रांची। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि रिम्स निदेशक के हवाले से आयी खबरों से पता चल रहा है कि जीबी की बैठक में उनपर हेल्थमैप और और मेडाल को अनुचित भुगतान करने का मौखिक दवाब बनाया जा रहा था।

जबकि एजी की आॅडिट में इसपर आबजेक्शन किया जा चुका है। दलित समुदाय से आने वाले इस प्रतिभावान रिम्स निदेशक को अपमानित एवं प्रताड़ित कर बिना कारण पूछे एवं अपना पक्ष रखने का मौका दिये बगैर अकस्मात हटाने की यह बड़ी वजह बनी। सरकार में अगर हिम्मत है तो इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश देकर सच्चाई को सामने आने दें।

काली कमाई का हिस्सा ऊपर तक जाता है : बाबूलाल ने कहा कि चाहे पथ निर्माण विभाग हो या भवन निर्माण विभाग। ग्रामीण विकास विभाग हो या पेयजल विभाग। इन जैसे सारे कामकाजी विभागों में कहने के लिए तो ठेके-पट्टे देने एवं भुगतान करने के लिए विभागीय कमेटियां बनी हुई हैं। लेकिन कामकाजी कमाऊ विभागों में ठेकेदारों का चयन, कार्य आवंटन, भुगतान से लेकर कार्य आवंटन के बाद अतिरिक्त काम के नाम पर एकरारनामा की राशि बढ़ाकर, बढ़ी हुई राशि की बंदरबांट कराने का काम सत्ताधारियों की मिलीभगत से विभागीय सचिवों के मौखिक निर्देश एवं दवाब पर ही संचालित एवं नियंत्रित किया जाता रहा है और इससे जो काली कमाई होती है उसका हिस्सा ऊपर तक जाता है।

गोरखधंधे में नीचे के पदाधिकारी हो जाते हैं दंडित : बाबूलाल ने कहा कि इस गोरखधंधे में पकड़े जाने पर बेचारे नीचे के पदाधिकारी दंडित हो जाते हैं। जो अधिकारी सचिवों के कहने पर गलत काम करने से आनाकानी करते हैं, उन्हें रिम्स निदेशक राजकुमार की तरह बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

 

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