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    Home»स्पेशल रिपोर्ट»झारखंड में टिकट बंटवारे के बाद इंडी गठबंधन में बवाल
    स्पेशल रिपोर्ट

    झारखंड में टिकट बंटवारे के बाद इंडी गठबंधन में बवाल

    adminBy adminApril 22, 2024No Comments7 Mins Read
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    विशेष
    -कांग्रेस के तीन प्रत्याशियों का पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
    -राजमहल में लोबिन और लोहरदगा में चमरा की बगावत से झामुमो पसोपेश में

    -इनकी उम्मीदवारी का हो रहा विरोध
    -दीपिका पांडेय सिंह, अनुपमा सिंह, केएन त्रिपाठी, जोबा मांझी, सुखदेव भगत
    -विरोध के झंडाबरदार हैं फुरकान अंसारी, डॉ इरफान अंसारी, प्रदीप यादव, लोबिन हेंब्रम, चमरा लिंडा

    झारखंड की सियासत का अलग ही फंडा है। यहां एक तरफ इंडी गठबंधन के दिग्गजों के जुटान हो रहा है, तो दूसरी ओर टिकट बंटवारे पर कांग्रेस में बवाल मचा है और झामुमो के भीतर से बगावती स्वर सुनाई दे रहे हैं। कांग्रेस के भीतर तो कम से कम तीन उम्मीदवारों की घोषणा का भारी विरोध हो रहा है और झामुमो अपने दो विधायकों के बगावती तेवर से पसोपेश में है। कांग्रेस के दिग्गज मजदूर नेता ललन चौबे ने धनबाद संसदीय सीट से अनुपमा सिंह को टिकट दिये जाने के खिलाफ इस्तीफा दे दिया है, वहीं गोड्डा संसदीय सीट से दीपिका पांडेय सिंह को प्रत्याशी बनाये जाने का विरोध वहां के दिग्गज कांग्रेसी फुरकान अंसारी, उनके पुत्र विधायक डॉ इरफान अंसारी और एक अन्य विधायक प्रदीप यादव ने किया है। उधर चतरा संसदीय सीट से केएन त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाये जाने का विरोध कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता भी कर रहे हैं। राजद के कार्यकर्ता तो पूरी तरह हमलावर ही हो गये हैं। उन्होंने रांची के प्रभात तारा मैदान में केएन त्रिपाठी के समर्थकों के साथ मारपीट कर दी। रैली में हंगामा मच गया। एक दर्जन लोग घायल हुए हैं। दर्जनों कुर्सियां टूट गयीं। दूसरी तरफ झामुमो के भीतर से उम्मीदवारों का विरोध तो नहीं हो रहा है, लेकिन बगावत के स्वर सुनाई देने लगे हैं। इनमें प्रमुख हैं लोबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा। लोबिन हेंब्रम जहां राजमहल से चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर चुके हैं, वहीं चमरा लिंडा भी लोहरदगा सीट से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि यह सीट कांग्रेस कोटे में गयी है। झारखंड की इन पांच सीटों पर विरोध और बगावत के अलावा चतरा संसदीय सीट को लेकर कांग्रेस और राजद में दरार पैदा हो गयी है। इन तमाम विरोधों, बगावतों और दरार के बाद इंडी गठबंधन का एकजुट होकर चुनाव लड़ने का दावा कितना मजबूत है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    झारखंड में इंडी गठबंधन के प्रमुख दलों कांग्रेस और झामुमो ने लंबी माथापच्ची के बाद ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अब दोनों ही पार्टियों को कई सीटों पर अपने ही दल के नेताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। दोनों दलों के सामने अभी पार्टी के भीतर का असंतोष थामने की चुनौती है। ऐसे में भितरघात का भी खतरा है। जो नेता प्रत्याशी बनने के लिए लॉबिंग कर रहे थे, वे चुनाव के दौरान मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। यह महागठबंधन के लिए सिरदर्द हो सकता है। कांग्रेस को जहां गोड्डा, धनबाद और चतरा में विरोध का सामना करना पड़ रहा है, वहीं झामुमो के भीतर राजमहल और लोहरदगा में बगावत की आशंका पैदा हो गयी है।

    सबसे अधिक विरोध गोड्डा और चतरा में
    कांग्रेस के भीतर सबसे अधिक विरोध गोड्डा और चतरा संसदीय सीट पर सुनाई दे रहा है। पूर्व सांसद और पार्टी के दिग्गज फुरकान अंसारी और उनके विधायक पुत्र डॉ इरफान अंसारी पार्टी द्वारा दीपिका पांडेय सिंह को टिकट दिये जाने का विरोध कर रहे हैं। इन पिता-पुत्र की जोड़ा के विरोध का स्वर कुछ ज्यादा ही मुखर है। डॉ इरफान अंसारी ने तो यहां तक कह दिया है कि पार्टी ने गोड्डा सीट पर भाजपा को वाकओवर दे दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा है कि झारखंड के मुसलमान कांग्रेस से निराश हो गये हैं और इसका असर दूसरे क्षेत्रों में भी पड़ेगा। पूर्व सांसद फुरकान अंसारी भी गोड्डा से टिकट के प्रबल दावेदार थे। इरफान का कहना है कि पार्टी और महागठबंधन दोनों को प्रत्याशी चयन में अल्पसंख्यकों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। वहीं चतरा में कांग्रेस उम्मीदवार केएन त्रिपाठी बाहरी उम्मीदवार होने के कारण कांग्रेसी भी विरोध कर रहे हैं।

