खूंटी । खूंटी(सु) क्षेत्र में आचार संहिता लागू होते ही प्रशासनिक के साथ ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। एक ओर जिला प्रशासन खूंटी जिले में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है, वहीं राजनीतिक दलों द्वारा कार्यकर्ता सम्मेलन और कोर कमेटी की बैठकें आयोजित की जा रही है।

राजनीतिक जानकार भी मानते हैं कि जनजातियों के लिए सुरक्षित सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच ही होगा। अभी तक झारखंड पार्टी के एनोस एक्का ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। वैसे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने वाली असंवैधानिक पत्थलगड़ी की नेत्री बबिता बेलोसा कच्छप भी अपनी उम्मीदवारी की घोषण कर दी है, पर खूंटी क्षेत्र में इनके आने का चुनाव पर कितना प्रभाव रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। जनजातीय मामलों और केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा का मुख्य मुकाबला फिर से कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से ही है। पिछले लोकसभा चुनाव अर्जुन मुंडा 1445 मतों के अंतर से कालीचरण मुंडा को परास्त कर संसद पहुंचे थे।

लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा को अपने संसदीय क्षेत्र में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एक ओर जहां कुर्मी महतो, रौतिया, तेली आदि जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिये जाने से इन समुदायों से विरोध के स्वर निकलने लगे हैं, वहीं कुछ अन्य जातियों को आदिवासी का दर्जा दिये जाने से आदिवासी समुदाय में भी नाराजगी है। भाजपा विरोधी सेशल मीडिया में करन डालकर अर्जुन मुंडा को पातर समुदाय का बताकर उनकी उम्मीदवारी के विरोध को हवा देने में लगे हैं।

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