रांची। शारदीय नवरात्रि का आज नौवां और अंतिम दिन है,  इसे महानवमी के नाम से भी जाना जाता है।  इस बार नवमी तिथि 30 सितंबर को दोपहर 1:45 बजे शुरू हुई थी और 1 अक्टूबर को दोपहर 2:30 बजे तक रहेगी।

महानवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इसे कंजक पूजन भी कहा जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के बाद नव कन्याओं और एक बालक (भैरव) की पूजा करने से व्रत पूर्ण माना जाता है।

ऐसे करें कन्या पूजन

– 9 कन्याओं और 1 बटुक (लड़के) को आमंत्रित करें।

– उनके पैर धोकर उन्हें लाल चुनरी ओढ़ाएं।

– माथे पर रोली-चावल से तिलक लगाएं और हाथों में कलेवा (मौली) बांधें।

– फिर मंत्रों के साथ विधिपूर्वक पंचोपचार पूजन करें।

– पूजन के बाद सभी को प्रसाद (हलवा, पूरी, चने आदि) खिलाएं।

– उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर आशीर्वाद लें।

कहा जाता है कि सच्चे मन से किए गए कन्या पूजन से देवी दुर्गा अत्यंत प्रसन्न होती हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यदि यह पूजन शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो उसका दोगुना फल प्राप्त होता है।

कन्या पूजन का महत्व

हिंदू धर्म में कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। नवरात्रि के अंतिम दिन उनका पूजन कर मां दुर्गा को प्रसन्न किया जाता है।  कन्या पूजन बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है।

उम्र के हिसाब से कन्या पूजन का लाभ

– 2 साल :  2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है। इनकी पूजा से दुख, दरिद्रता दूर होती है। खुशियों का आगमन होता है

– 3 साल : तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति कहलाती हैं। इनके पूजन से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्त होता है। वंश में वृद्धि होती है।

– 4 साल :  चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है। इनकी उपासना से बुद्धि, विद्या में बढ़ोत्तरी और राज सुख मिलता है।

– 5 साल :  पांच साल की कन्या रोहिणी के रूप में जानी जाती हैं। इनकी आराधना से गंभीर रोगों का नाश होता है।

– 6 साल :  6 साल की बच्चियां कालिका का रूप मानी जाती है। इनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

– 7 साल : साल वर्ष की कन्या चंडिका कहलाती हैं। इस स्वरूप की उपासना से धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।

– 8 साल : आठ साल की कन्या देवी शांभवी का स्वरूप होती है। इनके पूजन से कोर्ट कचहरी के मामले जल्द हल होते हैं और विवाद समाप्त होता है।

– 9 साल : देवी दुर्गा का रूप होती हैं 9 साल की कन्या। कष्ट, दोष से मुक्ति पाने के लिए इस उम्र की कन्या की पूजा करें। इससे परलोक की प्राप्ति होगी।

– 10 साल :  इन्हें सुभद्रा कहा गया है। इनकी पूजा से बिगड़े काम बज जाते हैं। सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

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