    विधायक प्रदीप यादव भी हुए निराश
    गोड्डा संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट की दौड़ में पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव भी थे। उन्हें मौका नहीं मिलने से उनके समर्थक निराश हैं। समर्थकों ने खुल कर विरोध भी किया है। ओबीसी मतों की संख्या के आधार पर प्रदीप यादव दावेदारी कर रहे थे। चुनाव में उनकी नाराजगी गुल खिला सकती है। पिछले चुनाव में प्रदीप यादव झाविमो के टिकट पर गोड्डा से चुनाव मैदान में उतरे थे। फिर वह पोड़ैयाहाट से विधायक चुने गये और झाविमो के भाजपा में विलय के बाद कांग्रेस में शामिल हो गये। इसके बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिला, तो उनका असंतुष्ट होना स्वाभाविक ही है।

    मुस्लिमों-यादवों की उपेक्षा का लगा आरोप
    गोड्डा में दीपिका पांडेय सिंह को टिकट दिये जाने का राजद ने भी विरोध किया है। उसके नेताओं ने कहा कि इंडी गठबंधन में मुस्लिमों और यादवों की उपेक्षा हो रही है। राज्य की 14 लोस सीटों में कहीं भी मुस्लिम और यादव को टिकट नहीं मिला है। झारखंड में यादव और मुस्लिम की बड़ी आबादी है। इन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि ऐसे में झारखंड में मोहब्बत की दुकान कैसे सजेगी।

    धनबाद की प्रत्याशी का हो रहा विरोध
    धनबाद संसदीय सीट से अनुपमा सिंह को कांग्रेस का टिकट दिया गया है। वह राजनीति में एकदम नया चेहरा हैं। उन्हें धनबाद जैसी सीट से टिकट मिलने से कुछ कांग्रेसी हतप्रभ हैं। कई कांग्रेसियों ने तो यहां तक कह दिया कि वे अनुपमा सिंह को जानते तक नहीं हैं। इसके अतिरिक्त कई कांग्रेसियों ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है।

    चतरा में केएन त्रिपाठी का विरोध
    चतरा से कांग्रेस ने केएन त्रिपाठी को टिकट दिया है, जबकि पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यहां इस बार स्थानीय का मुद्दा सबसे ऊपर है। ऐसे में किसी बाहरी को प्रत्याशी बनाने का मतलब हार स्वीकार कर लेना है। केएन त्रिपाठी पलामू के हैं, जबकि भाजपा ने एक स्थानीय नेता कालीचरण सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया है।
    राजद ने तो चतरा में केएन त्रिपाठी के विरोध का झंडा ही उठा लिया है। राजद के कार्यकर्ताओं ने रांची में आयोजित उल गुलान महारैली में केएन त्रिपाठी के समर्थकों के साथ जम कर मारपीट की। कुर्सियां फेंकी गयीं। पंद्रह मिनट से ज्यादा समय तक हंगामा होता रहा। रैली में अफरा तफरी मच गयी थी। किसी तरह राजद और केएन त्रिपाठी के समर्थकों को अलग किया गया। राजद कार्यकर्ता हाथ में बाहरी उम्मीदवार को बदलो की तख्तियां लिये हुए थे और केएन त्रिपाठी का विरोध कर रहे थे। केएन त्रिपाठी के समर्थकों ने भी जब नारेबाजी शुरू की, तो दोनों ओर से मारपीट हो गयी।

    चतरा को लेकर कांग्रेस-राजद में दरार
    प्रत्याशियों के अलावा चतरा सीट को लेकर कांग्रेस और राजद के रिश्तों में दरार पैदा हो गयी है। राजद ने पहले चतरा सीट से राज्य के मंत्री सत्यानंद भोक्ता को टिकट देने की घोषणा की थी। भोक्ता ने प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया था। कांग्रेस ने इसका विरोध किया और अपना प्रत्याशी उतार दिया है। पार्टी का कहना है कि यह गलत है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच एक अदृश्य दीवार खड़ी हो गयी है, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।

    सिंहभूम में भी विरोध, कुछ प्रत्याशियों पर बाहरी का ठप्पा
    विरोध के स्वर झामुमो कोटे की सीट सिंहभूम पर भी है। वहां ‘हो’ जनजाति का प्रत्याशी देने का दबाव है। घोषित प्रत्याशी जोबा मांझी संताल जनजाति से संबंध रखती हैं। इसके अलावा कुछ प्रत्याशियों पर बाहरी का ठप्पा लगाया जा रहा है।

    चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम की बगावत
    इसके अलावा झामुमो के बागी नेता भी चुनौती बन रहे हैं। प्रत्याशियों की घोषणा से नाराज झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम ने पार्टी को चेतावनी दी है कि वह राजमहल से चुनाव लड़ेंगे। वहीं पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा ने कोडरमा से चुनाव लड़ने का मन बनाया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक अन्य विधायक चमरा लिंडा भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पिछले दिनों झारखंड पार्टी ने दावा किया था कि अगर लोबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा चुनाव लड़ेंगे, तो उनकी पार्टी इन दोनों नेताओं को अपना समर्थन दे देगी। झामुमो के भीतर बगावत के इन स्वरों को लेकर पसोपेश है। पार्टी नेतृत्व इन तीनों नेताओं को कैसे शांत करेगा, यह देखनेवाली बात होगी।

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