल मरांडी भी आज नामांकन में शामिल हुए। मेरा यही कहना है कि लोग ज्यादा से ज्यादा वोट करें और सुरक्षित तरीके से वोट करें। पिछले दिनों झामुमो ने माहौल खराब करने की कोशिश की। प्रयास है कि लोग सुरक्षित तरीके से वोट करें। गीता कोड़ा ने कहा कि मैदान में जोबा मांझी तो हैं, साथ ही उनके पीछे चंपाई सोरेन भी हैं, लेकिन हमारे साथ नरेंद्र मोदी हैं और उनकी गारंटी भी है। कहा कि यह लड़ाई नीति और नियति के साथ है। सामने जो प्रतिद्वंद्वी हैं, उसके पास न नीति है न सिद्धांत है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड के लोगों के साथ छल किया है। झामुमो के नेताओं ने झारखंड के भोले-भाले लोगों को ठगा है। उनके साथ धोखेबाजी की है। जिस आशा-उम्मीद के साथ जनता ने सरकार को चुना, उनके साथ धोखा हुआ है। उन्हें गर्त में धकेलने का काम हुआ है।

आज झारखंड में लोग भुखमरी, बेरोजगारी, शिक्षा के लिए तरस रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओ को भी यहां की सरकार ने बैरिकेड लगाने का काम किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता घड़ियाली आंसू बहाने का काम कर रहे हैं। कह रहे हैं कि हमें तो कुछ मिल ही नहीं रहा है। हम कुछ काम ही नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि इनकी नियति ठीक नहीं है। इनके पास दूरदृष्टि नहीं है। सोच नहीं है। झारखंड को बनाने का काम भारतीय जनता पार्टी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। झारखंड को सिर्फ भाजपा ही संवार सकती है। आज झारखंड मुक्ति मोर्चा कि सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। सिर्फ सिंहभूम में 30 से 35 हजार बच्चे ड्राप आउट हैं। लेकिन मजाल है कि सरकार की नींद खुले। गाव-गाव में पलायन हो रहा है। घर पर सिर्फ बड़े बुजुर्ग रह गये हैं। उनको देखने के लिए कोई युवा नहीं है। अगर रोजगार होता तो न पलायन होता न घर के बुजुर्ग अकेले रहने को मजबूर होते।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता गुंडागर्दी और दबंगई की राजनीति करना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है।

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